भारतीय धर्म-दर्शन कहता है कि अगर आप सत्य का दीदार करना चाहते हैं, तो अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ें। भीतर के ‘ज्ञानदीप’ को जलाकर मीरा ने सत्य का दीदार किया था। यह विलक्षण दीप है, जिसमें कभी न घटने वाला प्रेम का तेल है और कभी न बुझने वाली दिव्य मन की बाती। भीतर वासना की काली बदली छाई हुई है। ज्ञान की ज्योति उसके नीचे सिमटकर रह गई है। थोड़ा ध्यान जगे-प्रेम जगे तो यह बदली छंटने लगेगी, ज्ञान की रश्मियां अन्तर्मन को प्रकाशित कर देगी और सत्य जगमगाने लगेगा। भीतर-बाहर शुद्धि के लिए गोस्वामी तुलसीदास ने ‘ज्ञानदीप’ की महिमा का बखान किया है। आचार्य शंकर कहते हैं कि देह के भीतर तीन तस्कर- काम, क्रोध और लोभ - ज्ञानरूपी मणि का अपहरण करने के लिए घात लगाए बैठे हैं। ज्ञान का दीप बुझते ही वे सद्गुणों का अपहरण कर लेते हैं और मनुष्य पतन के गर्त में गिर जाता है। भगवान बुद्ध की देशना है: ‘अप्प दीपो भव’। यानी अपना दीया स्वयं बनो और भव-बंधन से मुक्त हो जाओ। जैसे सूर्यास्त कभी नहीं होता वैसे ज्ञानदीप कभी नहीं बुझता। अज्ञान का पर्दा उठाएं, ज्ञान का सूर्य चमकने लगेगा। प्रकृति ने जुगनू के पंखों में रोशनी का उपहार दिया है। फिर भी वह अमावस के अंधेरे में अपनी मंजिल को लेकर चिंतित है। उसे बोध नहीं है कि यदि वह पंख खोलेगा, तो उसकी रोशनी तिमिर को चीरकर रख देगी। साहस के साथ उड़ान भरें और तम से लड़ने का संकल्प लें। मनुष्य को ‘विस्मृति-रोग’ हो गया है। वह जानता ही नहीं कि वह साक्षात ‘ज्ञानदीप’ है। ध्यान की कुदाली से अज्ञान की पर्त को काटें। सत्य समझ में आने लगेगा। आज हमारा मानसिक संघर्ष बाहरी अंधेरे से जूझने का नहीं है। उससे तो सूर्य और दीपक सभी लड़ रहे हैं। भीतर के अंधेरे से कैसे लड़ें? एक नन्हा दीपक अपने निर्माता इंसान को आश्वस्त करता है कि यदि आप अंधेरे से लड़ना चाहते हैं तो अंधेरे से यारी निभाना छोड़ दें। सभ्यता की दुनिया की चकाचौंध में अंधेरा हमारा साथ छोड़ता ही नहीं। रोशनी बाहर से लानी पड़ती है, अंधेरा भीतर बना रहता है। कोई धर्म या अध्यात्म के नाम पर तो कोई राजनीति या समाजसेवा के नाम पर पसरे अंधकार को रोशनी बता रहा है। ये छली लोग हैं, जो रोशनी के नाम पर अंधकार का खेल खेल रहे हैं। यदि हम ऐसे खेल में शिरकत नहीं करते तो अंधेरा कम जरूर होगा।
जय गुरुजी.
In English:
(Indian religion-philosophy says that if you want to appearance of truth, then proceed to the light from the darkness. Within the 'Knowledge-light' was burned and Mira appearance of truth. This unique lamp which is never going to happen and neverenling love oil wick of divine mind. Lust is blooming in the dark murky. The light of knowledge has been trimmed down her. This change will vanish little attention awake wake-love, wisdom and truth of the festivals will publish Conscience will illuminated. The inside-out purification Goswami Tulsidas 'Knowledge-light Glory' is celebrated. Shankar Acharya three smuggler - work within that body, anger and greed - with knowledge to kidnap gem lurk. Deep knowledge of the virtues they kidnap dying man falls into the pit of collapse. Lord Buddha's discourse: 'enlightenment'. Be yourself and observed that a light-get loose. As the sun would never never off Knowledge-light. Raise the curtain of ignorance, knowledge sun will shine. Nature has given the gift of the firefly lights in the wings. However, in the dark of the moon is concerned about your floor. He realizes that if he opens the wings, then the light will keep lacerate blackness. Fly and final fight with courage to commit to. Man 'Oblivion-disease "is. He does not know that he encountered "Knowledge-light. Carefully cut the layer of ignorance of the spade. Will come to understand the truth. Today we do not have to deal with the mental struggle outer darkness. The sun and the lamp are all fighting him. How to fight in the dark? A tiny lamp manufacturers assure people that you want to fight darkness with darkness leave beloved play. Civilization in the glare of the world leaves us no darkness. Have to bring out the light, remains in darkness. If any religion or spirituality in the name of the name of a political or social telling straddling darkness light. The dodgy people who are playing the game of darkness in the name of light. If we do not participate in such a game would have been less dark.)
Jai Guruji
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