Thursday, June 5, 2014

एकाग्रता का महत्व

वीरबहादुर एक सर्कस में काम करता था। उसकी खासियत यह था कि वह खतरनाक शेर को भी कुछ ही समय में पालतू बना लेता था। एक दिन सर्कस में एक नौजवान आया। वह जानवरों के हाव-भाव और हरकतों पर रिसर्च कर रहा था। उसने वीरबहादुर से कहा, ‘आपका बहुत नाम सुना है। खतरनाक शेर को भी पालतू कैसे बन लेते हैं आप/’ वीरबहादुर ने मुस्कराते हुए कहा, ‘देखो, यह कोई राज नहीं है। तुम बड़े सही मौके पर आए हो। आज ही मुझे एक खतरनाक शेर को पालतू बनाना है। वह कई लोगों को अपना शिकार बना चुका है। तुम मेरे साथ चलना और वहां खुद देखना कि मैं कैसे यह काम करता हूं।’ नौजवान ने देखा कि वीरबहादुर ने अपने साथ न कोई हथियार लिया और न ही बचाव के लिए कोई दूसरी चीज। उसने अपने साथ बस एक लकड़ी का स्टूल लिया है। वह हैरान था कि स्टूल से वीरबहादुर खतरनाक शेर को कैसे काबू कर लेगा। वहां पहुंचकर उसने देखा कि शेर जैसे ही वीरबहादुर की तरफ गरज कर लपकता, वह स्टूल के पायों को शेर की तरफ कर देता। शेर स्टूल के चारों पायों पर अपना ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करता और असहाय हो जाता। ध्यान बंटने के कारण कुछ ही देर बाद शेर वीरबहादुर का पालतू बन गया। इसके बाद वीरबहादुर ने उस नौजवान से कहा, ‘अक्सर ऐसा होता है कि एकाग्र व्यक्ति साधारण होने पर भी सफल हो जाता है, लेकिन असाधारण व्यक्ति भी ध्यान बंटने के कारण शेर की तरह पराजित हो जाता है।’ नौजवान ने तभी यह तय कर लिया कि वह जीवन में हर काम एकाग्र होकर करेगा।
JAI GURUJI

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