Monday, February 29, 2016

उपदेश पाने के लिए ..(Preaching to get ..)


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स्वामी रामदास हर रोज कहीं न कहीं भिक्षा मांगने के लिए जाते थे। एक दिन वह भिक्षा मांगते हुए एक घर के सामने जा खड़े हुए और उन्होंने आवाज लगाई - रघुवीर समर्थ। घर की स्त्री बाहर निकल आई। उसने उनकी झोली में भिक्षा डाली और कहा,‘स्वामीजी, आप मुझे कोई उपदेश दीजिए।’ स्वामीजी बोले,‘आज नहीं, उपदेश तो कल दूंगा।’ दूसरे दिन स्वामीजी ने फिर उसी घर के सामने जाकर आवाज लगाई - रघुवीर समर्थ। उस घर की स्त्री ने उस दिन बड़े मन से खीर बनाई थी। उसमें बादाम-पिस्ते और मेवा डाले थे। स्वामी जी को देने के लिए वह खीर का कटोरा लेकर घर के बाहर आ गई। स्वामीजी ने उसे देखकर अपना कमंडल आगे बढ़ा दिया। लेकिन यह क्या, वह जैसे ही उस कमंडल में खीर डालने लगी, उसने देखा कि कमंडल में पहले से ही गंदगी और कूड़ा-करकट भरा पड़ा है। खीर डालते-डालते उसके हाथ ठिठक गए। वह बोली,‘महाराज, यह कमंडल तो बहुत गंदा लग रहा है। जाने इसमें क्या-क्या पड़ा हुआ है।’ उसकी बात सुनकर स्वामीजी बोले,‘हां भई, गंदा भी है और इसमें गंदगी भी पड़ी है। किंतु तुम इस सबकी परवाह मत करो और खीर इसी में डाल दो।’ स्त्री बोली,‘नहीं महाराज, ये कैसे हो सकता है? ऐसा करूंगी तो खीर खराब हो जाएगी। जरा दीजिए यह कमंडल, मैं इसे शुद्ध कर लाती हूं।’ स्वामीजी बोले,‘तुम्हारा अर्थ यह है न कि जब यह कमंडल साफ हो जाएगा, तभी खीर इसमें डालोगी।’ स्त्री ने उत्तर दिया,‘जी हां।’ स्वामीजी बोले,‘मेरा भी यही उपदेश है। मन में जब तक चिंताओं का कूड़ा और बुरे संस्कारों की गंदगी भरी है, तब तक उपदेशामृत का कोई लाभ न होगा। उपदेशामृत का पान करना है, तो पहले अपना मन शुद्ध कर लेना चाहिए। तभी उपदेश से सच्चे सुख और आनंद की प्राप्ति होगी।’ कहने का तात्पर्य यह है की जब आपके मन में अहंकार, विद्वेष, और कुविचार रहेगी तब तक सत्संग या उपदेश का कोई लाभ नहीं होगा. इसलिए पहले अपने मन को साफ़ करे फिर सत्संग या उपदेश सुने. 
जय गुरूजी.  

In English:


(Swami Ramdas used to go to every day, somewhere in the Pan handle. One day he stood in front of a house asking for alms and he shouted - raghuveer able. The woman of the house to come out. He put his hand out of the bag and said, "Swamiji, you give me a sermon." Swamiji said, 'not today, then tomorrow will preach. "The next day Swamiji then shouted in front of the house - raghuveer able. Heel big-hearted woman of the house had made that day. And the almond-pistachio nuts were thrown. Swami Ji to come out of the house with a bowl of pudding. Swami saw him and pushed his reliquary. But that, as he was putting the pudding in the reliquary, he noticed the dirt and rubbish reliquary already buzzing. Let the pudding-bowl Titk his hands. She said, "Sir, it is very dirty looks reliquary. What had happened to it. "His voice Swamiji said," Well of course, is dirty and the dirt is already in. But you do not care for all this and put milk in it. "The woman said, 'do not cook, how can this be? Heel will do so will worsen. Just let the reliquary, I would bring it to the net. "Swamiji said," you mean that it's not clear when it will be ewer, then the pudding Dalogi it. "The woman replied, 'Yes.' Swamiji said," that is my sermon. In mind the concerns of the garbage is full of shit and bad values, then there will be no benefit of Preaching nectar. Preaching nectar drinking, then you should first clean up its mind. Only by teaching you will gain true happiness and joy. "It means that when your mind's ego, envy, and evil motives will be of no long discourses or sermons. So clear your mind before listening to the discourses or sermons.
Jai Guruji.)

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