हम-लोग दिन रात काम करते हैं। काम करते-करते थकान महसूस करते हैं। मन ही मन सोचते हैं थोड़ी शांति कैसे मिले। हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन के तीन स्तर हैं- शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक। तीनों स्तरों पर हमें संतुलन बनाए रखना होगा। कभी-कभी लोग सोचते हैं कि हम भौतिक स्तर पर ठीक हैं तो मानसिक स्तर क्या है? यह सोचना बिल्कुल गलत है। मन ही तो दिन-प्रति-दिन के कार्य करने या नहीं करने का आदेश देता है। मन के बिना हम कोई काम नहीं कर सकते।
व्यावहारिक जीवन में हम इस बात का अनुभव खुद करते हैं। मान लें कि हमारा मन किसी कारण अच्छा नहीं लग रहा है। क्या ऐसी परिस्थिति में कोई काम कर सकते हैं? बिल्कुल नहीं। अगर जबर्दस्ती कोई काम करने जाएंगे तो उसका परिणाम अच्छा नहीं मिलेगा। हो सकता है कुछ हद तक सफलता मिले, किंतु पूरी सफलता संभव नहीं है। उसी तरह अगर शारीरिक रूप से स्वस्थ नही हैं तो भी कोई काम सफल नहीं होगा। आध्यात्मिक स्तर इन दोनों से अलग है। उसका अहसास हमें थोड़ी देर में होता है, लेकिन जब होता है तब पता चलता है कि उसे साधे बगैर सब कुछ सूना है।
आखिर तक तीनों स्तरों पर संतुलन कैसे लाया जाए? इसके लिए इन तीन तत्वों को समझना और व्यवहार में उतारना जरूरी है- आहार, आसन और साधना। आहार ऐसा हो जो शरीर के लिए सुपाच्य और फायदेमंद हो। विशेषकर सात्विक आहार आध्यात्मिक लोगों के लिए काफी फायदेमंद है। जहां तक आसन की बात है तो यह एक शांत, सहज और सुखदायक शारीरिक क्रिया है जो लय के साथ विधिवत किया जाता है। आसन करने से शरीर को सहजता और मन को शांति मिलती है। यह शरीर और मन को संतुलित रखने में मदद करता है।
आध्यात्मिक साधना यानी योग का किसी मजहब से कोई लेना-देना नहीं है। यह एक वैज्ञानिक पद्धति है जो कोई भी सीख सकता है। यह हमारे शरीर की ग्रंथि, मन और सांस लेने-छोड़ने की क्रिया से जुड़ा हुआ है। वैसे योग के बारे में तरह-तरह की व्याख्याएं दी गई हैं। साधारणतः लोग योग शब्द की व्याख्या जोड़ने से लगाते हैं। जैसे दो आम में दो आम जोड़ने पर चार आम होता है। आध्यात्मिक योग का इस साधारण योग के साथ कोई मेल नहीं है।
आध्यात्मिक योग का अर्थ एकीकरण यानि मिलन से है। जैसे चीनी और पानी को मिलाने से शरबत बन जाता है। उसी तरह योग साधना के निरंतर प्रयास से आत्मा और परमात्मा के मिलन का नाम ही है योग साधना। यह मनुष्य के जीवन का तृतीय स्तर यानी आध्यात्मिक स्तर है। इस प्रक्रिया से मन के अंदर के मंदिर बैठी आत्मा को परमात्मा से मिलाने में जो आनंद का अनुभव है, उसे ही शांति कहते हैं।
जय गुरूजी.
In English:
(The people we work day and night. Feel fatigue while working. Heart to think how to get a little peace. We all know that our lives are three levels of physical, mental and spiritual. All three levels, we will have to strike a balance. Sometimes people think that we are right on the physical level is the mental level? It is wrong to think. Mind the day-to-day orders to act or not. We can not act without the mind.
In practical life we have experience of this myself. Assume that our mind does not feel good for some reason. What may work in this situation? No way. If you force someone to work, then it will not get good results. Can be found some success, but complete success is not possible. Similarly, even if not physically healthy work will not succeed. Spiritual level is different from these two. His realization in us a while, but when it is revealed that remained without everything is deserted.
By the end is how to balance on three levels ? for-the three elements necessary to understand and put into practice the diet, posture and meditation. Which happens to be beneficial for the body and digestible diet. Ontological spiritual diet is especially beneficial for people. As far as posture is concerned, it is a quiet, comfortable and soothing rhythms with the physical actions which are duly. The body posture is comfortable and get peace of mind. It helps to keep the body and mind.
The spiritual practice of Yoga has nothing to do with any religion. It is a scientific method which no one could learn. This gland of our body, mind, and breath-taking action is linked to the drop. The sum of such interpretations are given. Generally, people take yoga adding words to explain. Adding two four two common is common in common. Spiritual Yoga is not a match with this simple sum.
Yoga means union, ie from spiritual integration. Such as mixtures of sugar and water syrup is created. Similarly, the continued efforts of yoga meditation and divine union of the soul is called yoga. The third level, the spiritual level of human life. The process of merging with the divine spirit inside the mind of the temple, sitting in the enjoyment of the experience, says her own peace.)
Jai Guruji.
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