संसार सुख और दुख, दोनों का मिला-जुला रूप है। कोई इसे अपनी सोच से सुखदाई बनाता है तो कोई दुखदाई। सच देखा जाए तो दोनों स्थितियां सिक्के के चित-पट की तरह है। सिक्के को किसी तरह रखा जाए, उसकी कीमत नहीं घटती। इसी तरह जीवन को भी लेना चाहिए। हमारे आध्यात्मिक ग्रंथों में शिव को बहुत सरल देवता के रूप में दर्शाया गया है। लोकहित के लिए समुद्र मंथन के वक्त वे खुद आगे बढ़कर विष पीते हैं। जब व्यक्ति सहजता से विसंगतियों के जहर को आत्मसात करता है तो उससे भयाक्रांत नहीं होता और जब विपरीत हालात को सच में जहर मान लेता है तो वह घबरा जाता है। विपरीतता प्राय: असफलता, धोखा आदि से आती है। यदि कोई छल-छद्म करे, अप्रिय स्थिति उत्पन्न करे और उसे जहर की तरह पीने की स्थिति बन जाए तब उस जहर को भगवान शंकर की तरह कंठ में ही रोक लेना चाहिए। यदि जहर हृदय में उतरा तो मन क्षुब्ध होगा, बदला लेने का भाव जाग्रत होगा, जिसका अंततोगत्वा नुकसान उसी का होगा। इतने बड़े त्याग के बावजूद भगवान शंकर सिर्फ एक लोटा जल चढ़ाने से प्रसन्न हो जाते हैं। जीवन में जो भी प्राप्त हो रहा है, वह मनुष्य के प्रयत्न का परिणाम है। इससे संतुष्ट होने की आदत डालनी चाहिए। भगवान शिव की स्तुति करते समय हमारे ऋषियों ने लिखा है कि काले पत्थर को स्याही, समुद्र को दवात, कल्पद्रुम को लेखनी और पूरी पृथ्वी को कागज बनाकर साक्षात् माता सरस्वती उनकी महिमा लिखें तब भी भगवान की महिमा नहीं लिखी जा सकेगी। इसके निहितार्थ पर ध्यान देना होगा कि हमें भी जिंदगी की विसंगतियों को काले पत्थर की स्याही, सकारात्मक चिंतनधारा को समुद्र की तरह दवात, दृढ़ संकल्पों को कल्पद्रुम की लेखनी, जीवनपथ को धरती की तरह कागज बनाकर बुद्धि रूपी सरस्वती भी महाकाल की व्याख्या करें तो जीवन में आनंद के इतने अवसर हैं कि उनकी व्याख्या नहीं हो सकती। इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए कि जब व्यक्ति नकारात्मक जीवन जीता है, तो अज्ञात भय चुपके से उसके जीवन में प्रवेश कर जाता है और यह भय मन को कमजोर करने के साथ शरीर के अवयवों को क्षतिग्रस्त करता है।
जय गुरूजी.
In English:
(World, happiness and misery, is a combination of both. Your thinking makes it so painful Sukdai no. Indeed, flat-tails of the coin really like both positions. Coins should be some way, the price decrease. Similarly, should take life too. Our spiritual texts as the god Shiva is depicted very simple. Churned the sea to the public interest when they drink the poison from the front. When the person does so effortlessly assimilate the poison of discrepancies would not intimidate him, and when adversity takes the values that have poisoned really nervous. Disparity often failure, fraud, etc. comes from. If a false proxy, to raise unpleasant situation and conditions should become like poison to drink poison and he should stop in the throat, like Lord Shiva. Upset mind would have landed in the poison heart, a feeling of revenge will be aware, the same will eventually harm. Despite such a large sacrifice of Lord Shiva are pleased to offer just a pot of water. In life is to be gained, it is the result of human effort. This habit should be satisfied. Lord Shiva bless our sages wrote that the black ink stone, sea inkstand, Kalpdraum interview by the stylus and the earth mother Saraswati paper type their glory and the glory of the Lord shall not be written. The implication is that we must focus on the inconsistencies of the life of black ink stone, ink pot positive Cintndhara like the sea, Kalpdraum determination of the stylus, making paper like lifeway earth Saraswati, Mahakala Explain the life of your intellect there are so many opportunities to enjoy in their interpretation can not. It should always remember that the person lives in the negative, then enters her life secretly fear the unknown and fear of weakening the heart is damaged organs.)
Jai Guruji.
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