Wednesday, January 21, 2015

स्थायी खुशी तभी मिल सकती है जब हम उसे सही जगह खोजें ..





आज हर इंसान खुशी और शांति की तलाश कर रहा है। कुछ लोग इसे दुनियावी चीजों में ढूंढते हैं, कुछ यश और प्रसिद्धि में पाना चाहते हैं। कुछ सांसारिक रिश्तों-नातों में तो कुछ फिल्म, संगीत, सांस्कृतिक गतिविधियों, टीवी और भोगों-रसों जैसे मनोरंजनों में खुशियां ढूंढते हैं।

ज्यादातर लोग अपनी इच्छाएं पूरी करते हुए ही खुशियां हासिल करना चाहते हैं। हमें एक कार खरीदने की इच्छा हो सकती है, मकान खरीदने की इच्छा हो सकती है, इतिहास या विज्ञान का अध्ययन करने की इच्छा हो सकती है या किसी भी वस्तु की इच्छा हो सकती है। हमारा जीवन ऐसे ही गुजरता चला जाता है। हम एक के बाद एक इच्छाएं पूरी करने में लगे रहते हैं। इच्छाओं का कोई अंत ही नहीं होता। आधुनिक संस्कृति हममें नई-नई इच्छाएं पैदा करती रहती है। हम पोस्टरों, होर्डिंग्स, टीवी और रेडियो पर रोज नए-नए विज्ञापन देखते हैं। वे हमें सिखाते हैं कि हमारे लिए फलां इलैक्ट्रिॉनिक आइटम या फैशन के कपड़े या फलां कार बहुत जरूरी है। वे यकीन दिलाते हैं कि अगर हम तुरंत ये चीजें नहीं खरीद लेते तो हममें कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है। लेकिन ये चीजें हमें वे स्थायी खुशियां नहीं दे पातीं, जिनका वादा किया जाता है। हम थोड़े समय के लिए जरूर इनसे खुशी हासिल करते हैं, लेकिन इनके खो जाने या नष्ट हो जाने से या रिश्ते-नाते टूट जाने से हमें बहुत तकलीफ बर्दाश्त करनी पड़ती है। 

जीवन के किसी न किसी मोड़ पर यह एहसास जरूर होता है कि इस दुनिया की हर चीज एक न एक दिन नष्ट होनी है। आखिरकार, हमें भी एक दिन इस संसार से जाना ही होगा। तब हम अपनी तमाम प्रिय वस्तुओं को यहीं छोड़ जाएंगे। हमें इस तरह बनाया गया है कि हमारा ध्यान अपनी इच्छाएं पूरी करने में ही लगा रहता है। जरूरत है, सही किस्म की इच्छा पैदा करने की। सबसे पहले हमें एक लक्ष्य तय करना चाहिए। हम अपनी अनमोल सांसें दुनियावी इच्छाओं की पूर्ति में ही जाया कर देते हैं। अंत में महसूस होता है कि इनसे हमें वे स्थाई खुशियां, प्रेम और संतोष नहीं मिला जो हम असल में पाना चाहते थे। युगों-युगों से इस संसार में आने वाले महापुरुष यही बताते आए हैं कि सच्ची खुशी हमें मिल सकती है, लेकिन उसे हम केवल अपने अंतर में पा सकते हैं। बाहरी दुनिया में उसे ढूंढेंगे तो निराशा ही हाथ लगेगी। 

खुशियों का एक ही स्रोत स्थायी है जो हवा, आग, पानी या मिट्टी से नष्ट नहीं हो सकता। स्थायी खुशी केवल अंतर में सच्चे आत्मिक स्वरूप का अनुभव करने में होगी। इसे पाना इतना भी कठिन नहीं जितना हम सोचते हैं। स्थायी खुशी तभी मिल सकती है जब हम उसे सही जगह पर खोजें।


Jai guruji.

No comments: