Monday, July 7, 2014

मानसिक कंडीशनिंग से पूरा हो सकता है कोई भी संकल्प ...


बीस वर्ष की एक लड़की आनुष्का एक रक्तदान शिविर में गई। उसके खून की जांच करने के बाद डॉक्टर ने कहा, ‘तुम रक्तदान नहीं कर सकतीं क्योंकि तुम्हारे खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा इतनी कम है कि कि तुम्हारा एक युनिट ब्लड ले लिया गया तो फौरन चार युनिट ब्लड चढ़ाना पड़ेगा।’ घर आकर उसने सारी बात माता-पिता को बताई। 



उन्होंने एक स्वर में कहा कि पहले तुम अपना ब्लड ठीक कर लो उसके बाद ब्लड डोनेट करना। आनुष्का कुछ न सुन कर बस यही दोहराए जा रही थी कि उसे ब्लड डोनेट करना है। इस बात को कई साल गुजर गए और आनुष्का के घरवालों ने भी समझ लिया कि उसके सर से रक्तदान करने भूत उतर चुका है। एक दिन आनुष्का के पापा ने देखा कि मेज पर रक्तदान का कार्ड पड़ा है जिस पर आनुष्का का नाम लिखा था। सब हैरान थे कि आनुष्का ने रक्तदान किया है। आनुष्का ने कहा कि वह इससे पहले भी ब्लड डोनेट कर चुकी है। ‘लेकिन तुम्हारा हीमोग्लोबिन तो काफी कम था।’ पिता ने कहा। आनुष्का ने कहा, ‘लेकिन अब ठीक है।’ आनुष्का ने कभी आयरन डेफिशिएंसी का इलाज भी नहीं करवाया था फिर कैसे हो पाया ये आश्चर्य/ कैसे खून की कमी से पीड़ित लड़की का हीमोग्लोबिन इतना सामान्य हो गया कि वह ब्लड डोनेट करने लगी/ आनुष्का की जबर्दस्त इच्छा थी कि वह रक्तदान करे। उसने तय कर लिया कि उसे हर हाल में रक्तदान करना है। उसका निश्चय एक संकल्प बन गया। वह इसे बार-बार दोहराती थी। रक्तदान करना उसकी प्रतिष्ठा से जुड़ गया। यह उसके आत्मसम्मान का प्रश्न बन गया। इस संकल्प को पेरा करने के लिए उसकी मानसिक कंडीशनिंग भी हो गई। जब हम किसी उद्देश्य या स्थिति की कामना करते हैं, उसे मन से करना चाहते हैं तो सारी शक्तियां उसे हमें उपलब्ध करवाने के लिए सहयोग करने लगती हैं। इन सहयोगी शक्तियों में हमारा मन सबसे महत्त्वपूर्ण होता है। जब हम किसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए कोई संकल्प लेते हैं तो मस्तिष्क की कोशिकाएं सक्रिय होकर हमें इतना अधिक प्रेरित कर देती हैं कि हम प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से उसकी प्राप्ति में संलग्न हो जाते हैं। अवरोध समाप्त होकर परिस्थितियां हमारे अनुकूल होने लगती हैं और हम अपेक्षित सफलता प्राप्त कर लेते हैं। जब भी हम अच्छे स्वास्थ्य या उससे जुड़ी चीजों के विषय में सोचते हैं तो स्वास्थ्य में अपेक्षित सकारात्मक परिवर्तन होने लगता है। जब हमारे लक्ष्य समाज के हित से जुड़ जाते हैं तो लक्ष्यपूर्ति की प्रक्रिया और भी तेज हो जाती है। shayar  ने तो कहा ही है- मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए।

Jai guruji

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