Sunday, May 29, 2016

नतीजों के आधार पर क्षमता का फैसला न्यायपूर्ण नहीं है ..(Based on the results, potential The decision is not fair...)


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हममें से अधिकतर लोगों का मन केवल सफलता की चाह रखता है। वह सफलता को प्रसिद्धि से जोड़ कर चलता है। उम्र कोई भी हो, काम छोटा हो या बड़ा, जब तक प्रशंसा न मिले व्यक्ति खिन्न ही रहता है। दूसरे की प्रशंसा करना, उसकी सफलता से सहज रूप में प्रसन्न होना, हर किसी के वश की बात नहीं होती। जो हम नहीं दे पाते उसकी दूसरे से अपेक्षा करने वाला हमेशा दुखी रहेगा। अपने काम से स्वयं खुश होना आवश्यक है, क्योंकि व्यक्ति का अंतर्मन जानता है कि उसने उस काम को अपना पूर्ण समर्पण और प्रयत्न दिया है या नहीं। 

मन से सही ढंग से काम को पूरा कर पाना मनुष्य को आधी सफलता तक तो पहुंचा ही देता है। फिर भी कभी सफलता मिल जाती है और कभी नहीं मिल पाती। किंतु सफलता देवी की तरह नहीं पूजी जानी चाहिए। वह केवल इष्ट प्राप्ति के एक माध्यम की तरह ली जानी चाहिए। क्योंकि सच यह है कि केवल ताकत या बुद्धिमानी से नहीं, हमारे निरंतर किए जाने वाले प्रयासों से ही संभावनाओं के नए द्वार खुलते हैं। माना कि इंसान की नजर उच्चतम लक्ष्य की ओर होनी चाहिए, परंतु इसका मतलब यह कदापि नहीं है कि जो हासिल किया गया वह बेमानी है। प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता अलग होती है। जो किसी व्यक्ति को मिलता है, शायद उसके लिए वही संभव हो। या फिर कोशिश से वह और बेहतर हो सकता है। यह मेहनत करने वाला खुद ही अच्छी तरह आंक सकता है। दूसरों के दबाव या सुझाव से तय किया चुनाव गलत साबित हो सकता है, पर सदा दिमाग के पास भी वह नक्शा नहीं होता जो यह बता सके कि दिल कहां जाना चाहता है। असंगत ताल-मेल से सफलता की इच्छा अधूरी रह जाती है। इसीलिए नतीजों के आधार पर क्षमता का फैसला अन्यायपूर्ण होता है। परीक्षाफल का आना सभी के लिए तनावपूर्ण होता है। कुछ छात्र तो नतीजा जाने बिना महज आशंका से आत्महत्या कर लेते हैं, जबकि कुछ दूसरे अपने सोचे प्रतिशतों से कम होने की खुद को सजा देने लगते हैं।

इसके लिए उनके परिवारों और शिक्षकों को खुद को जिम्मेदार मानना चाहिए। आज छात्रों को प्रतिशतों के फेर में उलझा दिया जाता है। उनकी शिक्षा उन्हें इतना दुर्बल बनाती है कि वे जीवन को परीक्षाफल का मोहताज मान कर चलते हैं। 

क्या उनसे अपेक्षाएं ज्यादा हैं? या आज के पैमाने ज्यादा ही ऊंचे होते जा रहे हैं? क्या उनमें यह भरोसा नहीं जगाना चाहिए कि हार के बाद सब रास्ते बंद नहीं होते। खुद में विश्वास और निरंतर प्रयास बंद दरवाजों को खोल कर सफलता की राह दिखा देगा। कथाकार एना जेकब्स का मानना है, ‘जिंदगी की हवा हमें जिधर ले जाती है, आशा के पंख उससे कहीं ऊपर उड़ा कर ले जाते हैं।’

जय गुरूजी. 

In English:
(Most of us want the people's heart has only succeed. He suggests adding the success of fame. Whatever the age, the work is big or small, as long as you do not praise the person remains upset. To praise each other, happy to be as comfortable with his success, there is no power to everyone. Other than that we can not give her that will always be unhappy. His job is to be happy yourself, because the person's conscience knows that he has to work their full dedication and effort or not.

Working correctly to fill the mind of man is only half the success reached so far. However, never ever to find and harder to find success. But success should be worshiped like a goddess. She should be favored as a means of attainment. Because the truth is that not only the strength or wisdom, our continued efforts to open the door to new possibilities. Believed to be the highest goal of human eye, but never mean that it has been achieved that is redundant. The ability of each person is different. Any person who is found, probably the same for him as possible. Or try to be better than he is. This work, which can assess themselves well. Others come from the pressure or suggestion could be proven wrong, but always mind also that the map is not the heart to tell where it wants to go. Inconsistent tie desire success remains incomplete. Therefore, based on the ability to decide the outcome is unjust. The result would be stressful for everyone. Some students fear the consequences of not knowing just commit suicide, while others thought his punishment themselves seem to be lower than percentages.

This should be considered responsible for their families and teachers. Today, students are engaged in back percentages. Their education makes them so weak that they assume a life obedient to the result.

What are the expectations from them? Or scale of today are becoming too high? Do not trust them, it should wake up after that are not closed all the way. Believe in yourself and the constant effort to open closed doors will show the way to success. Storyteller Anna Jacobs believes, "Wherever life takes us to the air, wings of hope than that tend to get blown up.")

Jai Guruji.

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