Monday, July 21, 2014

दूसरों के साथ अपनी तुलना करके खुद को कमतर न आंकें ...


एक कुम्हार घड़ा बना रहा था| पास ही कुछ सुराहियां, दीपक, मूर्तियां और गुल्लकें बनी रखीं थीं ये सभी आपस में बातें कर रहे थे| घड़े ने दीपकों से कहा- ‘तुम सभी कितने सुंदर हो अलग अलग आकृतियों में एक हम हैं... सब के सब मोटे-मोटे| जरा-सा ढलक जाएं तो टूट ही जाएं|’ 

एक दीपक बोला–‘अरे कहां, घड़े काका। हमारा आकार तो देखो आपके आगे कितना छोटा है| किसी सामान के पीछे कब दब कर टूट जाएं, पता भी न चले| ये मूर्तियां हमसे कहीं ज्यादा सुंदर हैं| काश, हम भी मूर्ति होते|’ दीपक और घड़े की बातें सुनकर मूर्तियां भी उदास हो गईं| एक मूर्ति बोली- ‘भैया, ये आप क्या कह रहे हैं! आपको नहीं पता कि हमें इस आकार को पाने के लिए कितनी तकलीफ सहनी पड़ती है| अपने अंगों को जगह-जगह से सुडौल आकार देने की खातिर कितने कष्ट उठाने पड़ते हैं| हमें तो गुल्लक बनना पसंद था| काश, हम गुल्लक होतीं तो सब हमारे भीतर खूब सारे पैसे रखते|’ गुल्लकें काफी देर से सब की बातें सुन रहीं थीं, वे भी विचलित हो उठीं| एक गुल्लक तो बिफर ही पड़ी- ‘आप सब हमारा दर्द नहीं समझ पाएंगे| लोग हमारे भीतर अपनी सबसे प्रिय वस्तु ‘अपना पैसा’ संचित करते हैं ताकि वह इधर-उधर न पड़ा रहे और सुरक्षित रहे, लेकिन इसी पैसे की खातिर वे लोग एक दिन हमें बड़ी निर्ममता से पटक कर फोड़ देते हैं| अब आप ही बताइए, क्या आपको कोई ऐसे तोड़ता है/’

कुम्हार का चाक अपना काम करते हुए इन सभी की तकलीफें सुन रहा था| उसने घड़े को समझाया- ‘तुम बहुत ही उपयोगी हो| अपने शीतल जल से तमाम लोगों की प्यास बुझाते हो और कुछ लोग तो तुम्हारे भीतर अपना अनाज तक रख लेते हैं|’ फिर वह दीपक से बोला- ‘तुम आकार में बेशक छोटे हो, लेकिन तुमसे प्रकाश फूटता है| तुम मंदिरों में जगह पाते हो। घरों और देहरियों को जगमगाते हो|’ इसके बाद चाक ने मूर्तियों की तरफ देखा और कहा- ‘तुम्हारी शोभा इसीलिए है कि तुम इतनी तकलीफ सहती हो| इसीलिए तुम घरों, मंदिरों, ऑफिसों की शोभा बढ़ाती हो|’ आखिर में उसने गुल्लकों की और बड़े प्यार से देखते हुए कहा- ‘तुम सभी बहुत कीमती हो| तुम बच्चों की खुशी हो| तुम लोगों के बुरे वक्त में उनके काम आकर अपना जीवन सार्थक कर देती हो|’

इस तरह वह चाक उन चीजों के साथ-साथ हम इंसानों को भी ये सीख दे गया कि अपने गुणों को पहचानते हुए खुद का भी सम्मान करना चाहिए| दूसरे लोगों के साथ अपनी तुलना करके बेवजह खुद को कमतर नहीं आंकना चाहिए| अपनी-अपनी जगह पर हम सभी उपयोगी हैं| हमें अपना मोल खुद पहचानना चाहिए|

Jai Guruji

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