गुरुकुल में अध्ययन करने आए छात्रों का सत्र पूरा हो रहा था। सभी उत्साहपूर्वक अपने-अपने घर लौटने की तैयारी कर रहे थे। तभी गुरुजी की आवाज सुनाई दी-‘सभी शिष्य मैदान में एकत्र हो जाएं।’ शिष्य मैदान में आकर खड़े हो गए। गुरुजी बोले, ‘प्रिय शिष्यो, मैं चाहता हूं कि यहां से प्रस्थान करने से पहले आप एक बाधा दौड़ में हिस्सा लें। इस दौड़ में आपको एक अंधेरी सुरंग से भी गुजरना पड़ेगा।’ सभी ने एक स्वर में कहा,‘हम तैयार हैं।’ दौड़ शुरू हुई। सभी शिष्य दौड़ते हुए सुरंग से गुजरे। उस सुरंग में जगह-जगह नुकीले पत्थर पड़े थे। उनकी चुभन से उनके पैरों में दर्द हो रहा था। दौड़ पूरी होने पर गुरुजी ने कहा,‘कुछ शिष्यों ने दौड़ बहुत जल्दी पूरी कर ली और कुछ ने बहुत अधिक समय लिया, भला ऐसा क्यों?’ एक शिष्य विनम्रतापूर्वक बोला, ‘गुरुजी हम सभी साथ-साथ दौड़ रहे थे, परंतु सुरंग में पहुंचते ही स्थिति बदल गई। कोई नुकीले पत्थरों की वजह से संभलकर आगे बढ़ रहा था। कुछ साथी ऐसे भी थे जो चुभने वाले पत्थरों को उठाकर जेब में रखते जा रहे थे ताकि पीछे आने वालों को पीड़ा न सहनी पड़े।’ गुरुजी बोले,‘ठीक है, जिन विद्यार्थियों ने पत्थर उठाएं हैं, वे आगे आएं और मुझे वे पत्थर दिखाएं।’ कुछ शिष्य सामने आकर पत्थर निकालने लगे। गुरुजी ने उनमें से एक पत्थर उठाकर शिष्यों से कहा- ‘जिन्हें तुम पत्थर समझ रहे हो, वे तो बहुमूल्य हीरे हैं। असल में इन्हें मैंने ही सुरंग में डाला था। ये हीरे उन शिष्यों को मेरी ओर से उपहार हैं जो दूसरों की पीड़ा के प्रति संवेदनशील हैं। यह दौड़ जीवन की प्रतिस्पर्धा को दर्शाती है, जिसमें हर कोई आगे निकलने के लिए दौड़ रहा है। किंतु अंतिम लक्ष्य उसी का सिद्ध होता है जो इस दौड़ती दुनिया में दूसरों का भला करते हुए आगे बढ़ता है। विजेता तो वही है।’
जय गुरूजी.
In English:
(Gurukul students coming to study in the session was completed. All were enthusiastically preparing to return to their homes. Then the sound of the Guru-disciple'sbi to be collected in the field. 'Disciples came and stood in the grounds. *Guruji said, 'dear disciples, I want out of here before you take part in a relay race. In this race, you will undergo a dark tunnel. "All said in unison," We are ready. "The race began. All students went through the tunnel running. Places in the tunnel there were sharp stones. His prick was a pain in his legs. At the end of the race Guruji said, "Some pupils have completed the race very quickly, and some took too long, Oh Why?" A disciple politely said, 'Master, we were all running together, but in the tunnel as soon as the situation has changed. No caution was moving because of sharp stones. Some friends who were also interested in stinging pockets were being picked up stones in order to bear the suffering of those who have come back. 'Master said,' Well, the students have taken to the stone, to come forward and show me the stone . "some pupils come out and stone finds. Guruji said to them, one of them picked up a stone- 'The stone you understand, they are valuable diamonds. I'd put them in the tunnel, in fact. These diamonds are a gift from my followers to those who are sensitive to the suffering of others. It reflects the competitiveness of the race of life, in which everyone is racing to overtake. But the ultimate goal is accomplished the same in this world good for others while running forward. The winner is the same.")
Jai Guruji.
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*Guruji - Spiritual Saint
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