Sunday, May 3, 2015

क्रोध पर नियंत्रण जरूरी ..(Necessary to control anger...)


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सफलता का सबसे प्रमुख अवरोधक क्रोध है। क्रोध मनुष्य का एक बहुत खतरनाक अवगुण है। क्रोध वह कीड़ा है जो सूक्ष्म रूप से मनुष्य के अंदर घुसता है और यदि उस कीड़े पर तुरंत नियंत्रण नहीं किया जाए तो वह विकराल रूप धारण कर लेता है और मनुष्य को विनाश के मार्ग पर धकेल देता है। क्रोध के बढ़ने पर मनुष्य का मन, बुद्धि आदि उसके वश में नहीं रहते। क्रोध मनुष्य को असफलता, अपराध और गलत निर्णय की ओर ले जाता है। प्रख्यात वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने कहा है - ‘‘नाड़ी में आघात क्रोध से होता है। क्रोध बढ़ा तो आघात भी बढ़ा। जरा-सा क्रोध भी पीड़ा का कारण है। भय से नसें नष्ट होतीं हैं, ताप से और चिंता से झुलसती हैं। क्रोध को जीतना मृत्यु पर विजय प्राप्त करना है।’’ क्रोधी मनुष्य आवेश में हत्या या आत्महत्या तक कर लेता है। उसके सोचने-समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है। क्रोध प्राय: साधारण कारणों से उत्पन्न होता है और साधारणत: ही उसे समाप्त भी किया जा सकता है। क्रोध मनुष्य को असफलता के पास तो पहुंचाता ही है, साथ ही उन लोगों को भी आहत करता है जो उसकी क्रोधाग्नि की चपेट में आते हैं। क्रोधी व्यक्ति का मानसिक संतुलन कभी ठीक नहीं रहता। क्रोध करने वालों से लोग दूर भागने लगते हैं। उनसे बात करने में कतराने लगते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि न जाने कब वे भड़क जाएं और झगड़ा हो जाए। एक तरह से ऐसे व्यक्ति समाज से कट जाते हैं जो उनकी सफलता के लिए अत्यंत घातक होता है।  अक्सर क्रोध पर नियंत्रण करने के लिए मुट्ठी भींच लेने या उल्टी गिनती करने की बात कही जाती है। क्यों क्रोध के समय में इंसान विवेक खो देता है? स्वभाव में चिड़चिडापन आ जाता है। बेसब्री में सही निर्णय लेना व उचित व्यवहार असंभव हो जाता है। इस तरह के व्यवहार से लोग खिन्न होते हैं। समस्याएं सुलझने की बजाए उलझ जाती हैं। क्रोध के समय शांत रहने और सब्र रखने में ही भलाई है। धीरे-धीरे समस्याएं सुलझने लगेंगी। एक शांत मस्तिष्क ही सही फैसले और उचित व्यवहार कर सकता है। इसी संदर्भ में किसी विद्वान ने कहा है कि अक्रोध से क्रोध को जीतें, दुष्ट को भलाई से जीतें, कृपण को दान से जीतें और झूठ बोलने वाले को सत्य से जीतें। क्रोध को वश में कर लेने पर क्रोध बढ़ता है और आवेश को आत्मबल के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। इसलिए क्रोध को अपने मन में न लाये, और सदैव अपने मस्तिष्क को ठंडा रखे. 
जय गुरुजी. 

In English:

(The major barrier to success is anger. The anger of man is a very dangerous demerit. Anger grows human mind, intellect, etc. are not in its power. Anger man failure, guilt and leads to wrong decisions. Renowned scientist Jagadish Chandra Basu has said - 'the shock pulse is anger. Increased anger increased the trauma. Just a little anger is the cause of the pain. Fear would destroy the nerves, the heat and anxiety are scorched. Winning has anger conquered death. 'Spitfire takes up murder or suicide in a huff. Comprehension his thinking ends. Anger often is generated by simple reasons, and generally can be finished him. Anger man then leads to failure, as well as those vulnerable to the hurt that his angels to come. Grumpy person's mental balance remains never recover. Anger away from those people seem to escape. Ktrane begin to speak. This is because, not knowing when they go out and fight it. One such individual that are cut off from society for their success is extremely deadly. Often anger control or countdown to the fist to take mouth is alleged. Why in times of anger, the person loses sanity? Ratty nature comes in. Eagerly take the right decisions and appropriate behavior becomes impossible. People are upset by such behavior. Are mixed rather than solve problems. Anger is safest time to stay calm and keep patience. Gradually it will solve problems. A quiet mind is the only right decisions and appropriate behavior. In this context, a scholar said that the wrath of angry Win, Win of goodness to evil, miserly donations and lie-teller of truths Win Win. Once subdued anger anger grows and can be modified as self charge. Therefore anger is not brought into your mind, and always keep your mind cool.)
Jai Guruji.

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