Monday, January 5, 2015

इस्लाम सिखाता है कि स्त्री और पुरुष एक ही तत्व से पैदा हुए हैं ...

from NBT 


आज जब हर तरफ इस्लाम को आतंकवाद से जोड़कर देखा जा रहा है, यह जरूरी है कि इस धर्म के प्रचारक हजरत मोहम्मद रसूल (स.) के जन्मदिन के मौके पर उनकी शख्सियत और शिक्षाओं पर नजर डाली जाए। रसूल (स.) ने समानता और लोकतंत्र का सिद्धांत पेश किया। उन्होंने फरमाया, ‘सारी प्रशंसा और शुक्र अल्लाह के लिए है, जिसने हमें अज्ञान और अन्य बुराइयों से छुटकारा दिलाया। सभी लोग एक आदम की औलाद हैं और अल्लाह ने आदम को मिट्टी से पैदा किया था। कोई छोटा या बड़ा नहीं है।’

एक दिन उनकी सभा में एक आमीर आदमी के पास एक गरीब मजदूर आकर बैठ गया। अमीर ने बुरा सा मुंह बनाया और उससे हटकर बैठ गया। इसके बाद जब भी वह अमीर रसूल (स.) से बात करना चाहता, तो वे मुंह मोड़ लेते। कुछ दिन बाद उसने आखिर उनसे पूछ ही लिया- ‘आप मुझसे ऐसा बर्ताव क्यों करते हैं/’ उन्होंने उसे उस दिन की बात बताई और कहा कि मैं तुमसे नाराज हूं। तुम उससे माफी मांगो। अगर उसने तुम्हें माफ किया तो समझ लेना कि मैंने भी माफ कर दिया। उनके संपर्क में आने के बाद दुशमन भी उनके इखलाक के आगे अपने हथियार डाल देता था।

इस्लाम सिखाता है कि स्त्री और पुरुष दोनों एक ही तत्व से पैदा हुए। दोनों में एक ही आत्मा है। दोनों में समान रूप से यह क्षमता पाई जाती है कि वे हर तरह से उन्नति कर सकें। तब औरत को उपभोग की वस्तु समझा जाता था। अरब के घर लड़की पैदा होते ही उसे मार दिया जाता था। रसूल (स.) ने न सिर्फ इसका विरोध किया, औरत को उसकी आजादी और हक भी दिलाया। उन्होंने बेटी को बेटे के बराबर बल्कि उससे अधिक मान सम्मान दिया। मक्का पर विजय के बाद वह अरब के मालिक थे, लेकिन पैबंद लगे कपड़े पहनते और घर का छोटे से छोटा काम भी खुद कर लेते। बेसहारा की मदद और बीमारों की तीमारदारी उनका रोज का काम था। 

इस्लाम में आत्मरक्षा में युद्ध की अनुमति दी गई है। रसूल (स.) के जीवन काल में ऐसे कई मौके आए, जब आपने विरोधियों से समझौते और मेल-मिलाप के प्रयास किए, लेकिन जब सारे प्रयास विफल हो गए और जंग के अलावा कोई चारा न रहा, तब आप बचाव के लिए लड़ाई के मैदान में आए। इन जंगों में यह ख्याल हमेशा रखा जाता था कि औरतों, बच्चों, जानवरों और हरे पेड़ों को नुकसान न पहुंचाया जाए। उन्होंने हर धर्म की इज्जत करना सिखाया, लेकिन उनके लिए सबसे बड़ा धर्म मानवता रहा।

Jai Guru ji.

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