Wednesday, January 28, 2015

सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए बस अपने काम में डूबे रहें ...


'प्रेरणादायक लेख' 

('Inspiring article')

बहुत समय पहले की बात है, एक सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहते थे। सरोवर के बीचोंबीच एक बहुत पुराना धातु का खंभा भी लगा हुआ था। उसे भी सरोवर बनवाने वाले राजा ने ही लगवाया था। खंभा काफी ऊंचा था और उसकी सतह बिलकुल चिकनी थी। एक दिन मेंढकों के दिमाग में आया कि क्यों न एक रेस करवाई जाए। रेस में भाग लेने वाले प्रतियोगियों को खंभे पर चढ़ना होगा और जो सबसे पहले ऊपर पहुंच जाएगा, वही विजेता माना जाएगा।

रेस का दिन आ पहुंचा। चारों तरफ बहुत भीड़ जमा थी। आस-पास के इलाकों से भी कई मेंढक इस रेस में हिस्सा लेने पहुंचे। माहौल में सरगर्मी मची थी। रेस शुरू हो गई। …लेकिन खंभे को देखकर वहां जमा हुए किसी भी मेंढक को ये यकीन नहीं हुआ कि कोई भी मेंढक ऊपर तक पहुंच पाएगा।… हर तरफ यही सुनाई देता- ‘अरे ये बहुत कठिन काम है।’ ‘देखना, वो कभी भी ये रेस पूरी नहीं कर पाएंगे।’

‘यहां सफलता का तो कोई सवाल नहीं। इतने चिकने खंभे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता।’ सच में, जो भी मेंढक कोशिश करता, वो थोड़ा ऊपर जाकर नीचे फिसल जाता। कई मेंढक दो-तीन बार गिरने के बावजूद अपने प्रयास में लगे हुए थे।… पर भीड़ तो अब भी चिल्लाए जा रही थी, ‘ये नहीं हो सकता।’ आखिरकार उत्साहित मेंढक भी ये सुन-सुनकर हताश हो गए और उन्होंने अपना प्रयास छोड़ दिया। लेकिन उन्हीं के बीच एक छोटा-सा मेंढक था, जो बार-बार गिरने पर भी उसी जोश के साथ ऊपर चढ़ने में लगा हुआ था। वह लगातार ऊपर की ओर बढ़ता रहा और अंततः खंभे के ऊपर पहुंच ही गया। वह इस रेस का विजेता बन गया।

उसकी जीत पर सभी को बड़ा आश्चर्य हुआ। सभी मेंढक उसे घेर कर खड़े हो गए और पूछने लगे,‘तुमने ये असंभव काम कैसे कर दिखाया? तुम्हें लक्ष्य पाने की शक्ति कहां से मिली? हमें भी तो बताओ कि तुमने ये विजय कैसे प्राप्त की?’ तभी पीछे से आवाज आई, ‘अरे उसे तो सुनाई ही नहीं पड़ता।’ अक्सर हमारे अंदर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की काबीलियत होती है। लेकिन हम अपने चारों तरफ मौजूद नकारात्मकता की वजह से खुद को बहुत ही कम आंक बैठते हैं। और इसीलिए, हमने जो बड़े-बड़े सपने देखे होते हैं उन्हें पूरा किए बगैर ही अपनी जिंदगी गुजार देते हैं। आवश्यकता यह है हम अपने आपको कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज के प्रति बहरे और ऐसे हर एक दृश्य के प्रति अंधे हो जाएं। अर्थात यह काम तभी संभव होगा जब हम किसी और चीज की परवाह किए बिना सिर्फ अपने काम में डूबे रहें। तब सफलता के शिखर पर पहुंचने से कोई नहीं रोक पाएगा।

Jai Guruji.

Email: birendrathink@gmail.com




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