उन दिनों अब्दुल्ला बिन मुबारक इराक में बहुत प्रसिद्ध थे। पेशे से वह व्यापारी थे, पर दीन दुखियों के प्रति उनके दिल में बहुत दया थी। एक बार वह हज करने जा रहे थे। अभी उन्होंने शहर पार ही किया था कि उनका ध्यान सड़क किनारे बेसुध पड़ी एक बीमार स्त्री की ओर चला गया। उन्होंने नजदीक पहुंचकर नब्ज टटोली, तो पाया कि जान अभी बाकी थी। वह पास की बावड़ी से अपना तौलिया भिगो लाए। तब उन्होंने स्त्री के चेहरे पर पानी के छींटे डाले। कुछ ही क्षणों में उसने आंखें खोल दीं। मंद स्वर में उसने राहगीर को दुआएं दीं और फिर कहने लगी - ‘मैं एक विधवा हूं और चार दिनों की भूखी हूं। घर पर तीन बच्चे भी भूखे हैं। काम की तलाश में जा रही थी कि चक्कर आ गया। पेट पालने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा।’ उस स्त्री की बातों से अब्दुल्ला का दिल भर आया। उन्होंने दीनारों की थैली उसके हाथ में थमा दी। खाने पीने को जो कुछ भी था, दे दिया। उन्होंने इस धन से कोई काम कर लेने को कहा और आगे बढ़ गए। हज यात्रियों का काफिला काफी आगे निकल चुका था। अब्दुल्ला उलटे पांव घर लौट आए। उन्होंने मन ही मन सोचा कि भला ऐसे हज से क्या लाभ, जिसमें मात्र नाम और यश की कामना हो। लगभग एक माह बाद हाजियों का दल वापस लौटा, तो सबसे पहले वे अब्दुल्ला बिन मुबारक के पास पहुंचे और कहने लगे - ‘कमाल है, जाते वक्त आप रह तो पीछे गए थे, लेकिन मक्का में हमने हर समय आपको खुद से आगे ही पाया।’ अब्दुल्ला के पास आश्चर्य का कोई जवाब न था। उन्हें यकीन हो गया था कि सच्चा हज तो उन्होंने ही किया है।
सन्देश - मजहब कोई भी हो सभी का मतलब, प्यार, दया, सेवा, करुणा, ही है. इसे सभी धर्मो के लोगो को याद रखना चाहिए.
जय गुरुजी.
In English:
(Abdullah bin Mubarak was very famous in those days Iraq. By profession he was a businessman, but in their hearts to pity the poor were oppressed. Once he was going to Hajj. It was just across the city were unaware that their attention roadside went to a sick woman. He came close to Complete Sense found that life had yet. The next step to bring your towel soaked. Then he casts of water sprinkled on the face of the woman. He awoke in a few moments. Undertone and then saying he had devotions passer-by - "I am a widow and I'm hungry for four days. Three children are hungry at home. Looking for work that was being dizzy. You have to do something to sustain. "The heart of the woman's words came across Abdullah. He handed Dinaron bag in his hand. Whatever food was given. He said the money and drove her to a job. Convoy of pilgrims had a long way. Abdullah returned home opposite foot. He thought good heart what is the Hajj, the mere name and fame have wished. After nearly a month of pilgrims returned to the team, the first he approached and said Abdullah bin Mubarak - "Amazing stay behind if you were on the way, but we have all the time in Mecca before you found yourself. 'Abdullah did not answer any of the surprise. He was convinced that he is the true pilgrimage.
Message - any religion means all, love, compassion, service, forgive, is the same. It should remember people of all faiths.)
Jai Guruji
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