Thursday, August 6, 2015

भारतीय सभ्यता से युद्ध (पाकिस्तान का दोहरा चरित्र) ..(Indian civilization war (Pakistan's duplicity) ..


बुधवार को उधमपुर में हमले के बाद भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा पकड़ा गया पाकिस्तानी आतंकी भारत के खिलाफ सीमा पार से छेड़े गए युद्ध का एक और जिंदा सुबूत है। इस सुबूत ने पाकिस्तान को एक बार फिर बेपर्दा कर दिया है, लेकिन पहले की तरह इस्लामाबाद इंकार की मुद्रा में है। वह इस परोक्ष युद्ध में अपनी सहभागिता कभी स्वीकार नहीं करेगा। लेकिन हमारे लिए जरूरी है कि इस युद्ध की जड़ों की तलाश की जाए ताकि उसकी प्रकृति को समझा जा सके और उसके अनुरूप रणनीति तय की जाए। अमेरिकी प्रोफेसर क्रिस्टीन फेयर ने अपनी पुस्तक ‘फाइटिंग टु द एंड : द पाकिस्तानीज वे ऑफ वार’ में लिखा है कि पाकिस्तान सेना लंबे समय से खुद को पाकिस्तान के इस्लामिक विचारधारा के संरक्षक के तौर पर देखती रही है और भारत के साथ जारी छद्म युद्ध को वह सभ्यताओं के संघर्ष के तौर पर देखती-मानती है। भारत के खिलाफ सभ्यता वाले इस युद्ध में पाकिस्तान अपने आप को किस रूप में देखता है, यह समझने के लिए हमें 13 शताब्दी पीछे नजर डालनी होगी। वर्ष 712 ईसवी में एक बाहरी शक्ति ने भारतीय सभ्यता में घुसपैठ की। अगले एक हजार साल तक भारतीय जनता ने इसके साथ विभिन्न तरीके से समन्वय बनाया। 1947 में यहां के लोगों को इस बात पर यकीन हुआ कि अपनी मातृभूमि का एक टुकड़ा देकर स्थायी शांति हासिल की जा सकती है। इस तरह एक अलग देश के तौर पर पाकिस्तान का निर्माण अथवा जन्म हुआ। इस बाहरी शक्ति की तरफ से काम करते हुए राजनीतिक विश्लेषकों ने 2015 में एक बार फिर से हमें और हमारी सरकार को आश्वस्त किया कि हमें हर हाल में शांति के लिए कोशिश करनी चाहिए। रूसी शहर उफा में इस वर्ष 10 जुलाई को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले साल पाकिस्तान शांति यात्र पर आने का आश्वासन दिया। सीधी भाषा में कहें तो हमारा मीडिया 1999 से भारतीय युवाओं को बता रहा है कि उस साल आतंकवादी इंडियन एयरलाइंस के विमान आइसी 814 का अपहरण कर कंधार ले गए थे। सच्चाई यह है कि विमान का अपहरण पाकिस्तान सरकार के इशारे पर कश्मीर में भारत द्वारा जेल में रखे गए जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर की रिहाई के लिए किया गया था। वास्तव में यह जिहादी संगठन पाक सेना की शाखा आइएसआइ का हिस्सा है। तीन आतंकवादी कमांडरों ने अपने विभिन्न साक्षात्कारों में पुष्टि की है कि जैश-ए-मोहम्मद आइएसआइ का हिस्सा है। 25 जून को भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा के प्रवक्ता का एक साक्षात्कार जारी किया गया। उसने जैश-ए-मोहम्मद को पाकिस्तानी सरकार के समर्थन पर नई रोशनी डाली है। लश्करे-तैयबा के साथ जैश-ए-मोहम्मद कश्मीर में आतंक फैलाने वाला प्रमुख संगठन है। अदनान रशीद और शम्स कश्मीरी के साक्षात्कार भी पुष्टि करते हैं कि जैश-ए-मोहम्मद आइएसआइ की शाखा है। इसके एक पूर्व उपप्रमुख शम्स कश्मीरी ने पिछले साल खुलासा किया कि जब वैश्विक दबाव के कारण परवेज मुशर्रफ ने जिहादी संगठनों के कार्यालय बंद करवाए तो उस वक्त आइएसआइ प्रमुख अशफाक कयानी ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्करे तैयबा, हिज्बुल मुजाहिदीन और अन्य संगठनों के वेतन बढ़ा दिए। मुशर्रफ ने कयानी का ओहदा बढ़ाकर सेना प्रमुख कर दिया और उनके ही दिशानिर्देश में 26 नवंबर के हमले की योजना बनाई गई। पाकिस्तानी तालिबानी कमांडर अदनान रशीद ने 2013 में खुलासा किया कि पाकिस्तानी वायुसेना के कर्मचारी के तौर पर उसे प्रशिक्षण कैंप में भेजा गया, जहां उसने महसूस किया कि हम वर्दी में सैनिक हैं और जैश केसदस्य बिना वर्दी वाले सैनिक। हम उनका अनुसरण करते हैं और वे आइएसआइ से निर्देश लेते हैं। अदनान ने यह भी खुलासा किया कि वह पीएएफ नामक इदारत-उल-पाकिस्तान संस्था का हिस्सा था। इसका घोषित लक्ष्य पाकिस्तानी सशस्त्र बलों में जिहादी नेटवर्क बनाना था। अल कायदा-आइएस इसका नया संगठन है। पाकिस्तान जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर को उसी तरह समर्थन दे रहा है जिस तरह उसने अलकायदा, ओसामा और मुल्ला मोहम्मद उमर को सुरक्षा दी थी। वह अल-जवाहिरी, हाफिज मुहम्मद सईद, असमातुल्ला मुवैया और अन्य को भी सुरक्षा देता है। 1कश्मीर में सहअस्तित्व के लिए यह भारतीय शक्ति की परीक्षा ले रहा है। जुलाई माह में पाकिस्तान सेना ने 11 दफा कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम का उल्लंघन किया और आइएसआइ की मदद वाले जैश-ए-मोहम्मद और लश्करे तैयबा के आतंकवादियों ने भारतीय सेना के खिलाफ गोलाबारी की। 13 जुलाई को लश्करे तैयबा से ताल्लुक रखने वाला पाक नागरिक मोहम्मद अनवर पुंछ जिले में मार गिराया गया। इसी तरह 3-4 जुलाई को पांच उग्रवादी उरी सेक्टर में मारे गए। इधर घुसपैठ और आतंकी हमलों की कई घटनाएं हुई हैं। इस बाहरी शक्ति को विभाजित पंजाब मंजूर है, लेकिन कश्मीर का विभाजन स्वीकार नहीं, क्योंकि यह मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्र है। भारतीय सभ्यता के खिलाफ लड़ रहे प्रमुख संगठन हैं-पाकिस्तान सेना, लश्करे तैयबा और इंडियन मुजाहिदीन। आइएम का पोषण पाकिस्तानी सेना करती है। यह संगठन गैर-मुस्लिम आतंकवादियों की भी मदद करता है। 1पीएएफ के पूर्व प्रमुख असगर खान ने स्वीकार किया है कि भारत के साथ हुए सभी युद्धों की शुरुआत पाकिस्तान ने की। पाकिस्तान को शांति अस्वीकार्य है और उसके लिए शांति सिर्फ एक रणनीति है। अटल बिहारी वाजपेयी की ऐतिहासिक बस यात्र का परिणाम 1999 में कारगिल युद्ध के रूप में सामने आया। जब मुशर्रफ बातचीत कर रहे थे, आतंकवादियों को मुंबई पर हमले के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा था। जब नवाज शरीफ वार्ता की बात कह रहे थे, अगस्त 2013 में जलालाबाद में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर पर हमला किया गया। पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता तब तक नहीं हो सकती जब तक वह अपने संविधान में यह बदलाव नहीं करता है कि कोई गैर-मुस्लिम भी वहां शासन प्रमुख हो सकता है। मुझसे भी यह सवाल किया जाता है कि भारतीय इतिहास पढ़ाने से क्या इस्लामी अतिवाद को कम किया जा सकता है? एक समय मुल्तान हिन्दू शहर था और लाहौर एक सिख महानगर था। हम सभी हड़प्पन हैं, यह बात अपने बच्चों को पढ़ाकर भारत में इस्लामी उभार को जरूर कम किया जा सकता है। अपनी नई फिल्म बजरंगी भाईजान में आशा की नई मशाल जलाने वाले अभिनेता सलमान खान ने ट्वीट किया था कि मोदी और नवाज शरीफ को यह फिल्म देखनी चाहिए, क्योंकि बच्चों के लिए प्रेम सभी सीमाओं से परे है। जुलाई माह में एक मीडिया रिपोर्ट में गृह मंत्रालय के हवाले से कहा गया कि कई भारतीय राज्यों में आइएस समर्थक गतिविधियां पाई गई हैं। वर्तमान जिहाद भारतीय सभ्यता के लिए बाहरी है और इस शक्ति के साथ शांति बनाने के प्रयास को नकारा जाना चाहिए।
(लेखक वाशिंगटन स्थित मिडिल ईस्ट मीडिया रिसर्च से जुड़े हैं) (from dainik jagran)

In English:

(After the attack in Udhampur on Wednesday arrested by Indian security forces, Pakistani terrorist war waged against India from across the border is another proof alive. The evidence to Pakistan once again been unmasked, but like the first rule is the currency of Islamabad. He would never accept your participation in this proxy war. But it is important for us that the roots of this war is to seek to understand the nature and the consistent strategy should be. American Professor Christine Fair, his book "Fighting To The End: The Pakistani those of War" written in the Pakistan army, long the guardian of Pakistan's Islamic ideology is treated as a proxy war with India He sees this as a clash of civilizations-holds. In this war of civilization against India which Pakistan sees as myself, to understand it, we have to look back 13 centuries. In the year 712 AD by an external force infiltrated Indian civilization. The next one thousand years, the Indian people made coordination with it in different ways. In 1947, its people were sure of that by giving a piece of his homeland that lasting peace can be achieved. Such creation of Pakistan as a separate country or born. The external power while working on behalf of political analysts in 2015 and our government have convinced us once again that we should try for peace in every situation. Russian city of Ufa on July 10 this year, the Indian prime minister Narendra Modi to come on tour next year, Pakistan peace assured. Simply put, our media straight from 1999 to tell the youth of India that year militants hijacked an Indian Airlines flight IC 814 to Kandahar were. The truth is that hijacked plane at the behest of the Government of Pakistan by India in Kashmir held in jail Jaish-e-Mohammed leader Masood Azhar was to release. In fact it is part of the ISI branch jihadist organization of the Pakistan army. Three militant commanders in their various interviews confirmed that the ISI is part of Jaish-e-Mohammed. On June 25, a spokesman for al-Qaeda in the Indian subcontinent has released an interview. He Jaish-e-Mohammed has cast new light on the support of the Pakistani government. Lashkar-e-Taiba, Jaish-e-Mohammed with terrorism in Kashmir is the principal organization. Adnan Rasheed and cashmere shams interviews confirm that the ISI branch of Jaish-e-Mohammed. Also last year, revealed that a former deputy Shams Kashmiri Pervez Musharraf under pressure when the global jihadist organizations ISI chief Ashfaq Kayani at the time of closing the office Jaish-e-Mohammed, Lashkar-Taiba, the Hizbul Mujahideen and other organizations pay increased. Kayani, the army chief, Musharraf has increased the status and their own guidelines on November 26 attack was planned. Pakistani Taliban commander Adnan Rashid, a Pakistani Air Force in 2013 revealed that the employee was sent to the training camp, where he realized that we are soldiers in uniform and plain clothes military members of JEM. We follow him and take instructions from the ISI. Adnan also revealed that he called PAF Idart-ul-Pakistan was part of the institution. Its stated goal was to make the Pakistani armed forces jihadist network. Al Qaeda-Ais The new organization. Pakistan Jaish leader Maulana Masood Azhar is supporting same way al Qaeda, Osama and Mullah Mohammed Omar was security. Al-Zawahiri, Hafiz Muhammad Saeed, Asmatulla Muvaya and also gives safety. 1 for coexistence in Kashmir Indian power is testing. In July, Pakistani troops violated ceasefire on the Line of Control in Kashmir 11 times and the help of the ISI and the Jaish-e-Mohammed terrorists of LeT fire against the Indian army. On 13 July, the Pakistani national Mohammed Anwar hails from LeT were killed in Poonch district. Similarly, on July 3 to 4, killing five militants in Uri Sector. Meanwhile, there have been several incidents of infiltration and terrorist attacks. Punjab has approved the external power split, but not accept the division of Kashmir, because it is a Muslim-majority region. Indian civilization fighting against the Pakistan Army major organizations, LeT and the Indian Mujahideen. IM is to nurture Pakistani army. The organization also helps the non-Muslim terrorists. 1 PAF chief Asghar Khan has admitted that the beginning of all wars with India to Pakistan. Pakistan is unacceptable peace and tranquility is just a strategy. Atal Bihari Vajpayee's historic bus trip came as the result of the Kargil war in 1999. Musharraf was speaking, terrorists were being trained for the attack on Mumbai. Nawaz Sharif talks were saying, in August 2013 at the Indian consulate in Jalalabad was attacked. By then there can not be peace talks with Pakistan until it does not change its Constitution that no non-Muslim rule there could be major. 1 to me is the question of what to teach Indian history can be reduced to Islamic extremism? Hindu city of Multan and Lahore was a time there was a Sikh metropolis. We all are Harappan, by giving it to their children Islamic resurgence in India can surely be reduced. Bajrangi Baijan new torch of hope burning in his new film actor Salman Khan and Nawaz Sharif tweeted that Modi should see this film, because kids love is beyond all limits. In July, the Interior Ministry was quoted as saying in a media report that several Indian states Ais pro-activity have been found. The current jihad is external to the Indian civilization and attempts to make peace with this power should be ignored.
(The author is associated with the Washington-based Middle East Media Research)
(from dainik jagran)

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