स्वयं से स्वयं की पहचान यानी आंतरिक शक्ति का साक्षात्कार। आंतरिक शक्ति मनुष्य की जीवंत शक्ति होती है, जिसके बल पर वह ऐसे कार्य कर लेता है, जो आश्चर्यजनक होते हैं। यदि मनुष्य दृढ़ निश्चय कर लें तो वह किसी भी काम को आसानी से कर सकता है। सर्वप्रथम आवश्यकता स्वयं को पहचानने की है। मनुष्य जीवन में दो सीढ़ियों में से किसी ek का चुनाव करना पड़ता है। वे दो सीढ़ियां हैं सफलता और असफलता। कुछ मनुष्य जो प्रारंभ से ही जीवन को सफल बनाने के कार्य में जुट जाते हैं, वे अपने गुणों में वृद्धि करते हुए सफलता की सीढ़ी पर चढ़ते चले जाते हैं। उनमें जीवनपथ में आने वाली बाधाओं को पार करने की क्षमता होती है। वे बड़ी-से-बड़ी बाधा को आसानी से पार कर जाते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि यही बाधाएं उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। असफलता भी मनुष्य को सफलता के लिए प्रेरित करती है। ठोकर लगने पर मनुष्य संभलकर चलता है, ठीक उसी प्रकार जब किसी मनुष्य को किसी कार्य में असफलता मिलती है तो वह उसे और सही ढंग व उत्साह से कार्य करने की प्रेरणा देती है, लेकिन केवल उन लोगों को जो सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। आचार्य तुलसी के शब्दों में ‘मानव का जीवन छाया और प्रकाशमय है। उसमें प्रकाश के साथ छाया भी होती है, जो लगभग अनिवार्य है, लेकिन अगर छाया में ही मनुष्य डूब जाए तो वह उसकी मदद करने वाली न होकर मारक होगी।’ यहां ‘छाया’ मनुष्य के अवगुण हैं और ‘प्रकाशमय’ मनुष्य के गुण। यदि मनुष्य छाया में ही डूबा रहे तो वह मारक होती है। आशय यह है कि यदि मनुष्य अवगुणों से पार नहीं पा सकता तो वे मनुष्य को नष्ट कर डालते हैं। जिस प्रकार बोझ को यदि बोझ समझकर उठाया जाए तो वह बोझ ही लगता है, लेकिन बोझ समझकर न उठाया जाए तो वह आसानी से उठाया जा सकता है। ठीक उसी प्रकार इस जीवन को सफल बनाना है, यह समझकर जिया जाए तो मनुष्य अवश्य सफल होता है। मनुष्य अपने जीवन को कल के चक्कर में उलझाकर इधर-उधर भटक जाता है, जबकि उसे ज्ञात होना चाहिए कि जो भी है उसे वर्तमान में ही पूरा करना है।
जय गुरुजी.
In English:
(Identify themselves with the inner self realization. Internal strength is the power of human beings live, which we take such actions, which are amazing. If humans make determination if he can do any job easily. The first requirement is to identify themselves. Man in life has to choose one of two stairs. Success and failure are two staircases. Some people who work to make life a success from the start are ready, they climb the ladder of success while increasing their properties go. Lifeway them have the ability to overcome the barriers. They are bigger-than-big hurdle easily exceed. This is because the obstacles inspire them to move forward. Failure to success inspires humans. Man walks tightrope on hitting, similarly, when a man in a task, he or she fail to function correctly and enthusiasm inspires, but only those people who want to get success. In the words of Acharya Tulsi 'Human life is shadow and light. It is also with light shade, which is almost inevitable, but the man immersed in the shade if it is not going to help him and will kill. "The" shadow "demerit humans and 'light' human qualities. If humans are shrouded in shadow, so he is the antidote. The intent is that humans can overcome the vices they destroy human cast. Just consider the burden to carry the burden he feels a burden, but rather to carry it as a burden, it can be lifted easily. In the same way to be successful in this life, this man must be lived understanding succeeds. Man in the circle of his life yesterday lock is wandering around, while it should be known that what's currently only have to complete.)
Jai Guruji.
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