Wednesday, August 20, 2014

हमारे जीवन की तमाम समस्याएं सिर्फ हमारे दिमाग में रहती हैं ..........


आज इस संसार में कई प्रकार के धर्म हैं। कोई कहता है, ‘मैं हिंदू हूं’ तो वह हिंदू कहां से है/ दिमाग से है। अगर सचमुच में मनुष्य हड्डियों से हिंदू है तो अगर वह अपना धर्म बदलना चाहे तो बदल नहीं सकता। परंतु लोग तो धर्म बदलते हैं। हिंदू लोग मुसलमान बन जाते हैं, हिंदू लोग ईसाई बन जाते हैं, ईसाई लोग हिंदू बन जाते हैं। इसलिए धर्म हड्डियों में नहीं है, खून में नहीं है, चमड़ी में नहीं है, आंख में नहीं है, नाक में नहीं है, दांत में नहीं है, जबान में नहीं है। वह दिमाग में है।

हमारी तमाम समस्याएं भी कहां हैं/ सिर्फ हमारे दिमाग में हैं। आपकी समस्या कितनी बड़ी है/ ज्यादा बड़ी नहीं है। आपके दिमाग से बड़ी तो हो नहीं सकती। इतनी ही बड़ी है आपकी समस्या। यह दिमाग अगर ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा है तो आपकी सारी समस्याएं खत्म। कभी अगर दिमाग में चोट लग जाए और आदमी अपनी याददाश्त तक भूल जाए, तो कौन किसका बेटा है/ कौन किसकी बेटी है/ कौन किसकी बीवी है/ और जब यह दिमाग ठीक ढंग से काम कर रहा है तो सारी बातें होती हैं- किसने क्या कहा/ उसने मुझसे यह कह दिया, तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों कर दिया। 

हम सभी मनुष्य हैं। हमें मिल जुलकर रहना चाहिए। एक ही पृथ्वी है। कोई पृथ्वियों का मोहल्ला तो है नहीं कि एक मोहल्ले में आपकी दाल नहीं गली तो दूसरे मोहल्ले में चले जाएं। एक ही पृथ्वी है। इसी में हम सब रहते हैं। इसी में हम सभी को रहना है। हमारी भलाई इसी में है कि हम सब मिल-जुलकर रहें। उस परमपिता परमेश्वर को समझें अपनी जिंदगी के अंदर शांति और आनंद लाएं। चैन से आनंद से अपनी जिंदगी बिताएं, क्योंकि एक दिन सबको जाना ही है। कोई ऐसी स्कीम बनाएं जिससे देश में सुख-शांति आए, सब जगह प्रगति हो। सिर्फ शहरों का विकास विकास नहीं होता। सबको प्रगति चाहिए। अगर कुछ लोग भूखे हैं, तो इसका मतलब है कि दाल में कुछ काला है। क्योंकि व्यवस्थापकों का प्रजा के प्रति सबसे बड़ा फर्ज बनता है कि प्रजा सुखी रहे। ऐसा नहीं है कि सबके पास सौ-सौ मंजिला घर हो, पर कम से कम रहने के लिए जगह हो, खाने के लिए भोजन हो। बीमार पड़ें तो उनके लिए कोई न कोई चिकित्सा की सुविधा हो। बच्चे पढ़-लिख सकें। ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। बाहरी सुख-सुविधा के साधन तो चाहिए ही, उन्हें आंतरिक संतुष्टि और शांति की जरूरत है। जिस चीज की आपको तलाश है, वह आपके अंदर है। 


Jai Guruji.

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