सादा जीवन उच्च विचार भारतीय संस्कृति का मूल आधार रहा है, पर आज पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव ने हम पर कुछ ऐसा रंग जमाया है कि हम अपनी प्राचीन संस्कृति और आचार-विचारों को भूलते जा रहे हैं। अपनी आवश्यकताएं इतनी बढ़ा चुके हैं कि उन्हें पूरा करने के लिए जीतोड़ मेहनत करने के बाद भी हम इन जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। जब हमारी जरूरतें पूरी नहीं होतीं तब हम तनावग्रस्त होते हैं और बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं। प्राचीन काल में सादगी से रहने वाले महर्षि, मुनि, संत और महात्मा जंगलों में रहकर अपनी जरूरतें न के बराबर रखकर ज्ञान अर्जन और तपस्या किया करते थे। ऐसे संत महात्माओं को देश और विदेश के सभी राजा महाराजा और विदेशी शासक सम्मान दिया करते थे, पर आज महात्माओं ने भी अपनी जीवन-शैली बदल ली है। भगवान श्रीराम के छोटे भाई भरत ने जो सादगी की मिसाल पेश की वैसा उदाहरण विश्व के इतिहास में कम ही मिलता है। महाभारत काल में विदुर मंत्री पद पर होते हुए भी अत्यंत सादगी से रहते थे। इसी तरह चाणक्य भी कुटिया बनाकर रहते थे। आधुनिक काल की बात करें तो लालबहादुर शास्त्री और गुलजारी लाल नंदा भी बड़े पदों पर होते हुए भी अत्यंत सादगी से रहते थे। इसी प्रकार पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम का स्वर्गवास होने के बाद उनके पास से चार जोड़ी कपड़ों और किताबों के अलावा कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ। भारतीय संस्कृति में सादगी से जीने वाले बहुत से महापुरुष हुए हैं। देखा जाए तो सादगी से रहने वाले व्यक्ति ही समाज के विकास में सही योगदान दे पाते हैं। समाज में जैसा बड़े लोग करते हैं, उसका अनुसरण आम प्रजा किया करती है। ऐसा श्रीमद्भागवत में भी लिखा है। कितने महापुरुष अपने जीवन में सादगी अपनाकर न केवल समाज और देश के लिए उदाहरण बने, बल्कि उन्होंने अपने-अपने जीवन में श्रम, समय और मनोयोग से राष्ट्र की महान सेवा की, जिसे आज भी याद किया जाता है। निश्चित रूप से विवेकपूर्ण विधि से अपनाई सादगी मानवी सभ्यता को और आगे बढ़ाने में समर्थ है। सादगी को महान गुण माना जाता है। इसीलिए हम सब सादगी अपनाकर अनावश्यक जरूरतों को कम करके उसी ऊर्जा को मानव सभ्यता के विकास में लगाएं तो अपने साथ-साथ समाज का भी भला कर सकते हैं।
जय गुरूजी.
In English:
(Simple living high thinking is the basis of Indian culture, the influence of Western civilization today we have managed to paint something that we forget their ancient culture and ethics are ideas. Have increased their requirements so hard to get to them after that we are not able to meet these needs. When we are stressed and do not meet our needs illnesses are caught up. Maharishi simply living in ancient times, sage, sage and saint living in the wild with little to no knowledge acquisition and its requirements did penance. All king of saints saint and abroad and foreign ruler Maharaja used to respect, today sages have also changed their life-style. Lord Rama's younger brother Bharat demonstrated the simplicity that rarely in the history of the world is just an example. Notwithstanding Mahabharata vidur ministerial position was very simple. Chanakya also lived through similar hut. In terms of modern Gulzari Lal Nanda Lal Bahadur Shastri and notwithstanding the large positions were extremely simple. Similarly, after the death of former President APJ Abdul Kalam to four pairs of clothes and books, he has not received anything besides. In Indian culture, the simplicity of living are very great man. Indeed, a person simply contribute to the development of the society. As older people in society do not follow that the common people. It is also written in Shrimad Bhagwat. How many great man, not only his life, society and the country, for example by adopting the simplicity became their life but also in labour, time, and studiously great service to the nation, which is still remembered. The simplicity of the method adopted prudent course is able to further promote human civilization. Simplicity is considered great quality. That is why we all need to reduce unnecessary simplicity by adopting the same energy in the development of human civilization and keep your society can go well.)
Jai Guruji.
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