Thursday, September 18, 2014

जीवन भर सीखते रहने से इंसान के भीतर उत्साह बना रहता है ..


उन दिनों दार्शनिक सुकरात कारावास में थे| उनके बारे में यह मशहूर था कि वे अपने आस-पास के वातावरण और लोगों से कुछ न कुछ सीखते जरूर रहते थे| एक दिन उन्होंने एक मधुर आवाज सुनी। उनका एक साथी कैदी बहुत ही कठिन धुन को बड़ी ही सरलता से अपनी मीठी आवाज में गा रहा था। वे उसके इस हुनर को अक्सर देखते रहते| एक दिन ऐलान कर दिया गया कि कल सुकरात को फांसी दे दी जाएगी| लेकिन अपनी फांसी की खबर से सुनकर उन्हें कोई फर्क न पड़ा। वे उस कैदी के गीत को गौर से सुनते रहे| कुछ देर बाद उसके करीब जाकर बोले- ‘मुझे भी ये संगीत सिखा दो| तुम कितनी आसानी से इतने कठिन सुरों को गा लेते हो! मैं भी ये सुर सीखना चाहता हूं|’ कैदी ने हैरानी जाहिर करते हुए कहा- ‘अब आप क्या करेंगे इन सुरों को सीखकर। कल तो आपको सजा दे दी जाएगी!’ इस पर सुकरात ने मुस्कुराते हुए कहा- ‘लेकिन मैं फिर भी सीखना चाहता हूं| मैं चाहता हूं कि मुझे इस बात की तसल्ली हो कि मैंने अपने जीवन का एक भी दिन जाया नहीं जाने दिया और अपनी अंतिम सांसों तक अच्छी चीजें सीखता रहा|’

मनुष्य के जीवन में सीखने का अंत कभी नहीं होता| जिस घड़ी से इंसान का सीखना बंद हो जाता है, उसी घड़ी से उसका विकास भी थम जाता है| दरअसल हमारा जीवन एक पुस्तक की तरह है और उसमें पाए गए अनुभव उस पुस्तक के एक-एक अध्याय की तरह हैं| हम पूरी जिंदगी अनुभव बटोरते रहें तब भी ज्ञान के ये स्रोत खत्म न होंगे| ये स्रोत ही हमारी चेतना को जगाते हैं|

सदैव कुछ न कुछ सीखते रहना और अपने व्यक्तित्व को निखारते रहना भी एक आदत की तरह है| लेकिन हर व्यक्ति इस आदत को असानी से नहीं अपना सकता| सच तो यह है कि लोग थोड़ा-बहुत सीख जाने के बाद अहंकार से इस कदर भर उठते हैं कि अपने से छोटों से कुछ भी सीखने में अपना अपमान समझते हैं| समझदार मनुष्य इस तुच्छ मानसिकता से ऊपर उठ चुके होते हैं| उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ सीखना ही होता है। इसलिए वे हर छोटे-बड़े से ज्ञान लेते चलते हैं| किसी शायर ने कहा है - सब मैं जानता ही हूं, ये वहम नहीं पाला, मैंने अपने बच्चे से भी खुशी से सीखा है। 

‘सीखने’ की राह में अभिमान सबसे बड़ा रोड़ा है|अभिमानी इंसान अहम के कारण नहीं सीख पाता। उसके व्यक्तित्व का विकास अवरुद्ध होने लगता है| अपनी लगन को जगाकर निरंतर कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए। इससे हमारे भीतर उत्साह बना रहता है। 


Jai Guruji .

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