Thursday, January 8, 2015

नारी को लक्ष्मी और सरस्वती ही नहीं, दुर्गा भी बनना होगा ....


एक भयंकर काला नाग था। वह देखने में जितना हिंसक लगता था, उससे भी अधिक खतरनाक था। वह जहां रहता था, उस स्थान के आस-पास जाने की हिम्मत किसी में नहीं थी। एक बार उसका किसी संन्यासी से संपर्क हो गया। संन्यासी ने उसको अहिंसा का उपदेश दिया। उपदेश से नागराज की मानसिकता बदल गई। उसने अहिंसा वृत्ति स्वीकार कर ली। उसके बाद उसने काटना छोड़ दिया, फुफकारना छोड़ दिया और अधिक घूमना-फिरना भी बंद कर दिया।

एक दिन कुछ बच्चों ने देखा- नागराज सोया पड़ा है। उन्होंने कुछ ढेले उठाकर फेंके, पर वह हिला तक नहीं। यह बात पूरे गांव में फैल गई। कुछ और लोग वहां आ गए। लकड़ी और ढेलों से नागराज की अच्छी मरम्मत होने लगी। कुछ दिन बाद वही संन्यासी घूमता-फिरता वहां आ पहुंचा। नागराज संन्यासी को पहचानकर बोला- ‘आपकी अहिंसा ने मुझे मार दिया। इधर के लोग इतना सताते हैं कि मेरा जीना दूभर हो गया है। पहले यही मेरे सामने भी नहीं आ पाते थे। क्या मैं इन सबको सहन करता रहूं/’ संन्यासी ने एक क्षण मुस्कराकर पूछा- ‘तुम किसी को काटते तो नहीं हो/’ नागराज केमना करने पर संन्यासी ने फिर पूछा- ‘क्या तुम फुफकारते भी नहीं हो/’ नागराज ने इस बार भी नकारात्मक उत्तर दिया। संन्यासी बोला- ‘देखो भाई! तुम संन्यासी नहीं हो, तुम्हारी अपनी सीमाएं 

हैं। तुमने अहिंसा का व्रत लिया है, पर इसका अर्थ यह तो नहीं है कि तुम अपने जीवन की सुरक्षा ही न करो।’ इसके 

बाद नागराज ने फिर से फुफकारना शुरू कर दिया। एक ही दिन में लोग उससे 

भय खाने लगे। 

ऐसे ही महिलाएं भी जब तक अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं करेंगी, उसे काम में नहीं लेंगी, समाज उनका मूल्यांकन नहीं करेगा। भलमनसाहत बहुत अच्छी बात है, पर इसमें भी जब अति हो जाती है, जब वह दुर्बलता की प्रतीक बन जाती है। इस दृष्टि से महिला समाज को शक्ति-जागरण और उसके उपयोग में सचेत होना जरूरी है।

लक्ष्मी, शिक्षा और शासना, ये तीनों ही रूप नारी के हैं। लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा को संसार पूजता है। इसलिए केवल लक्ष्मी और सरस्वती बनने से काम नहीं चलेगा। महिलाओं को दुर्गा भी बनना पड़ेगा। हर युग, हर देश और हर जाति की महिला में ये तीनों गुण स्वाभाविक हैं। लक्ष्मी उदारता का, सरस्वती सृजनशीलता की और दुर्गा शक्ति की प्रतीक है। बहनों ने अपने दुर्गा रूप को विस्मृत कर दिया है। महिलाओं को अपनी स्वतंत्र अस्मिता बनानी है तो उन्हें अपनी शक्ति को समझना होगा। 

Jai Guruji


 

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