परिवार, संगठन, समुदाय या संस्थाओं के कामकाज में आम तौर पर जब कोई रुकावट आती है या कोई पारस्परिक गतिरोध पैदा होता है तो उसके दो प्रमुख कारण ही सामने आते हैं - पहला व्यक्तिगत अहंकार और दूसरा अंत:करण में क्षमाशीलता का अभाव। जिस व्यक्ति में अहंकार की मात्रा जितनी अधिक होती है, उसमें क्षमादान की सामर्थ्य भी उतनी ही कम होती है। दरअसल, क्षमाशीलता मनुष्य के आध्यात्मिक शुद्धिकरण की एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे उसकी पर्सनैलिटी का निखार होने के साथ-साथ उसकी आत्मा का भी उत्थान होता है। क्षमा, श्रेष्ठ व कुलीन आत्माओं का आभूषण है। जो व्यक्ति जीवन की प्रतिकूल पगडंडियों पर क्षमाशीलता को अपनाते हुए शांत चित्त होकर आगे बढ़ता है, वही अपने गंतव्य पर सफलतापूर्वक ध्वजारोहण करता है। क्षमाशीलता साधना-सिद्धि का राजपथ है, क्षमा धर्म की उद्घोषणा है। जिसने क्षमादान का अभ्यास नहीं किया, उसके लिए धर्म का दरवाजा कभी नहीं खुलता। क्षमा व्यक्ति के व्यक्तित्व का सबसे महत्वपूर्ण घटक है। क्षमाशीलता इंसान की इंसानियत को गरिमा और ऊंचाई प्रदान करने का सशक्त माध्यम है। क्षमा के अभाव में मनुष्य असुर बन जाता है।
क्षमा सभी धर्मों का आधार है। परस्पर विभिन्नताओं के बावजूद सभी धर्मों और संप्रदायों ने क्षमादान को एक मत से स्वीकार किया है। अपने हत्यारों के प्रति जीसस क्राइस्ट ने कहा, ‘हे ईश्वर, इन्हें क्षमा करना, क्योंकि ये अपने कृत्यों से अनभिज्ञ हैं।’ बौद्ध धर्म की मान्यता है कि क्षमाशीलता हानिकारक संवेगों से सुरक्षा प्रदान करती है। इस्लाम धर्म कहता है, ‘अल्लाह सदैव क्षमाशील है।’ हिंदू धर्म में क्षमादान को सबसे बड़ा सदाचार कहा गया है। जैन धर्म में कहा गया है, क्षमा साहसी लोगों का आभूषण है।
आज सांसारिक परिवेश में जो हिंसा, अशांति, भय और असुरक्षा दिखाई देती है, उसके मूल में क्षमा का अभाव और पारस्परिक नफरत की भावना है। क्षमा नफरत का निदान है। क्षमादान देना और क्षमायाचना करना दोनों महानता की निशानी हैं।
क्षमा देने वाले की भांति क्षमा मांगने वाला भी उतना ही श्रेष्ठ है, अपनी गलती पर क्षमा मांगने से उसके हृदय में विनयशीलता का जो भाव उपजता है, इससे उसका कद पहले की अपेक्षा और अधिक बढ़ जाता है। यही वह बिंदु है जहां व्यक्ति का अहंकार और क्रोध विसर्जित होने लगता है। व्यक्ति में बदलाव की यही प्रक्रिया समाज का माहौल भी बदलने लगती है। यही वह अद्भुत स्थिति है जहां से पारस्परिक सौहार्द व सहिष्णुता का सृजन होता है। इसी के परिणामस्वरूप समाज में शांति व सद्भावना बढ़ने लगती है।
जय गुरूजी.
In English:
(Family, organization, community or institutions functioning normally when there is a blockage or if there is a mutual standstill because of its two main faces - the first personal ego and the conscience lack of forgiveness. The higher the amount of arrogance in the person, the power of clemency is even lower. Indeed, forgiveness is a process of spiritual purification of man, the glow of his personality as well as his soul is also uplifting. Sorry, the jewelery is excellent and noble souls. Adverse to the person who lives on the trail progresses through forgiveness in favor of sober mind, it is hoisted the national flag at your destination successfully. Silence is the road to accomplishment forgiveness, forgiveness is a proclamation of faith. Who did not practice forgiveness, never open the door for her religion. Forgiveness is the most important component of personality. Human dignity and humanity of forgiveness is a powerful medium to provide height. Man becomes a demon in the absence of forgiveness.
Forgiveness is the basis of all religions. Despite the differences, all religions and sects interconnected by a pardon is not accepted. Jesus Christ said to his killers, "O God, forgive them, for they are ignorant of their acts." Buddhism recognizes that forgiveness provides protection from harmful emotions. Islam says, "God is always forgiving. 'Greatest virtue in Hinduism is called amnesty. According to Jainism, forgiveness is the ornament of courageous people.
Today worldly environment in which violence, unrest, fear and insecurity appears, in its original sense of forgiveness and lack of mutual hatred. Sorry hate is diagnosed. To pardon and apology are both a sign of greatness.
Sorry like to apologize that the hotel is equally, to apologize to his mistake in the lowliness of his heart, which leads to a sense, it is growing more than ever to his stature. This is the point where the person's ego and anger seem to be scattered. The process of change in the person's environment, society seems to be changing. This wonderful position where the mutual harmony and tolerance are created. As a result, peace and harmony in society increases.)
Jai Guruji.
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