Tuesday, May 31, 2016

हमारे जीवन का एकमात्र लक्ष्य है सीमाहीन अनंत की तरफ बढ़ना ..(Our only aim in life is A seamless move to infinity..)


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सही मायने में योग का अर्थ है- सीमाओं को मिटाने का विज्ञान। सृष्टि के एक सबसे साधारण जीव से लेकर इंसान तक, सभी अपनी सारी जिंदगी अपने लिए सीमाएं तय करने में लगा देते हैं। इंसान सहित दुनिया का हर प्राणी अपनी चारदीवारी बनाने में जुटा हुआ है। दरअसल, लोगों के अपने चारों तरफ कुछ न कुछ चाहिए, वरना उन्हें लगेगा कि वे बेघर हैं। दुर्भाग्य से ज्यादातर लोग इस दुनिया में आराम से नहीं रह सकते, बल्कि उन्हें तो एक कोठरी में रहना पसंद है। उन्हें एक कैद में जीना पसंद है। वे उस विशाल ब्रह्मांड में नहीं रहना चाहते, जो उनके रहने और अनुभव करने के लिए है।

योग का मतलब इंसान को हर संभव तरीके से इस तरह तैयार करना है कि धीरे-धीरे वह अपनी सारी सीमाओं को मिटाकर सरल बन सके। आपको यह समझना होगा कि अगर आप एक चारदीवारी बनाते हैं तो सबसे पहले आपको इसकी सीमा तय करनी होगी, फिर आपको इसकी सुरक्षा भी करनी होगी और इसी में आपकी सारा जीवन निकल जाएगा। इसलिए योग सिखाता है- इन सबसे आजाद होना, अपनी सीमाओं को मिटाना। अगर आप यहां बैठते हैं तो आप सहज रूप से इस ब्रह्मांड में मौजूद होते हैं, आपको अपनी कोई सीमा तय करने की जरूरत नहीं। 

शरीर की एक सीमा होती है, तो यह कोई समस्या नहीं है, शारीरिकता का यह मूल गुण है। लेकिन किसी तरह से यह बात आपकी मानसिकता में घुस गई है। अब आपका मन भी एक सीमा चाहता है, आपकी भावनाएं भी एक सीमा चाहती हैं। इस तरह से आपने अपने भीतर इतनी सीमाएं खड़ी कर ली हैं कि आपके भीतर जो असीम-अनंत मौजूद है, उस तक आपकी पहुंच नहीं हो पाती। आप उसे महसूस नहीं कर पाते। चूंकि आप अपना समय, अपनी उर्जा व अपनी सारी बुद्धि अपने आस-पास सीमा खड़ी करने में लगा रहे हैं, इसलिए जो असीम-अनंत है वही आपके अनुभव से गायब हो जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी सीमा का विस्तार करें। 

यह आपकी करनी और आपके कर्म ही हैं, जिनकी वजह से आप खुद को इस ब्रह्मांड से अलग महसूस करते हैं। आप एक ऐसी जगह पर भी खुद को अकेला पाते हैं, जो इतनी जीवंत और सबको समा लेने वाली है। हम ऐसे व्यक्ति को योगी कहते हैं, जिसने अपने भीतर मौजूद सभी सीमाओं को मिटा दिया है या फिर वह उनसे परे चला गया है। ऐसा करने वाले जो पहले व्यक्ति थे, हम उन्हें आदियोगी कहते हैं। जब आप एक ऐसी जगह पर बैठते हैं जहां आदियोगी की उर्जा प्रतिष्ठित हो, तब धीरे-धीरे आपकी जिंदगी की सारी सीमाएं गिरने लगती हैं और आप उस सीमाहीन अनंत की तरफ बढ़ने लगते हैं। जीवन का एकमात्र लक्ष्य ही यही है। 
जय गुरूजी. 

In English:

(Yoga means to truly erase-the limitations of science. From the creation of the human organism to the most simple, all his life to set boundaries for yourself attaches. Every creature in the world, including humans, is now engaged in its boundary wall. Indeed, the people around you need something, or they feel that they are homeless. Unfortunately most people can not live comfortably in this world, but also like to stay in a closet. They like living in a prison. They want to stay there in the vast universe, which is to their stay and experience.

Yoga means to man in every possible way to prepare such that he gradually erasing all borders to become simple. You have to understand that if you make a wall the first thing you need to restrict, then you also have to guard it, and your whole life will pass. So all-in Yoga teaches independence, erase our borders. If you sit here, you are naturally present in the universe, you do not need to set any limits.

The body has a limit, so it is no problem, the basic properties of Sharirikta. But somehow it has entered into your psyche. Now your mind wants a limit, a limit to your emotions want. This way you have created within your limits so that the infinite-infinite exists within you, that you could not go far. You can not feel it. Since your time, your energy and your whole mind around the border are thought to pose, so that your experience is limitless, infinite disappears. The thing that we need to expand its range.

If you need it, and your deeds, why you would feel different than the universe itself. You find yourself alone on a place which is so lively and all-consuming end. We call such a person a yogi who has erased all borders within her or she has gone beyond them. Who was the first person to do so, we call them Aadiyogi. When you sit at a place where the power of Aadiyogi be distinguished, then slowly start to fall the limits of your life and you begin to move towards the boundless infinity. This is the only aim in life.)

Jai Guruji.

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