सांस ही जीवन है और इस डोर का टूटना ही मृत्यु है। इसी सांस में स्वास्थ्य का खजाना
छुपा है। इसे स्वर विज्ञान कहते हैं। इसके आधार से बाएं नाक में चंद्र स्वर और दाईं
में सूर्य स्वर बहता है। चंद्र स्वर में इड़ा नाड़ी होती है, यह ठंडी प्रकृति का होता
है। जब सांस इससे आती-जाती है तब शरीर में ठंडक आती है यह हमारे दाएं मस्तिष्क को
सक्रिय बनाता है जबकि सूर्य स्वर में पिंगला नाड़ी होती है। यह स्वर गर्म प्रकृति का
होता है। जब सांस दाएं से आती-जाती है तब शरीर में गर्मी आती है और यह बाएं
मस्तिष्क को सक्रिय बनाती है। सुबह उठने से लगभग ढाई घड़ी यानी एक घंटे तक एक स्वर
चलता है और फिर यह स्वर शरीर की आवश्यकता के अनुसार बदल जाता है। स्वर के बदलते समय
कुछ देर के लिए ऊर्जा मस्तिष्क के मध्य भाग में बहने लगती है। तब ये दोनों स्वर
चलने लगते हैं। अब एक तीसरी नाड़ी चलने लगती है जिसे सुषुम्ना कहते हैं। यह
आध्यात्मिक दृष्टि से बड़ी महत्वपूर्ण होती है। यह मध्य नाड़ी चक्रों में बहती ऊर्जा
को उर्ध्वगामी कराती है। यह स्वर लगभग तीन-चार मिनट चलता है, इस समय व्यक्ति शांति
का अनुभव करता है। ध्यान में बैठने पर या किसी महापुरुष के सामने आने या मंदिर और
धार्मिक स्थान में सुषुम्ना खुल जाती। दरअसल जीवन और मृत्यु के बीच की डोर हमारी
सांस है।
इन्हीं स्वरों को व्यवस्थित करने के लिए प्राणायाम किया जाता है
ताकि इन स्वरों में ठीक प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होकर शरीर स्वस्थ बना रहे। स्वर
के गड़बड़ाने से रोग पैदा होते हैं। प्राणायाम इन्हीं स्वरों को व्यवस्थित करके रोग
ठीक कर देता है। स्वर शास्त्र बताता है कि किस स्वर के चलने पर क्या करें और क्या न
करें। जैसे बाएं स्वर के चलने पर सौम्य व स्थिर कर्म करें और दायें स्वर के चलने पर
शारीरिक परिश्रम के कार्य करें तो थकान नहीं होगी। सुषुम्ना चलने पर ध्यान, भक्ति,
स्वाध्याय में रहना चाहिए क्योंकि इस समय कोई और कार्य सिद्ध नहीं होता। शास्त्र
कहता है जिससे बात कर रहे हों उसी नासारंध्र की तरफ उस व्यक्ति को रखकर बात करें तो
सफलता मिलती है। दूर देश जाना हो तो चंद्रमा नाड़ी और समीप देश जाना हो तो सूर्य
नाड़ी में गमन करें। दाएं स्वर में भोजन करें और बाएं में जल पिएं। घर से निकलने के
समय जो स्वर चल रहा हो यदि वही पैर पहले बाहर निकालें तो कार्य पूर्ण होता है। इस
प्रकार यह विज्ञान अनेक जानकारी देता है।
Jai Guruji.
Please write and suggest :
E-mail: birendrathink@gmail.com
https://birendrathink.blogspot.com
https://twitter.com/birujee
No comments:
Post a Comment