Friday, June 27, 2014

जैसा हम बनना चाहते हैं, वैसे लोगों की संगत में रहें ...


          महान चीनी विचारक मेन्सियस की मां एक समझदार महिला थी। अपने जीवन काल में अपने बेटे के कारण तीन बार उसने अपना निवास बदला। पहले वह एक कब्रिस्तान के पास रहती थी। एक दिन उसे लगा कि उसका बेटा धीरे धीरे गहरे दुख में डूबता जा रहा है। दरअसल, कब्रिस्तान में आने वाले लोग दुख से रोते-बिलखते रहते थे। वह बालक उन्हें रोज ही देखता था। इसलिए वह उन्हीं की तरह बर्ताव करने लगा था। मेन्सियस की मां को चिंता हुई और उसने वहां से दूसरी जगह जाना तय कर लिया।           



          अब वह चहल-पहल भरे एक बाजार में रहने लगी। कुछ समय बाद उसने देखा कि उसका बेटा मेन्सियस एक दुकानदार की तरह बर्ताव करने लगा है। वह घर का सामान सजा कर एक दुकानदार की तरह बैठ जाता। बाजार में दुकानदारों और उनके ग्राहकों के बीच जैसी बातचीत सुनी थी, वैसी ही बातचीत वह करने लगा। उसकी मां अपने बेटे का ऐसा व्यवहार देखकर चिंतित हो गई। उसने वहां से भी निकलना तय कर लिया। 
         इस बार उसने एक विद्यालय के पास मकान लिया। वहां मेन्सियस मेधावी विद्यार्थियों का अनुसरण करने लगा। वह अनेक विषयों की जानकारी पाने की कोशिश करने लगा और अनेक विषयों पर गहन अध्ययन करने लगा। मां यह देखकर बड़ी प्रसन्न हुई। उसे लगा कि उसके बेटे पर माहौल का सही प्रभाव पड़ा था। इस वातावरण में बड़ा होकर मेन्सियस चीन का एक बहुत बड़ा विद्वान बना। यह कहानी हमारे जीवन पर हमारी संगत का प्रभाव भी दिखाती है।  
          कहा जाता है कि मनुष्य अपनी संगत से जाना जाता है। यदि हम धनवान लोगों के साथ समय व्यतीत करते हैं तो अधिकतर समय धन के विषय में ही सोचते रहेंगे। यदि हम नशीले पदार्थों का सेवन करने वालों की संगत में रहेंगे तो हममें वही दुर्गुण पनपने की संभावना होगी। यदि हम जुआ खेलने वालों की संगत में रहेंगे तो आसानी से जुए की लत से प्रभावित हो जाएंगे। और यदि हम झगड़ा करने वालों के संपर्क में रहेंगे तो हमारा स्वभाव भी बात-बात पर लोगों से झगड़ा या बहसबाजी करने वाला बन जाएगा। यदि हम कलाकार बनना चाहते हैं तो हमें कलाकारों की संगत में रहना चाहिए। हम विद्वान बनना चाहते हैं तो हमें उनके साथ समय बिताना चाहिए जो पढ़ने-लिखने में लगे रहते हैं। यदि हम सद्गुणों से भरपूर होना चाहते हैं तो उनकी संगत में रहें जो अच्छाई से भरपूर हैं। जो लोग हमें अपने लक्ष्य से दूर ले जाएं, उनके साथ समय बिताना समय व्यर्थ करना है। समय रहते तय कर लेना चाहिए कि हम जीवन में क्या बनना चाहते हैं।

Jai Guruji

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