Monday, April 4, 2016

सच्चा जीवन ..(true life ..)


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कहते हैं कि जीवन का आरंभ अपने रोने, जबकि अंत दूसरों के रोने से होता है और इस आरंभ और अंत के बीच का समय भरपूर हास्य और प्रेम से भरा होना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि यही सच्चा जीवन है। दरअसल जीवन एक लंबी यात्र के समान है। इसलिए इसमें अवरोध आने स्वाभाविक हैं, लेकिन ऐसे में कुछ लोग बुरी तरह घबरा जाते हैं और प्रेम-हास्य में भरा जीवन उन्हें दुखदायी लगने लगता है। वे ईश्वर को भला-बुरा कहने लगते हैं, लेकिन जब वे संकट से उबर जाते हैं, तब उन्हें जीवन का असली मर्म समझ में आता है। एक बार रामकृष्ण परमहंस के गले में नासूर हो गया तो उनके शिष्य बोले कि यदि वे अपने मन को एकाग्र करके यह कहें कि ‘रोग चला जा’ तो उनका रोग मिट जाएगा। इस पर रामकृष्ण परमहंस बोले, जो हृदय मुङो मां का स्मरण करने के लिए मिला है, उसे मैं सांसारिक काम में क्यों लगाऊं। उनके शिष्यों ने उनसे आग्रह किया कि आप मां को ही कह दें कि वह आपको रोगमुक्त करें। परमहंस मुस्कुराते हुए बोले कि मैं ऐसी मूर्खता क्यों करूं। मां तो दयामयी, सर्वज्ञ और सर्व-समर्थ हैं। उन्हें मेरे कल्याण के लिए जो उचित लगेगा, वे वही करेंगी। मैं उनके कार्य में बाधा क्यों डालूं। शिष्यों के पास इस तर्क का कोई उत्तर नहीं था। दरअसल हमें जीवन में छोटी-छोटी बातों पर हतोत्साहित होने के बजाय अपने और परमात्मा पर विश्वास करना सीखना चाहिए। कभी किसी बच्चे को डराने का विनोद करने के लिए हम अपना चेहरा डरावना बना लेते हैं, उसी तरह ईश्वर भी हमारे साथ विनोद करता है। इसका मतलब यह है कि बच्चे भयावह परिस्थितियों का मुकाबला कर सकें और उनकी डरने की आदत छूट जाए। इसलिए हमें भी जीवन की विपरीत परिस्थितियों से डरने के बजाय कठिन परिस्थितियों का मुकाबला करना चाहिए। दरअसल हम सभी समय-समय पर द्वेष, क्रोध, भय, ईष्र्या के कारण दुखी होते हैं। इस वजह से हम औरों को भी दुखी बनाते हैं और इस तरह हमारे आसपास का पूरा माहौल नकारात्मक हो जाता है। इसके बाद हम जीवन से निराश होने लगते हैं। यह जीवन जीने का सही तरीका नहीं है। इसके बजाय हमें शांतिपूर्वक जीवन जीना चाहिए और दूसरों के लिए भी शांति का निर्माण करना चाहिए। सच्चे अर्थो में यही सच्चा जीवन है।
जय गुरूजी. 

In English:

(Says his life started to cry, while the others are crying all the time between the start and end must be filled with humour and love. Because that is the true life. In fact, life is like a long journey. Therefore the natural barrier, but such badly some people get nervous and painful it can be to them a life full of love, humour. They seem to say to God, good and evil, but when they are recovering from the crisis, the real heart of their life makes sense. Ramakrishna was a canker sore that if they speak their minds, their disciples converging say that 'Go disease', their disease will disappear. And Ramakrishna said, the heart has to recall Turn mother, sitting down and asking him why I work mundane. His disciples asked him, you just tell the mother that you heal. I said, why do such stupidity Paramhans smiling. So Merciful mother, omniscient and all-capable. The fair will take them for my welfare, they will do what. Why I lay inhibits their function. The disciples did not respond to this argument. The small things in life instead of being discouraged and must learn to trust in God. Joke to scare any child we are able to make your face scary, just as God does with us merriment. This means that children can compete on the appalling conditions and their fear When the habit. So rather than fear adversity of life, we must combat the difficult circumstances. In fact, from time to time we all hate, anger, fear, jealousy are saddened by. This is why we make others unhappy and the whole atmosphere around us is negative. Then we seem to be disappointed with life. This is not the right way of life. Instead, we should live a life of peace and tranquility must build for others. The true meaning is the true life.)
Jai Guruji.

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