Sunday, January 9, 2022

अरविन्द केजरीवाल (शानदार व्यक्तित्व, गजब नेतृत्व)


BOOK NAME : अरविन्द केजरीवाल  (शानदार व्यक्तित्व, गजब  नेतृत्व)  


प्रस्तावना



दोस्तों, ये किताब लिखने का मेरा मकसद भारतीय राजनीती में नया सवेरा, या नया जन्म कहे हुआ है उसका वर्णन करना है, जिसका नायक 'हरियाणा' के एक साधारण आदमी अरविन्द केजरीवाल ने असाधारण कर दिया है. उन्होंने राजनीती की एक नई परिभाषा को जन्म दिया है जो अब तक सिर्फ, दबंगो, बदमाशो, बाहुबली, और पैसे वालो की  समझी जाती थी, उन्होंने साबित कर दिया की अगर इक्च्छा शक्ति, और सेवा भाव से काम करने की लगन इंसान में हो तो कोई भी ताकत उन्हें आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती। अब भारतीय राजनीती में लगने  लगा है की राजनीती अब शरीफ व्यक्ति भी कर सकता है।  

इस किताब  में हम 'अरविन्द केजरीवाल' (अब दिल्ली के नए मुख्यमंत्री)  का परिचय करा रहे है, आशा है सभी पाठको को पसंद आएगा और भारतीय राजनीती के बारे में सोच बद्लेगी।  
धन्यवाद शुभकामनाओ के साथ   

आपका दोस्त, 

बिरेन्द्र कुमार 

E-mail to us: birendrathink@gmail.com     







अरविन्द केजरीवाल भारतीय राजनीती के छितिज पर उगने वाले उस सूरज का  नाम है, जब भारतीय राजनीती में सिर्फ दबंग, भ्रष्ट्र, और अपराधी का बोलबाला था और राजनीती में आने का नाम शायद ही कोई सभ्य व्यक्ति लेना चाहता था, लेकिन अरविन्द केजरीवाल ने राजनीती में आकर एक आम व्यक्ति की ताकत दिखा की और ये साबित  कर दिया की ईमानदार राजनीती भी हम कर सकते है और यह साबित भी उन्होंने दिल्ली के विधान सभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें लेकर विरोधिओं और टीवी चैनलों के समीकरण को झूठा कर दिखा दिया।         





अरविंद केजरीवाल एक भारतीय राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, (अब दिल्ली के नए मुख्यमंत्री) । वे पहले भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में थे और बाद में नौकरी छोड़कर वे सामाजिक, राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े हैं। उन्हें 2006 में रमन मैगसेसे पुरस्कार दिया गया था






अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा राज्य के हिसार जिले के सिवानी गांव में हुआ था। गोविंद और गीता केजरीवाल उनके पिता और माता हैं। वे अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। उनके पिता भी एक इंजीनियर थे जिन्होंने पिलानी के बिड़ला इंस्टीट्‍यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस से डिग्री ली थी। अरविंद का बचपन सोनीपत, मथुरा और हिसार में बीता।

केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली और टाटा स्टील में काम करने के बाद वे 1992 में भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए। वे मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी, रामकृष्ण मिशन और नेहरू युवा केन्द्र से भी जुड़े रहे हैं। 2006 में जब वे आयकर विभाग में संयुक्त आयुक्त थे तब उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी।

उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ गरीबतम आदमी का पक्ष मजबूत करने के लिए उसे सूचना का अधिकार देने का कानून बनवाया। वे एक एनजीओ 'साथी' से भी जुड़े हुए हैं। केजरीवाल ने ‍पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन नाम का एक गैर-सरकारी संगठन भी बनाया है। अरविंद का विवाह सुनीता से हुआ जो खुद भ‍ी एक आईआरएस अधिकारी हैं और फिलहाल आयकर विभाग में अतिरिक्त आयुक्त हैं। दम्पति के दो बच्चे हैं, जिनसे एक बेटी हर्षिता और बेटा पुलकित है। केजरीवाल ने 'स्वराज' नामक एक पुस्तक भी लिखी है। वे शाकाहारी हैं, हालांकि कुछेक महीनों के लिए वे मांसाहारी बन गए थे, लेकिन बाद में उन्होंने मांसाहार छोड़ दिया और वे पिछले कई वर्षों से विपश्यना का अभ्यास कर रहे हैं।

वर्ष 1999 में जब वे सरकारी सेवा में थे तभी उन्होंने परिवर्तन नाम का आंदोलन चलाया था। इसके जरिए उन्होंने दिल्ली और आसपास के इलाकों में लोगों की मदद करने का लक्ष्य रखा। सूचना का अधिकार कानून बनाने के लिए उन्होंने अरुणा रॉय के साथ चुपचाप सामाजिक आंदोलन चलाया था। 2005 में यह देशव्यापी कानून बनवाने में मदद की। उन्हें इसके लिए देश भर से पुरस्कार और प्रोत्साहन मिला।

अरविंद केजरीवाल ने जनलोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे के साथ मिलकर अनशन किया और धरनों, प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। देशभर से उन्हें समर्थन मिला और उन्होंने प्रशांत भूषण, शांति भूषण, संतोष हेगड़े और किरण बेदी के साथ मिलकर जन लोकपाल के लिए आंदोलन चलाया, लेकिन यह आंदोलन सरकारी पेंतरेबाजी और राजनीतिक दलों की खींचतान के चलते आगे नहीं बढ़ सका।

इसके लिए अन्ना हजारे और केजरीवाल जेल भी गए, लेकिन अंतत: कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल सका। भारी विरोध और लम्बे विचार विमर्श के बाद संसद ने लोक पाल बिल का मसौदा बनाने के लिए तीन बिंदुओं पर विचार करने का प्रस्ताव पास किया था।

आम आदमी पार्टी की स्थापना : अरविंद केजरीवाल के साथ काम करने वाले हजारे और किरण बेदी ने जनलोकपाल के लिए किसी भी पार्टी से जुड़ने से इनकार कर दिया और दोनों ने खुद को केजरीवाल से अलग कर लिया और इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन से जुड़े अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे केजरीवाल से दूर रहें। इसके बाद केजरीवाल राजनीति में सक्रिय हो गए और उन्होंने 2 अक्टूबर, 2012 को एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया और 24 नवंबर, 2012 को इसे 'आम आदमी पार्टी' का नाम दिया।

रहस्योद्‍घाटनों का दौर : अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने से पहले एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तौर पर केजरीवाल ने रॉबर्ट वाड्रा, सलमान खुर्शीद, नितिन गडकरी, उद्योगपतियों और नेताओं के खिलाफ आरोप लगाए। इन नेताओं में बाद में राष्ट्रपति पद पर चुने गए कांग्रेस के शीर्षनेता प्रणब मुखर्जी भी शामिल रहे हैं। आम आदमी पार्टी के 45 वर्षीय नेता ने सामने से मोर्चा संभालकर गैरपरंपरागत तरीके से अपनी मुहिम शुरू की और उनकी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर कांग्रेस के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया।
49 दिन की सरकार : अरविंद केजरीवाल ने ‘आप’ को सत्ता में लाकर राजनीतिक सोच बदल दी है। आम आदमी पार्टी (आप) की इस जीत से कार्यकर्ताओं की उस पार्टी ने उस व्यंग्य का एक मीठा-सा बदला ले लिया है जिसमें उसे कभी ‘बेहद कमजोर’ बताया गया था।

‘आप’ के एजेंडे में आम आदमी के हितों को केंद्र में रखते हुए केजरीवाल ने 3 बार मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित को हरा दिया। बहुमत नहीं मिलने पर आम आदमी पार्टी को कांग्रेस ने समर्थन की पेशकश की और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में जनता से राय मांगकर पूछा कि उन्हें सरकार बनानी चाहिए या नहीं।


सोशल मीडिया से लेकर गली-गली में सड़को पर जनता से राय ली गई। इसमें करीब 75 प्रतिशत जनता ने कहा कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली में सरकार बनानी चाहिए। इस तरह अपने गठन के पहले ही साल में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सरकार बनाई और अरविंद केजरीवाल दिल्ली के 9वें मुख्यमंत्री बने। 49 दिन सरकार चलाने के बाद केजरीवाल ने लोकपाल विधेयक पारित नहीं होने पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

वर्तमान में एक बार फिर से केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने है, और पूर्ण बहुमत से बने है, तो आशा है की वे दिल्ली की जनआकांछाओ पर खरे उरतेंगे।   
 सत्ता सुख के लिए तो सभी राजनीती करते है लेकिन, सत्ता परिवर्तन कर व्यवस्था परिवर्तन  केजरीवाल जी कितना कर पाते है ये तो थोड़ी समय  बाद पता चलेगा। 

लेकिन इतना तो तय  है राजनीती की परिभाषा बदल चुकी है और अब  भ्रष्ट्र लोगो और पार्टियो को सावधान  हो जाना चाहिए, नहीं तो वो दिन दूर नहीं की इनको दिल्ली की तरह पुरे देश में विपक्ष के लिए भी तरसना पड़ेगा.  
  
price: one  copy -  $=1 (one dollar, Each copy)



Book Name : 
ARVIND KEJARIWAL

(Great personality, Wonderful leadership)


Introduction


Guys, my purpose of writing this book new dawn in Indian politics, or the new birth, describing what is called, the hero 'Haryana' Arvind Kejriwal, a simple man has been exceptional. She gave birth to a new definition of politics until now only, Hooligans, scoundrels, strongmen, and the money was considered to be members, they have proved the will power, and in the spirit of service, if the person's passion to work No power can stop them from moving forward. Beginning in Indian politics decent person can do now is political.

In this book we Arvind Kejriwal (now the new chief minister of Delhi) is the introduction, hope all readers will like and think about change and corruption free  Indian politics.

Thanks with regards

Your friend,

Birendra Kumar

E-mail to us: birendrathink@gmail.com







Arvind Kejriwal Pinnacle of Indian politics is the name of the plant, the sun, the Indian politics just overbearing, corrupt, and was dominated by criminals in politics hardly any decent person's name and wanted to come, but in politics Arvind Kejriwal came to show the strength of the common man and proved that we can do is honest politics and proved it in the Delhi Assembly elections with 67 seats out of 70 Opponents and TV channels were showing false equation.





An Indian politician and social activist Arvind Kejriwal, (now New Delhi Chief Minister). He was the first Indian Revenue Service (IRS) and later quit his job in the social, political activities are linked. In 2006 he was awarded the Ramon Magsaysay.







Arvind Kejriwal born August 16, 1968, Hisar district of Haryana state Siwani was born in the village. Kejriwal Gita Govinda and his father and mother. They are the largest in three siblings. His father was an engineer who Birla Institute of Technology and Science in Pilani completed his degree. Sonipat Arvind's childhood, spent in Mathura and Hisar.

Kejriwal degree in Mechanical Engineering from IIT Kharagpur and after working at Tata Steel in 1992 joined the Indian Revenue Service. Mother Teresa's Missionaries of Charity, are also associated with the Ramakrishna Mission and Nehru Yuva Kendra. Joint Commissioner of Income Tax in 2006 when they were then, he resigned from the government.

To strengthen the party against corruption poorest man to the Right to Information Act made it. They NGO "partners" are also associated with. Public Cause Research Foundation named Kejriwal made a non-governmental organization. Sunita, who was married to Arvind an IRS officer, currently additional commissioner of income tax department. The couple have two children, a daughter Harshita and son Pulkit. Kejriwal 'Swaraj' has written a book called. They are vegetarian, although for a few months, they became vegetarian, but later left the meat and they are practicing yoga past several years.

When they were in government service in 1999 when he was the movement of the name change. Delhi and its surrounding areas through targeted to help people. Information for law quietly with Aruna Roy, he was a social movement. In 2005 it helped to build a nationwide law. The prize for the country and encouraged them.

For Jan Lokpal Bill, Anna Hazare, Arvind Kejriwal and beams with fast, took part in the demonstrations. From across the country, and he Prashant Bhushan, Shanti Bhushan, Santosh Hegde and Kiran Bedi for Jan Lokpal movement together, but the movement of the government and political parties Pentrebaji could not proceed because of wrangling.

Anna Hazare and Kejriwal jail for it, but ultimately could not get a meaningful result. After long discussions, protests and a draft bill to parliament ombudsman's resolution was to consider three points.

Establishing common man party: Hazare Arvind Kejriwal and Kiran Bedi who work with Jan Lokpal refused to join any party, and both withdrew himself from Kejriwal and India Against Corruption movement of workers Kejriwal said they should stay away from. Kejriwal then became active in politics and the October 2, 2012, formed a political party, 24th November, 2012, the "aam aadami  party" was named.

Revelations of the round before making his political party as an important development Kejriwal Robert Vadra, Salman Khurshid, Nitin Gadkari, charges against industrialists and politicians. These leaders later elected president of the Congress are top leaders including Pranab Mukherjee. The 45-year-old leader of the party before the common man with his mounted front unconven- carefully and his party as the second largest party in the Delhi assembly elections, Congress abolished the 15-year rule.
49-day government: Arvind Kejriwal 'You have power, by bringing political change. Aam Aadmi Party (AAP) workers from the victory of the party that satire has a sweetish revenge to her as "very weak" was told.

'You' in the center of the agenda, keeping the interests of the common man Kejriwal, former Chief Minister Sheila Dikshit defeated 3 times. The majority of the people do not receive the support offered by the Congress party and the masses party Kejriwal asked the Delhi government should Asking for feedback from the public or not.


Social media, public opinion on the street-lane roads taken. More than 75 per cent said the government should make the common man party in Delhi. In the first year of its formation, the common man, the party formed a government in Delhi and the 9th Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal. Kejriwal government after 49 days on the Lokpal bill resigned as chief minister.

Currently Kejriwal once again became the Chief Minister of Delhi, and is made of an absolute majority, then hope they live up to Delhi's popular sentiment.
 For all the political power to do so, but how to find the power to change the law to change the system Kejriwal will know after these so little time.

But it definitely has changed the definition of politics and corrupt public and Parties should be careful, otherwise they are not far from those days like Delhi will crave for the opposition throughout the country.
  

price: one copy - $ = 1 (one dollar, Each copy)



Monday, June 25, 2018

धैर्ययुक्त जीवन शैली कामयाबी के रास्ते को आसान बना देती है ..(Courageous Life Style Success Makes the path easier ..)


फल तोड़ने पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोजाना की पिटाई, उलाहना, गालियां और प्रताड़ना से आहत बंदरों ने बैठक बुलाई। विमर्श में उनके सयाने नेता ने सुझाव दिया- क्यों न जंगल में खुद की बागवानी की जाए, रोजाना की झिकझिक से मुक्ति मिलेगी। शाम ढलने तक बुआई हो गई। तड़के सुबह फल खाने को आतुर बंदर खेत में पहुंचे। वहां एक भी पेड़ नहीं था। ठगा महसूस करते बंदरों ने अपने नेता को दुखड़ा सुनाया तो जवाब मिला, ‘फल आने में वक्त लगता है, सब्र रखो!’ खेती की प्रक्रिया को समझने की कोशिश न करते हुए मूर्ख, क्रोधित बंदरों को इंतजार मंजूर नहीं था। उन्होंने मिट्टी खोद-खोद कर पिछले दिन बोए बीज खा डाले।

महान उपलब्धि तुरंत हासिल नहीं होती। प्रत्येक परिणाम का समय आता है। कबीर ने कहा है- माली भले ही पेड़ को सौ घड़ों से सींचे, फल तो मौसम आने पर लगेगा। बिल गेट्स कहते हैं कि धैर्य ही कामयाबी का राज है। महात्मा गांधी मानते थे कि धैर्य खोने का अर्थ है, लड़ाई हार जाना। मंजिल तभी मिलेगी जब हम इत्मीनान से बगैर रुके चलते रहेंगे, रफ्तार जितनी भी धीमी हो। जो धैर्य रखना सीख गया, वह सब कुछ पा लेगा। ऐसा नहीं कि धैर्यशील, संयमी व्यक्ति के जीवन में अवरोध और तूफान नहीं आते, किंतु इन क्षणों में वह हड़बड़ी नहीं मचाता। चूंकि वह जानता है कि तूफान चला जाएगा। वह क्षणिक परिस्थिति से डरकर निर्णय नहीं लेता। आक्रोश या भावावेश के क्षण में अधीर होने का मलाल आपको सौ दिनों तक सालता रह सकता है। लुइस कैरल ने कहा है, ‘मैंने जब-जब जल्दी की, मैं पीछे होता चला गया।’ धैर्य से कार्य न करने वाला उस संतुष्टि से वंचित रहेगा जो शांति से कर्मरत व्यक्ति को सहज प्राप्त होती है। सब्र ऐसी सवारी है जो अपने सवार को कभी गिरने नहीं देती, न किसी के कदमों में और न किसी की नजरों में। हड़बड़ाहट में जीते लोग चित्त में जीवनभर उन पहाड़ों को ढोते रहते हैं, जिन्हें फतह किया जाना था। वे निर्धन हैं, जिन्हें धैर्य नहीं।

अथक, अनवरत प्रयास और पर्याप्त धैर्य के बूते जब कोई बुलंदियां छूता है तो अन्य व्यक्ति उससे पूछते हैं, यह तुमने कैसे हासिल कर डाला? धैर्ययुक्त जीवनशैली के मायने सदा विचारमग्न रहना नहीं है। आपातकाल में त्वरित कार्रवाई आवश्यक है, जैसे आग लगने पर। दूसरों की भूल-चूक या सायास गलतियों पर उन्हें क्षमा करने या दया बरतने में तत्परता बरती जानी चाहिए, इससे अपना अंतःकरण निर्मल, स्वस्थ और आनंदित रहेगा।

धैर्य का अर्थ इंतजार करने की क्षमता से है, काबिलियत से नहीं। रॉय टी. बैनेट कहते हैं कि धैर्य का अर्थ है कि हम किसी भी परिस्थिति में विचलित न हों, बल्कि हालातों को पॉजिटिव रुख देने के लिए कर्मरत रहें और विश्वास रखें कि अंततः सब ठीक हो जाएगा।
जय गुरूजी. 

In English:

(On the occasion of breaking the fruits, the monkeys attacked by the security personnel beating, shouting, abuses and torture daily called the meeting. In his discussions, his in-line leader suggested - why not be given gardening of himself in the woods, everyday life will get rid of it. Sown till the evening was done. In the early morning, the dreadful monkey reached the farm to eat fruit. There was not a single tree there. If the monkeys felt frustrated by the monkeys, their answer was answered, 'It takes time to come, bear patience!' Not waiting for the foolish, angry monkeys was not approved while trying to understand the farming process. They dig the soil and sow the seeds sown in the last day.

Great achievement is not achieved immediately The time comes for each result. Kabir has said - Mali may also be sewn from the trees with hundreds of gardens, fruit will take place on the season. Bill Gates says that patience is the secret of success. Mahatma Gandhi believed that losing patience meant losing battle. The floor will be available only when we keep on walking without leisurely pace, the speed is as slow as possible. The patient who learned to take patience will get everything. It is not that there is no obstruction and storm in the life of a patient, patient, but in these moments, he does not rush. Since he knows that the storm will go away He is not afraid of the transitory situation fearing. The silence of being impatient in the moment of resentment or emotion can keep you alive for 100 days. Luis Carroll has said, "Whenever I hurried, I went behind." The patient who does not work patiently will be deprived of the satisfaction that a peace-loving person receives easily. Patience is a ride that does not let its rider fall, neither in the steps nor anyone's eyes. People living in flurry carry the mountains throughout the life of Chitta, who were to be defeated. They are poor, who do not have patience.

When a person touches the power of a relentless, sustained effort and enough patience, the other person asks him, how did you achieve this? The patience of a patient life is not always about thinking. Accelerated action is required in the emergency, such as when the fire occurs. Forgetting others or forgiving them for forgiveness or mercy, readiness should be done in order to keep their hearts pure, healthy and happy.

The meaning of patience is with the ability to wait, not by the ability. Roy T. Bennett says that patience means that we are not disturbed under any circumstances but rather work to give a positive attitude to the situation and believe that eventually everything will be alright.)
Jai Guruji

Wednesday, June 20, 2018

मानवीय व सामाजिक जिम्मेदारी में छिपा है जीवन का सच्चा अर्थ (Human and Social Responsibility Hidden in the true meaning of life..)



जीवन अंधेरे का दूसरा नाम है, आजकल इसे साबित करने की मानो होड़ लगी है। जिसे देखो, वही इस नकारात्मक प्रवृत्ति को अपने-अपने तर्कों के साथ प्रतियोगिता में तब्दील कर रहा है। लेकिन विसंगति यह है कि अगर सचमुच अंधेरा है तो इसे लाने की जिम्मेदारी खुद लेने के लिए कोई भी तैयार नहीं है। हर कोई दूसरे को दोषी बता रहा है। मेरे पास भी ऐसे लोग बड़ी संख्या में आते हैं जो इस माहौल को कोसते हुए थकते नहीं हैं। उनसे पूछो कि इस अंधेरे को हटाने के लिए आप क्या कर रहे हैं तो खुद को लाचार बताते हुए सारी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन पर डाल देते हैं। 

यह समस्याओं से पलायन की दुखद स्थिति है। अफवाहों के आधार पर किसी की हत्या कर देना, किसी के साथ कुछ गलत हो रहा हो तो उससे कन्नी काट लेना, कोई घायल होकर सड़क पर जान बचाने की गुहार लगा रहा हो तो उसकी मदद करने के बजाए विडियो बनाने में लग जाना, आखिर क्या साबित करता है? या तो हमारी संवेदना मर चुकी है या हम गैर-जिम्मेदार हो चुके हैं। जो काम हमारे दायरे में है, उसके प्रति लापरवाही अमानवीय दृष्टि है जो समाज को खतरनाक अंजाम की ओर ले जाती है। हम भूल जा रहे हैं कि अपने आस-पास जो कुछ भी है और जैसे है, उसे संवारना और सुरक्षा देना हमारा भी सामाजिक तथा मानवीय दायित्व है। जिस दिन इस दृष्टि से अपने आस-पास को देखना शुरू कर देंगे, हमें भी अपने जीवन का अर्थ मिलना शुरू हो जाएगा। 

संत नामदेव के माता-पिता ने उन्हें पेड़ की छाल लाने के लिए कहा। उन्होंने पेड़ के तने पर कुल्हाडी मारने के बजाए अपने पांव पर ही मार ली। पूछने पर जवाब दिया कि कुल्हाड़ी की मार पड़ने पर पेड़ को कितना कष्ट होता होगा, यह जानने के लिए मैंने अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार ली। इसका सीधा अर्थ है कि अस्तित्व का प्रवाह सर्वत्र एक है। सचेतन और अचेतन, अपना और पराया जैसा भी यहां कुछ नहीं है। किसी को ‘पर’ मानना, एक अलगाव का भाव है जो आज सारी समस्याएं पैदा कर रहा है। 

हमारी मुश्किल यह है कि हम शास्त्रों और संतों से सकारात्मक दृष्टि लेने की जगह उनके गाथा गायन को पुण्य-लाभ का माध्यम मान रहे हैं। व्यक्तित्व और विचार के इस भटकाव के कारण जो आज समाज और दुनिया का नुकसान हो रहा है, उसे रोकने के लिए ‘मनुष्य’ बनने की कोशिश करनी होगी। लेकिन उसके भी पहले अपनी बुद्धि, विवेक और अपने मन को जागृत करना होगा। यह सन्मार्ग पर जाने का सुगम रास्ता है। अनुभव करके देखें कि जैसे ही आपके अंदर सकारात्मक और निर्दोष दृष्टि पैदा होगी, आप इस सृष्टि जीवन की भव्यता का अनुभव करना प्रारंभ कर देंगे। 

जय गुरूजी. 


In English:




(Life is another name for the dark, nowadays it is like competing to prove it. See who is transforming this negative tendency into competition with his own arguments. But the discrepancy is that if it is really dark then no one is ready to take responsibility for it. Everyone is blaming others. I also have a large number of people who do not get tired of cursing this environment. Ask them what you are doing to remove this darkness and then put yourself on the government and administration, telling them to be helpless.

It is the tragic situation of migrations with problems. To kill someone on the basis of rumors, if someone is going wrong with someone, then cutting him off, if someone is wounded and is trying to save lives on the road, instead of helping him, instead of helping to make a video, Prove? Either our condolences have died or we have been irresponsible. The work that is in our purview is a negligent, inhuman sight towards society which leads to a dangerous end to society. We are forgetting that it is our social and humanitarian obligation to protect and protect the things around us and the like. On the day when this vision will start to look around, we will also get the meaning of our life.

The parents of Saint Namdeo asked them to bring the tree bark. Instead of hitting the tree's ax, he hit his feet on his feet. On the question I asked, 'How much trouble will the tree suffer if you hit the ax, I hit the ax on my feet to know it. It has a direct meaning that the flow of existence is universally the same. Subliminal and unconscious, there is nothing here like ours and ours. Recognizing someone as "over", is the sense of separation that is causing all the problems today.

Our difficulty is that instead of taking positive views from the scriptures and saints, they are assuming their saga singing as the means of virtue. Due to this disorientation of personality and thought which is causing loss to society and the world today, it will have to try to become 'human' to stop it. But before that, you have to awaken your intellect, discretion and your mind. This is the easiest way to go on the road. Experience and experience that as soon as you have a positive and innocent vision, you will start experiencing the magnificence of this universe.)

Jai Guruji