बड़े से बड़ा पद भी आपको अपने से छोटा ही लगना चाहिए। वैसे भी जिस पद पर हम होते हैं, उससे बेहतर होने के कारण ही उस तक पहुंचते हैं। लेकिन पद को अपने से बड़ा समझते ही हम उसके नीचे दब जाते हैं। सचाई यह है कि कोई भी पद हमसे बड़ा नहीं हो सकता, क्योंकि सभी पद मनुष्य ने ही बनाए हैं। प्रकृति कितनी भी बड़ी हो जाए, लेकिन आत्मा से छोटी ही रहती है। विकास चेतना का होता है, प्रकृति का नहीं। प्रकृति हमेशा आत्मा में ही निहित रहती है। मनुष्यों द्वारा बनाई गई पद-प्रतिष्ठा, मान्यता, जाति, धर्म, संप्रदाय आदि सभी से मनुष्य की चेतना बड़ी ही होती है। अतः जब तक हम अपने को बड़ेपन के भाव में नहीं लाएंगे तब तक हम किसी भी पद से ऊपर नहीं उठ पाएंगे, क्योंकि ‘मेरे से पद है, पद से मैं नहीं’, ‘मेरे से संसार है मैं संसार से नहीं’ यह फलक हमारे अंदर अवश्य होनी चाहिए।
ऐसा ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भी कह रहे हैं कि ‘मैं राष्ट्रपति पद से ज्यादा हूं।’ ऐसा पहली बार हुआ है जब अमेरिकी सरकार का नेतृत्व एक ऐसा व्यक्ति कर रहा है, जो खुद को राष्ट्रपति पद से ऊपर मानता है। वह इस पद से जुड़े पहले के सीखे-सिखाए व्यवहार को स्वीकार नहीं कर रहा है। ऐसा लग रहा है कि ट्रंप में ‘उपाधि रोग’ से ऊपर उठने की क्षमता है। जबकि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे ऊंचे पदों पर बैठे लोग ‘उपाधि रोग’ की महामारी की चपेट में आ जाते हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपने भाषण में कुछ ऐसा ही आभास दिया, जैसे वह इस पद से जुड़े सारे ताम-झाम को एक तरफ रखकर सीधे काम शुरू कर देना चाहते हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि भाषणों से काम नहीं होता।
हो सकता है आगे भी ट्रंप ‘उपाधि रोग’ से मुक्त रहें, लेकिन भारत में ऊंचे पद संभालते ही लोगों की चाल-ढाल, बोल-वचन सब कुछ पद के अनुरूप हो जाता है। वे पसीना छुड़ा देने वाली गर्मी में भी बंद गले की अचकन पहनने लगते हैं। ट्रंप ने इशारों-इशारों में बता दिया कि वे वाइट हाउस को एक गैर-पारंपरिक छटा प्रदान करना चाहते हैं। एक ऐसी छटा, जो राष्ट्रपति जैसा न लगने वाले एक राष्ट्रपति के साथ जुड़ी हो, क्योंकि अपने पद को अपने व्यक्तित्व पर हावी होने देना ट्रंप के स्वभाव में नहीं है। यह कहकर कि राष्ट्रपति पद उनका नहीं, जनता का है, ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका का राष्ट्रपति होना उनके लिए मात्र एक घटना है। अभी तक ऐसा लग रहा है कि ट्रंप ने राष्ट्रपति पद को हल्के तरीके से स्वयं पर धारण कर रखा है। भारत की प्राचीन मान्यता यही रही है कि जो पद आपको खुद से बड़ा लगे, उसे ग्रहण करने की योग्यता आपमें हो ही नहीं सकती।
जय गुरूजी.
(In English:
(A great post you should be shortened. Anyway, we're on the job, due to better reach him. But as soon as we understand the above were beaten down. The fact that there can not be any post us, because all positions are created by human beings. How nature grows older, but remains smaller than the soul. The development of consciousness, not of nature. Spirit is always rooted in nature. Humans created by the status, recognition, caste, religion, sect, etc. It is all the greater consciousness of man. So as long as we do not bring in the sense of Brepan then we will rise above any position, because of my position, the position I ',' The world is my world, I do not, "the panel of our must be inside.
Trump also said that the US president that "I am over the presidency." It is the first time when the US government is led by a man who considers himself above the presidency. He first learned from the post-taught behavior is not acceptable. It seemed to trump the 'title' disease has the potential to rise above. People in higher positions such as the President and the Prime Minister 'title' disease are in the grip of the epidemic. In his speech the President gave a similar impression as he joined the post aside all caboodle would start working straight. Because they know that speeches would not work.
Trump could be further 'title' disease-free stay, but India took charge of the high gait, voice, speech and everything goes according to the post. They deliver a broad range of sweat begin to wear, even in summer achkan turtleneck. Trump gestures-gestures tell the White House that they would like to provide an unconventional beauty. A sixth, associated with a president that do not look like the president because of his position to dominate his personality is not in the nature of Trump. Saying that his presidency, not the public, Trump made it clear that the US president is an event just for them. So far it looks that way themselves Trump presidency has an lightly. India is the ancient belief that the post you were bigger than themselves, such as the ability to capture it can not be.
Jai Guruji.
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