Wednesday, June 11, 2014

रिस्क नहीं लेंगे तो जीवन में कुछ खास हासिल नहीं कर पाएंगे

 

असफल होने पर इंसान अपनी किस्मत को कोसता रहता है। लेकिन वह यह देख ही नहीं पाता कि क्या कभी वाकई उसने किस्मत बनाने की कोशिश भी की/ किस्मत बनाने का फार्मूला तो हमारे पास ही है, लेकिन जागरूकता की कमी यानी अंतर्मन की आवाज न सुन सकने के कारण वह न हमें दिखता है और न ही हम उस पर अमल कर पाते हैं। हम सब कुछ दुनिया की देखा-देखी करते हैं। यह ठीक नहीं। हर इंसान की क्षमताएं अलग हैं तो एक ही विचार सब के लिए फिट कैसे हो सकता है। किसी भी विचार पर हमें अपने नजरिए से काम करना होगा। रोज सैकड़ों विचार आते हैं, लेकिन हम सब पर काम नहीं कर सकते। हम विचार को देखने, उसे पकड़ने और उसका अपने कौशल से मिलान करने की अनदेखी कर जाते हैं। असफलता को सफलता में बदलने के लिए हमें सबसे पहले अपने भीतर पैदा होने वाले हर विचार पर गौर करना चाहिए। उसके बाद उनकी छंटाई करनी चाहिए। फिर उनका अपने कौशल से मिलान करना चाहिए। पूछना चाहिए कि क्या मैं ऐसा कर सकता हूं/ अगर जवाब मिले ‘यस आई कैन’ तो उस विचार को एक्शन में लाना चाहिए। विचार पर निरंतर काम करने की आवश्यकता होती है। यही निरंतरता फिर व्यक्ति की पहचान बनाती है। एक रचनाकार और एक शराब पीने वाले का उदाहरण लें। एक व्यक्ति जिसके मन में कविता लिखने का विचार आया और उसने इस पर नियमित काम किया। उसे एक कवि के रूप में पहचान मिली। लेकिन जिस शख्स के मन में शराब पीने का विचार आया, उसने पीना शुरू किया और फिर बढ़ते-बढ़ते वह रोज ही पीने लगा। इससे उसे भी पहचान तो मिली, लेकिन एक शराबी की। उसका विचार ही गलत था तो गलत पहचान मिली। गलत पहचान से किस्मत फूट तो सकती है, पर बन नहीं सकती। जिस काम को हम निरंतर करते हैं, उसी से हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। और व्यक्तित्व से हमारी किस्मत बनती है। देखा-देखी से तो बस अवसाद और तनाव ही बढ़ता है, किस्मत नहीं बनती। यदि हम किसी और से आइडिया लेते हैं तो यह देखें कि आइडिया देने वाला क्या उस विषय का विशेषज्ञ है/ अगर नहीं तो उसकी बातों पर आगे बढ़ सफलता की सोच कैसे सकते हैं/ सही यह होगा कि विषय में अनुभव रखने वाले किसी व्यक्ति की सलाह लें। लेकिन इन सबसे ऊपर है कुशलता और रिस्क लेने की क्षमता। अगर हम रिस्क नहीं लेंगे तो कुछ खास हासिल नहीं कर सकते। अपनी क्षमताओं और संभावनाओं को देख रिस्क लेना होगा। यह क्षमता तभी आएगी जब हम अपने अंतर्मन को पढ़ सकेंगे।
jai guruji

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