संतों को ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। वह अपनी साधना से प्रकृति में फैली ऊर्जा का संग्रह करता है। अपनी इस संग्रहित ऊर्जा से अपने भक्तों का कल्याण करता है। इसलिए संतों के संपर्क में रहने वाला व्यक्ति स्वस्थ और शांत रहता है। गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि दुष्ट वृत्ति वाला मनुष्य भी संतों के संपर्क में रहे तो वह उदार आचरण वाला बन जाता है। इसीलिए संतों के संपर्क में रहने वाला, उनका आशीर्वाद ग्रहण करने वाला दीर्घायु और स्वस्थ रहता है। संतों को इसीलिए पूजा जाता है कि वे इतने ऊर्जावान रहते हैं कि अपनी ऊर्जा से निरंतर दूसरों को जीवनी शक्ति प्रदान करते रहते हैं। वे राग, द्वेष से ऊपर होते हैं। इसीलिए समाज में लोग संतों को आदर देते हैं और गुरु रूप में संत की पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि संत अपने लिए नहीं जीता। उसका अपना कुछ होता ही नहीं, उसका सब कुछ समाज का होता है। वह न अपने सुख से सुखी होता है और न अपने दुख से दुखी होता है। कहते हैं कि संत का हृदय तो मक्खन से भी अधिक कोमल होता है। वह दूसरे के दुख से भी दुखी हो जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उसका न तो अपना दुख होता है और न सुख होता है। उसका ‘स्वयं’ विसर्जित होकर ‘पर’ बन जाता है इसलिए समाज में संतों को सर्वश्रेष्ठ प्राणी माना जाता है। देव ऊर्जा का अर्थ है - दिव्य आत्माओं के संपर्क में रहकर ऊर्जा ग्रहण करना। देवता का अर्थ है, जो दिव्य हो, जिसमें अनंत दिव्यता हो, उन्हीं दिव्य आत्माओं को भगवान कहते हैं। भगवान का अर्थ है - भगवान। भग में ऐश्वर्य, यश, श्री, आयु, ज्ञान, वैराग्य और सौभाग्य रहता है। इतने गुण जिनमें हों, उसे भगवान कहते हैं। इसीलिए हम इन दिव्य आत्माओं की पूजा करते हैं ताकि उनकी दिव्यता की ऊर्जा हमें प्राप्त हो। इनकी यही दिव्यता आशीर्वाद रूप में हमें प्राप्त होती है। इसी दिव्यता शब्द से देवता बना है। जो संपूर्ण रूप से दिव्य हो। इसी कारण हम उनकी ऊर्जा ग्रहण करते हैं। उनकी ऊर्जा जब हमारे शरीर में प्रवेश करती है, तो हमारे शरीर की जड़ता मूलक ऊर्जा दिव्य ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। मंदिरों में बैठकर हम उसी दिव्य ऊर्जा को धारण करते हैं। देवता, मंदिर की मूर्ति और गुरु इन तीनों से ऊर्जा ग्रहण करने का विधान है।
जय गुरुजी.
In English:
(The energy is considered the center of the saints. He extends his spiritual nature that stores energy. The welfare of his devotees from this stored energy. A man in touch with the Saints is healthy and calm. Goswami Tulsidas ji saints are exposed to evil man who always thinks that he becomes generous demeanor. So stay in touch with the saints, to receive his blessing is a long and healthy. So pray to the saints that they are so energetic that provide energy to live the life of the continuous others. The passion, hatred are over. Therefore, people in the community to honor saints and gurus are the prayers of saints. That's because the Saints won their. His own nothing else, it is all society. He is not happy with his happiness and is unhappy with his grief. That the saint's heart is more gentle than butter. She is unhappy with their suffering. That's because it is neither pleasure nor his pains. The 'self' immerse the 'other' becomes the creature is considered the best in society saints. Dev energy means - Staying in touch with the divine beings to assume power. The meaning of God, which is divine, the infinite divinity, the same divine spirits call God. God means - God. In vulva opulence, fame, Mr., age, wisdom, is quietness and good luck. With so many qualities which, it says God. So why do we worship the divine spirits of the energy we receive their divinity. He gives us the blessing of divinity. The word god is made of the same divinity. Which is totally divine. Therefore we receive their energy. Their energy enters our body, our body's inertia oriented divine energy is converted into energy. We are sitting in the temples hold the divine energy. Lord, the temple of the idol and mentor to take all three energy legislation.)
Jai Guruji
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