Tuesday, October 14, 2014

मैडम क्यूरी की सीख ...

नोबेल पुरस्कार मिलते ही मैडम क्यूरी की ख्याति दुनिया भर में फैल गई। हर देश के लोग उनसे मिलने और उनके बारे में जानने को उत्सुक रहते थे। लेकिन मैडम को इन सब में कोई खास दिलचस्पी न थी। वह अपनी उपलब्धि और प्रसिद्धि से बेखबर रहती थीं। उनके रहन-सहन और स्वभाव में कोई तब्दीली नहीं आई। उन्हें बस अपने काम से मतलब रहता था। वह दिन-रात अध्ययन और शोध में लगी रहती थीं। एक बार एक नामी अखबार का संवाददाता उनका साक्षात्कार लेने उनके घर पहुंचा। बाहर बैठीं मैडम को उसने नौकरानी समझा और पूछा-‘क्या आप इस घर की नौकरानी हैं/’ मैडम क्यूरी ने कहा- ‘जी हां, कहिए क्या बात है/’ इस पर संवाददाता ने पूछा- ‘क्या घर की मालकिन घर में हैं/’ मैडम क्यूरी ने कहा- ‘नहीं, वह बाहर गई हैं।’ संवाददाता ने फिर पूछा- ‘क्या वह जल्दी ही लौट आएंगी/’ मैडम क्यूरी ने कहा- ‘वह जल्दी नहीं लौटेंगी।’ यह सुनकर संवाददाता सोच में पड़ गया। फिर वह जाने लगा। तभी अचानक उसके दिमाग में एक बात आई। उसने रुककर पूछा- ‘क्या वह आपको कुछ कहकर गई हैं/’ मैडम क्यूरी ने कुछ सोचते हुए कहा- ‘हां, उन्होंने कहा है कि अगर कोई आए तो बता देना कि लोगों को उनकी वेशभूषा से नहीं, उनके विचारों और काम से पहचानना चाहिए।’ यह बात सुनकर संवाददाता का माथा ठनका। उसे सब समझ में गया। वह बहुत शर्मिंदा हुआ। उसने मैडम क्यूरी से क्षमा मांगी। उन्होंने उसे माफ भी कर दिया। इसके बाद वह संवाददाता जिससे भी मिलता मैडम क्यूरी की सरलता व उदारता की तारीफ जरूर करता।

Jai Guruji.

Email: birendrathink@gmail.com

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