Friday, July 11, 2014

जय गुरु जी


गुरु आपको घट के अंदर पहुंचने का तरीका बता  सकते है ......


अक्सर लोग कहते हैं कि हमें गुरु की जरूरत नहीं है। गुरु नहीं बनाना है तो भ्रम में पहले से ही पड़े हुए हैं। बिना गुरु के भ्रम नहीं जाएगा- ‘है घट में पर बतावें, दूर की बात निरासी। कहत कबीर सुनो भाई साधो, गुरु बिन भ्रम न जासी।’ किसी तीर्थ स्थान में नहीं, बल्कि आपके घट में वह अलख पुरुष अविनाशी है, लेकिन बिना गुरु के उसका ज्ञान नहीं हो सकता। हृदय के अंदर पहुंचने का तरीका तो आपको मालूम नहीं है। जो गुरु है, वह आपको आपके घट के अंदर पहुंचने का तरीका बता सकता है। गुरु क्या होते हैं/ गुरु हैं- लोहार और मनुष्य है- लोहा! तो इस मनुष्य रूपी लोहे को गुरु रूपी लोहार जिज्ञासा रूपी आग में डालकर गर्म करते हैं। जब वह लोहा एकदम लाल हो जाता है तो लोहार उस लोहे को ज्ञान रूपी निहाई के ऊपर रख कर, सत्संग रूपी हथौड़े से मारना शुरू करता है। वह उस लोहे को बदलना शुरू करता है। लोहा भी ऐसा कि ठंडा होकर अकड़ने लगता है। इसलिए कुशल लोहार चाहिए, जो तुरंत उसे फिर आग में रखे और गरम करे। वह गरम करता रहे, उसे आग से निकालकर। ज्ञान रूपी निहाई पर रखकर। सत्संग रूपी हथौड़े से मारता रहे, जब तक वह लोहा बदल न जाए। जब वह बदल जाएगा तो वह सिर्फ लोहे का टुकड़ा नहीं रह जाएगा। उसका नाम बदल जाएगा। अगर वह चाबी बना है तो उसका नाम अब लोहे का टुकड़ा नहीं, बल्कि ‘चाबी’ कहलाएगा! अगर फावड़ा बन गया है, तो अब लोहे का टुकड़ा नहीं, बल्कि ‘फावड़ा’ कहलाएगा। जब मनुष्य बदलता है तो उसका नाम क्या हो जाता है/ वह है- असली मनुष्य! कहा गया है- ‘हित-अनहित पशु पच्छिय जाना। मानुष तन गुण ज्ञान निधाना।’ अच्छे और भले के बारे में तो पशु और पक्षी भी जानते हैं। परंतु इस मानुष तन का क्या गुण है/ मनुष्य को यह ज्ञान प्राप्त हो सकता है। हर दिन आपके अंदर जो आनंद का खजाना है, उसको खोदें और अपने जीवन को सफल बनाएं। बहुत से लोग शक करते हैं कि जो मैं कह रहा हूं, यह संभव नहीं है। लोग अपने आप पर तो शक करते ही हैं, भगवान पर भी शक करते हैं। उसी को चुनौती देने लगते हैं, ‘अगर तू है तो सामने आ, वरना नहीं है।’ इस जीवन के अंदर कोई हाथ पकड़ने वाला होना चाहिए। शब्दों से काम नहीं चलेगा। हाथ पकड़ने वाला, कोई ज्ञान रूपी निहाई वाला चाहिए। जिसके पास आग भी हो, निहाई भी हो, हथौड़ा भी हो और जो संकोच न करे। हमारी जिंदगी के अंदर आनंद की बाहर ला दे।
JAI GURUJI

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