Friday, December 26, 2014

जरूरत से ज्यादा संग्रह करना हमारे लिए मुसीबत बन सकता है ...




कुछ चिड़ियां धरती पर पड़े दाने चुग रही थीं। एक आदमी ने जाल डालकर उन्हें पकड़ा और पिंजरे में डाल दिया। पिंजरे में दाना डाला, जिसे तीन चिड़ियों ने चुग लिया, पर चौथी ने नहीं। कुछ दिन यही चलता रहा। एक दिन आदमी को लगा अब वे बाजार ले जाने लायक हो गई थीं। उसने सबसे पहले कुछ न खाने वाली चिड़िया को बाहर निकाला और उसे देखने लगा। तभी वह उड़ी और पेड़ की ऊंची शाख पर बैठ गई। कैद चिड़ियां उससे पूछने लगीं- ‘तुम बाहर कैसे आईं?’ उसने कहा- ‘तुमने खाने का लालच किया, मैंने नहीं। इसलिए मैं आजाद हूं।’

लालच केवल भोजन का नहीं, सब कुछ अधिकाधिक पाने का होता है। वह प्यार हो या रिश्ता, पद हो या प्रसिद्धि, धन हो या सुख, हम थोड़े संतुष्ट नहीं होते। यहीं लालच है और इसे बुरी बला कहा जाता है। ज्यादा की इच्छा अधिकतर मनुष्य के लिए अशुभ साबित होती है। किसी भी इच्छा का असंतुलन जीवन में दुख लाता है। कोई नहीं जानता कि जीवन कितना है, पर जरूरत से कहीं ज्यादा का संग्रह करना एक मुसीबत बन जाता है। काम करना अच्छा माना जाता है, पर उसकी अति कई बार मनुष्य को अपनों से दूर कर देती है, जबकि उसकी कमाई उसकी जरूरत से कहीं ज्यादा होती है और अपनों के काम आती है। शिकागो की एक रिसर्च गजब की है। इसके मुताबिक कुछ लोगों को एक जगह बिठाकर उनसे पहले संगीत, फिर शोर सुनने को कहा गया। अंत में उन्हें चाकलेट मिलनी थी। पर शर्त यह थी कि जितनी वे खा सकेंगे, वही उनकी होगी। बाकी वापस ले ली जाएगी। लेकिन लोग आधी भी नहीं खा सके, पर बिना सोचे समझे उन्होंने शोर का तनाव झेला। मशीन जैसे काम करके जो पैसा मिलता मिलता है, उसकी जगह मन से किए गए काम से मिली खुशी की कोई बराबरी नहीं की जा सकती।

कभी कभी अपनों से प्रेम जुनून बन जाता है। हक बनाए रखने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाना सहज लगता है। हर तरह के त्याग करने के साथ यह कोशिश की जाती है कि वह प्रेम करने वाले की जरूरत महसूस करे। पर यह अतिशयता दम घोटती लगती है। जब नामी-गरामी लोग जेल जाते हैं, तो हम सिहर उठते हैं। ऐसा लालच के कारण होता है। लालच के भी दो पहलू हैं- अच्छा और बुरा। कोई वैज्ञानिक अनुसंधान करता है तो उसे सफल बनाने के लाचल में सुधबुध खो बैठता है। कोई आध्यात्मिक और नैतिक उत्थान के लिए प्रवृत्त होकर उसी में डूबा रहता है तो वह अत्मोन्नति के लिए होकर भी गलत नहीं है।


Jai Guruji.

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