Friday, May 15, 2015

परमात्मा की संतान ..(Child of God ...)


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एक दिन गेरुआ वस्त्र धारण किए एक संत जूता बनाने वाले के घर के सामने जा खड़े हुए। वह आंगन में ही अपने काम में तल्लीन था। अचानक किसी को आया देख उसकी एकाग्रता भंग हुई। तभी संत उससे बोले -'भाई, बड़ी प्यास लगी है। क्या थोड़ा पानी मिलेगा?' यह सुनकर पहले तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा, लेकिन अगले ही क्षण वह यह सोचकर मायूस हो गया कि वह तो एक अछूत है। कोई संत उसके हाथों से पानी कैसे पी सकता है। संत को उसके चेहरे पर आ रहे भाव समझने में देर नहीं लगी। संत बोले - 'क्या बात है भाई, किस सोच में पड़ गए, यहां तो प्यास के मारे गला सूखा जा रहा है।' वह सकपका कर बोला- 'नहीं-नहीं, बात यह है कि आप जैसे संत को हम पानी कैसे पिला सकते हैं?' उसकी बात सुनकर संत हंसते हुए बोले -'तो आप पाप-पुण्य का इतना हिसाब रखते हैं,' संत की बात सुनकर वह और संकोच में पड़ गया। तभी संत ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया - 'यह लो, तुमने मुझे नहीं, मैंने तुम्हें छुआ है। अब अगर पाप किसी ने किया है, तो मैंने किया है। क्या अब मुझे पानी पिलाओगे?' संत के मुख से ऐसी बातें सुनकर वह उनके सम्मुख नतमस्तक हो गया और झटपट भीतर जाकर पानी ले आया। पानी पीकर संत बोले -'देखो, हम सब एक ही परमात्मा की संतान हैं। हम सभी उसे बराबर प्यारे हैं। जो ईश्वर की संतान को छोटा-बड़ा समझता है, वह दुनिया का सबसे बड़ा अज्ञानी है। रात घिरने वाली है, क्या संभव है कि आज मुझे आप भोजन भी करवाएं?' उस रात संत ने उसी घर पर भोजन किया। वह संत थे स्वामी विवेकानंद।
जय गुरुजी.

In English:

(One day the orange robes of a saint Shoemakers stood in front of the house. He was engrossed in his work in the courtyard. Suddenly someone came to see was his distraction. Then the saint said to him -'brother, big thirsty. What some water? ' First, there is his joy to hear this, but the next moment she was upset, thinking that he is a pariah. A saint is drinking from his hands. Saint did not take long to understand the expressions on her face coming. Saint snapped - "What is it, brother?, which were lost in thought, here is the dry throat from thirst. " He is nervous and said, 'No, the thing that you like how the water we drink are saint? " Listening to him speak -'to laughs saint sin-virtue are so wise, "he listens to the saint and do not hesitate to get in. Then put his hand on her shoulder -'Take this, not me, I have touched. Now if someone is a sin, so I did. Now I drink water? ' Hearing these words from the mouth of the saint he was capitulating before them and quickly went in and brought water. -'look Drinking water saint said, we are all children of one God. We all loved him are equal. The child of God understands the big and small, it is the world's largest ignorant. Night is entered, it is possible that what you eat today, teach me? ' That night in the same house, eat at saint. He was a saint Swami Vivekananda.)
Jai Guruji.


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