सांस और मन का गहरा रिश्ता है। न केवल रिश्ता है, बल्कि अगर आप गहरे में जाएंगे तो पाएंगे कि सांस और मन एक ही हैं–एक ही सिक्के के दो पहलू। एक ही धागे के दो छोर। जो ऊर्जा आपके भीतर मन को मथकर विचारों के भंवर पैदा करती है, ठीक वही फेफड़ों को गतिशील कर श्वास-प्रश्वास के प्रवाह पैदा करती है। अगर आप सांसों की डोर थाम सकें, तो आपके हाथ मन की डोर खुद-बखुद आ जाएगी। यदि आप श्वास की चंचलता को काबू में ला सकें, तो धमाचौकड़ी मचाता मन भी आपके नियंत्रण में आ जाएगा। यूं तो यह बहुत सरल-सा सूत्र है। बहुत जरूरी और उपयोगी भी लेकिन अक्सर यह अनदेखा किया जाता है। हमारे यहां हजारों-हजार साल सांसों को लेकर तरह-तरह के प्रयोग किए गए हैं। सैकड़ों-हजारों लोगों ने अपना पूरा-का-पूरा जीवन इन्हीं प्रयोगों को समर्पित कर दिया। प्राणायाम से लेकर स्वरोदय तक का पूरा विज्ञान ही इन प्रयोगों की देन है। ऐसे में सहज-सा सवाल मन में उठता है तो इन प्रयोगों का सार क्या है? इन प्रयोगों की उपयोगिता क्या है?
मूल बात तो यह है कि सांस लेने का तरीका ही हम भूल गए हैं। जिस तरह से हम श्वास-प्रश्वास की क्रिया करते हैं वह बेहद घातक हो गई है। मनुष्य जीवन की यह विडंबना ही है कि जो हमारे करीब-से-करीब होता है, उसे ही हम भूलते चले जाते हैं, उस पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते। वहीं जो हमसे दूर है, जो हमारी पहुंच से परे है–वही हमारी आंखों के आगे छा जाता है। सांस लेना और छोड़ना कुछ ऐसा हो गया है जिस पर हमने गौर करना ही बंद कर दिया है। लेकिन याद रखें, यही वह कुंजी है जो मन के ताले खोल सकती है, जीवन में शांति और आनंद की धारा प्रवाहित कर सकती है, भीतर की छिपी हुई शक्तियों को जगा सकती है और आपको स्वयं के नजदीक ले जा सकती है।
सही श्वसन-क्रिया की कसौटी है इसमें पैदा होने वाली लय। कोई नदी जिस तरह पहाड़ों से होते हुए मैदान में आती है, फिर मैदान से आगे चलकर सागर में समाहित हो जाती है, लेकिन अपनी लय सतत बरकरार रखती है, ठीक उसी तरह श्वास में लय बनी रहनी चाहिए। आपकी सांसों में जितनी लय होगी उतनी ही आपकी जीवन-ऊर्जा संगीत से भरती चली जाएगी। जीवन-ऊर्जा का एक सिरा सांस है, तो दूसरा मन। संगीत से भरी यह ऊर्जा मन को भी शांति के संगीत से सराबोर कर देगी। सांसों को लययुक्त करने के लिए पहला कदम है इस पर गौर करना। बाहर जाती सांस को देखें, भीतर आ रही सांस पर ध्यान दें–शुरुआत में महज इतना भर करना है। श्वास-प्रश्वास के क्रिया-कलाप में कोई अड़ंगा नहीं लगाना है शुरू में, बस इसके प्रति जागृत रहना है। महज़ इतना भर करना श्वास और मन को लय व शांति से भर देगा।
जय गुरूजी.
In English:
(Deep breath and mind relationship. Not only me, but if you go deeper, you will find that mind and breath are two sides of the same coin. The two ends of the same thread. Mthkr ideas vortex energy in you mind dictates, exactly lungs dynamic dictates the flow of breathing. If you can hold breath door, your hands will feel the bond of self-Bkhud. If you control your breathing can bring to the versatility of the racket believing mind will come under your control. Blue is a very simple formula. It is very important and useful but often overlooked. We like the breath of thousands of years have been used. Hundreds of thousands of people to meet their full-of-life devoted to these experiments. To the whole science of pranayama Swroday is the result of these experiments. So, a question spontaneously arises in the mind is the essence of these experiments? What is the usefulness of these experiments?
The basic thing is that we have forgotten how to breathe. The way we act of breathing is extremely lethal. It is ironic that a man who lives close to our close-to-do, and we are forgetting, no attention on it. While away from us, which is beyond our reach, that is engulfing our face. Inhalation and exhalation is something we have to look at which is closed. But remember, this is the key which can open the locks of mind, peace and happiness in life can stream, hidden inner powers can wake up and can take you closer to himself.
This is the test of the breathing rhythm produced. A river comes out into the field through the mountains, then the field is eventually absorbed into the ocean, but retains continuous rhythm, breathing rhythm should remain exactly the same way. The rhythm of your breath will be gone as much of your life energy flooded with music. One end of life energy breath, then another mind. The music is full of energy and peace of mind will be filled with music. Harmonious breath is the first step to look into this. Refer to the outgoing breath, breath coming in note-fill is merely at the beginning. Breathing does not have to interfere in the activities of the start, just be aware of it. Not only do the breathing and heart rhythm and will be filled with peace.)
Jai Guruji.
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