Friday, May 30, 2014

समाज के विकास के लिए चाहिए अच्छा प्रशासन और भाईचारा

समूचे समाज का विकास अच्छा प्रशासन ही कर सकता है। लेकिन जब तक समाज के सभी वर्गों में सद्भावना, समरसता और भावनात्मक एकरूपता न हो तब तक अच्छा प्रशासन सफल नहीं हो पाएगा। इसीलिए नागरिकों से भाईचारे की भावना बनाए रखने की उम्मीद रहती है। यह देश और समाज के विकास के लिए जरूरी है। भाईचारे की भावना का विकास हमारा साझा लक्ष्य है। इस भावना का भी एक आध्यात्मिक आधार यह है कि हम सब आत्माएं हैं, भाई-भाई हैं और हम सबका परमपिता परमात्मा एक ही है। यह एक ऐसा आधार है जो हमारी जिंदगी से लेकर देश तक, हर किसी को मजबूत बनाता है। ऐसा माहौल बनाने के लिए के लिए समाज में आध्यात्मिक जागृति लानी जरूरी है। भले ही लोग किसी भी जाति, संस्कृति या धर्म के हों किंतु वे यह मानकर चलें कि वे सब समान आत्माएं हैं। आपस में भाई-भाई हैं। और इन सबका आधार एक है। इस आधार पर हम ऐसा आदर्श प्रशासन ला सकते हैं, जिसमें भावनात्मक एकता बनी रहे। केवल राष्ट्रवाद के भाव से वह नहीं होगा जैसा भाईचारे की आध्यात्मिक भावना से होगा। लेकिन आज के सामाजिक जीवन में मेल मिलाप और सदभाव कम ही नजर आता है। इसके लुप्त होने का मुख्य कारण यह है कि हम खुद को एक विशेष शरीर समझने लगते हैं। शरीर मानने से ही रंग भेद, भाषा भेद, जाति भेद आदि कई प्रकार के भेद-भाव आ खड़े होते हैं। सोचिए, आखिर ऐसा कौन सा आधार है जिससे यह भेदभाव खत्म हो जाए। यह आधार है- आध्यात्मिकता। आध्यात्मिकता का व्यावहारिक रूप यह है कि हम शरीर नहीं, आत्मा हैं। यह एक परम सत्य है। गीता में भगवान कृष्ण ने समझाया है कि तुम शरीर नहीं, आत्मा हो। आत्मा एक शाश्वस्त अस्तित्व है जो अजर, अमर, अविनाशी है। वह सदा बनी रहती है, इसलिए सत्य है। अगर हम स्वयं को आत्मा मानकर चलते हैं तो दूसरे को भी आत्मा की तरह देखते हैं। परस्पर कल्याण की भावना रखते हैं तो छोटे-बड़े, गरीबी-अमीरी का भेदभाव खत्म हो सकता है। हमारे समाज के बगीचे में अनेक प्रकार के फूल हैं। इससे संपन्नता आती है। वह कहीं भी बाधा नहीं है, लेकिन हमें बहुलता में एकता की साधना करनी होगी। आध्यात्मिकता के आधार पर बहुलतावादी समाज में बेहतर प्रशासन लाना होगा। यह ध्यान रखना जरूरी है कि इसके लिए अच्छा चरित्र बहुत जरूरी है। अच्छे चरित्र का अर्थ है- एकता, भाईचारा और आत्मिक सहयोग आदि को प्रश्रय देना। यह तभी संभव हो सकता है जब हम अपने को एक आत्मा मानेंगे।
JAI GURUJI

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