एक कुम्हार घड़ा बना रहा था| पास ही कुछ सुराहियां, दीपक, मूर्तियां और गुल्लकें
बनी रखीं थीं ये सभी आपस में बातें कर रहे थे| घड़े ने दीपकों से कहा- ‘तुम सभी
कितने सुंदर हो अलग अलग आकृतियों में एक हम हैं... सब के सब मोटे-मोटे| जरा-सा ढलक
जाएं तो टूट ही जाएं|’
एक दीपक बोला–‘अरे कहां, घड़े काका। हमारा आकार तो
देखो आपके आगे कितना छोटा है| किसी सामान के पीछे कब दब कर टूट जाएं, पता भी न चले|
ये मूर्तियां हमसे कहीं ज्यादा सुंदर हैं| काश, हम भी मूर्ति होते|’ दीपक और घड़े की
बातें सुनकर मूर्तियां भी उदास हो गईं| एक मूर्ति बोली- ‘भैया, ये आप क्या कह रहे
हैं! आपको नहीं पता कि हमें इस आकार को पाने के लिए कितनी तकलीफ सहनी पड़ती है| अपने
अंगों को जगह-जगह से सुडौल आकार देने की खातिर कितने कष्ट उठाने पड़ते हैं| हमें तो
गुल्लक बनना पसंद था| काश, हम गुल्लक होतीं तो सब हमारे भीतर खूब सारे पैसे रखते|’
गुल्लकें काफी देर से सब की बातें सुन रहीं थीं, वे भी विचलित हो उठीं| एक गुल्लक
तो बिफर ही पड़ी- ‘आप सब हमारा दर्द नहीं समझ पाएंगे| लोग हमारे भीतर अपनी सबसे
प्रिय वस्तु ‘अपना पैसा’ संचित करते हैं ताकि वह इधर-उधर न पड़ा रहे और सुरक्षित
रहे, लेकिन इसी पैसे की खातिर वे लोग एक दिन हमें बड़ी निर्ममता से पटक कर फोड़ देते
हैं| अब आप ही बताइए, क्या आपको कोई ऐसे तोड़ता है/’
कुम्हार का चाक अपना काम
करते हुए इन सभी की तकलीफें सुन रहा था| उसने घड़े को समझाया- ‘तुम बहुत ही उपयोगी
हो| अपने शीतल जल से तमाम लोगों की प्यास बुझाते हो और कुछ लोग तो तुम्हारे भीतर
अपना अनाज तक रख लेते हैं|’ फिर वह दीपक से बोला- ‘तुम आकार में बेशक छोटे हो,
लेकिन तुमसे प्रकाश फूटता है| तुम मंदिरों में जगह पाते हो। घरों और देहरियों को
जगमगाते हो|’ इसके बाद चाक ने मूर्तियों की तरफ देखा और कहा- ‘तुम्हारी शोभा इसीलिए
है कि तुम इतनी तकलीफ सहती हो| इसीलिए तुम घरों, मंदिरों, ऑफिसों की शोभा बढ़ाती
हो|’ आखिर में उसने गुल्लकों की और बड़े प्यार से देखते हुए कहा- ‘तुम सभी बहुत
कीमती हो| तुम बच्चों की खुशी हो| तुम लोगों के बुरे वक्त में उनके काम आकर अपना
जीवन सार्थक कर देती हो|’
इस तरह वह चाक उन चीजों के साथ-साथ हम इंसानों को
भी ये सीख दे गया कि अपने गुणों को पहचानते हुए खुद का भी सम्मान करना चाहिए| दूसरे
लोगों के साथ अपनी तुलना करके बेवजह खुद को कमतर नहीं आंकना चाहिए| अपनी-अपनी जगह
पर हम सभी उपयोगी हैं| हमें अपना मोल खुद पहचानना चाहिए|
Jai Guruji
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