सत्साहस सफलता की कुंजी तो है ही, जीवन विकास का जीवन मूल्य भी है। साहस और सत्साहस दो शब्द हैं। आमतौर पर सत्साहस को साहस (जिसका मायने निर्भीक और निडर होता है) के अर्थ में लिया जाता है, लेकिन साहस और सत्साहस में फर्क है। किसी शब्द के आग जब ‘सत् ’ शब्द लग जाता है तो उसका अर्थ विशेष हो जाता है। कहा जाता है कि यदि मानवीय रास्ते पर आगे बढ़ना है तो सत्साहसी बनना होगा। महान् दार्शनिक सुकरात अपने सत्साहस के बल पर हमेशा सत्य ही स्वीकारते और बोलते थे। साहस शरीर की शक्ति का नाम है तो सत्साहस आत्मा की शक्ति का नाम है। प्रबल विचारशक्ति के साथ निरंतर आगे बढ़ते रहना सत्साहस है। दुनिया में सभी महापुरुषों का जीवन सत्साहस से परिपूर्ण दिखाई पड़ता है। अंधकार को चीरने, विकट दुख में भी घबराए बगैर आगे बढ़ते रहने और असंभव को भी संभव करने का नाम है सत्साहस। इंसानियत, देश, समाज और सत्य के लिए मौत को हंसते हुए गले लगाने वाले में सत्साहस का ही आलोक होता है। जब हमारे अंदर संवेदना अपनी पूर्णता की राह पर बढ़ती जाती है तब सत्साहस हमारे अंदर इतना भर जाता है कि हम अज्ञान, अनाचार, हिंसा, अमानवीयता और क्रूरता को परास्त कर डालते हैं। सत्य और साहस जब मिल जाते हैं तब व्यक्ति आत्मजयी ही नहीं विश्वविजयी हो जाता है। सत्य को साहस की यदि किरणों न मिलें तो व्यक्ति कुछ भी नहीं कर सकता है। सभी लोग किसी गलत को भी ‘हां’. ‘हां कह रहे हों और आप उसे अनुचित समझकर ‘नहीं’ ‘नहीं’ कह दें-यह भी सत्साहस है। किसी निदरेष व्यक्ति पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ सीना तानकर खड़े हो जाना भी सत्साहस है। कहीं कोई राष्ट्र का अपमान कर रहा है, वहां कोई उसका विरोध करने वाला नहीं दिख रहा है, ऐसे में उसका विरोधकर उसे ललकारना भी सत्साहस ही है। किसी को बचाने के लिए जीवन की बाजी लगाना भी सत्साहस ही है। सत्य के प्रति दृढ़ता के साथ अटल चट्टान की तरह दृढ़ बने रहना भी हमारे सत्साहस का ही प्रतीक है। गीता में भगवान कृष्ण सत्साहस को आत्मा का गौरव कहते हैं। ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं हो सकता। आज समाज में सत्साहस की सबसे अधिक जरूरत है।
जय गुरूजी.
In English:
(*Satsahs key to success there is a development of life is worth living. Courage and Satsahs two words. Typically Satsahs courage (which is truly bold and fearless) is taken to mean, but in courage and Satsahs difference. When the fire of a word 'truth' is the term used to take his meaning becomes special. It is said that the human way will be Satsahsi then proceed. The great philosopher Socrates on the strength of his Satsahs always spoke the truth and accept. Courage is the name of the body's strength is the name of the Satsahs Spirit. With continued strong Vicharskti is Satsahs keep moving. All men in the world, full of life Satsahs appears. Darkness sawing, formidable and impossible to continue without suffering too scared to name Satsahs possible. Humane, country, society and death for the truth of laughs Satsahs in embracing the same light. On its way to its perfection in our sense grows and is filled so that we in our ignorance Satsahs, incest, violence, inhumanity and cruelty Let defeated. When you go to find the truth and the courage not only Biswvijayi Atmjayi person gets. Not see the light of truth daring person can not do anything. All people have a wrong one, yes .. yes if to say and inappropriate mistaking him 'no' say no let-it is Satsahs. Nidresh atrocities on any person to stand against the upturned chest is also Satsahs. No nation has been insulted, do not see there is no one to oppose him, such as his Virodkr Satsahs is also defy him. To save the life of a bet is also Satsahs. Truth to remain firmly stand firm as a rock, a reflection of our Satsahs. Lord Krishna says in the Gita Satsahs pride of the soul. Such a person can not fail in life. Satsahs in today's society most needs.)
Jai Guruji.
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*Satsahs - Truth be adventurous with..
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