जिस काम में दिल गवाही दे ...
एक बार एक बड़े वकील को फिल्म बनाने का शौक हुआ। उन्होंने एक डायरेक्टर को साथ लिया और उससे कहा- ‘देखो स्क्रिप्ट लिखने का काम मैं करूंगा।’ डायरेक्टर ने कहा- ‘ठीक है।’ लेकिन इसके बाद उन्होंने कहा-‘मैं इस फिल्म में एक्टिंग भी करूंगा।’ डायरेक्टर का मन तो मान नहीं रहा था, लेकिन उसने फिर भी हां कर दी क्योंकि पैसा वकील साहब ही लगा रहे थे। फिल्म बनने का समय आया तो वकील साहब डायरेक्टर भी बन बैठे। यहीं से सब कुछ गड़बड़ाने लगा। और वही हुआ जिसका डर था। फिल्म अधूरी ही रह गई। यहां जितनी गलती वकील साहब ने की, उतनी ही गलती डायरेक्टर की भी रही। जैसे ही वकील साहब ने एक से ज्यादा भूमिकाओं की मांग की थी, वहीं डायरेक्टर को या तो हट जाना चाहिए था या फिर उनकी बात मानने से इनकार कर देना चाहिए था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। कहने का अर्थ यह है कि जिस काम की गवाही आत्मा दे, वही काम करें। जब आप अपनी आत्मा की आवाज नहीं सुनते तो ऐसा ही होता है। सवाल यह है कि लोग अपनी आत्म की आवाज को अनसुना क्यों कर देते हैं/ शायद इसलिए कि आत्मा का रास्ता लंबा लगता है। लिहाजा लोभ, लालच और स्वार्थ में फंसकर जल्दी सफलता पाने की कोशिश करते हैं और रास्ता भटक जाते हैं। ऐसे में बहुत से लोग आत्मसम्मान तक खो बैठते हैं। सांसारिक वातावरण के व्यवहार को अपनाना शुरू कर देते हैं। जिसने भी आत्मा की आवाज को सुना और उसके अनुसार काम किया, उसने समझिए ईश्वर के साथ एक रिश्ता ही कायम कर लिया। ऐसे व्यक्ति को न केवल खुशी मिली बल्कि उसे उम्मीद से ज्यादा बेहतर परिणाम भी मिला। सीधी सी बात है कि जिस काम में आपका दिल, दिमाग और आत्मा गवाही दे, वह आपके लिए ईश्वर के प्रसाद से कम नहीं है। उस कार्य को ईश्वर का प्रसाद समझकर इंसान जब उसमें डूब जाता है तो उसकी सफलता निश्चित है। वह काम उसी के लिए बना है, उस कार्य का ज्ञान कहीं न कहीं उसके जीवन अनुभवों से उसके साथ है। अक्सर बहुतेरे लोग यह कहते हुए मिल जाएंगे कि ‘अरे भाई, मेरा पता नहीं क्या होगा, समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं? उसे देखो वो क्या था, लेकिन आज कहां जा पहुंचा है। मैंने तो जिस काम में हाथ डाला, वही बेकार हो गया...पता नहीं ईश्वर मेरी कब सुनेगा’ ऐसे व्यक्ति को जीवन में कुछ करना है तो पहले वह अपने जमीर की आवाज सुने। उसे ठीक ढंग से समझे। ऐसे में वह खुद को पहचानने लगेगा और कामयाबी के रास्ते पर तेजी से चल निकलेगा।
Jai guruji
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