Tuesday, May 31, 2016

भौतिक विकास के साथ मनुष्य की आध्यात्मिक यात्रा भी जरूरी है. (Physical development of man's spiritual journey is also important.)


Image result for spirituality

एक आदमी काफी समय से मंदिर में जाकर प्रार्थना करता - हे प्रभु मुझे 100 रूपये दो. एक बार एक मनुष्य ने उसकी प्रार्थना सुनी। उसने एक रुमाल में निन्यानवे रुपये बांधकर पोटली में रख दी. उसे पोटली मिली, वो खुश हो गया. उसे लगा - प्रभु ने प्रार्थना सुन ली. पोटली खोलकर गिनने लगा. निन्यानवे रुपये रख कर उसे लगा की एक रुपये कहाँ चले गए. चिंता करने लगा एक रुपया कम है, निन्यानवे ही क्यों? भगवान को तो सौ रुपये देना था. या तो गिनती में भूल हुई है या किसी ने जरूर एक रूपया ले लिया है. 'एक रुपया कम है' की चिंता में वह इस कदर डूब गया की उन रुपयों को सदुपयोग करना ही भूल गया जो उसे मिला था.  यह आजकल आम लोगो की मानसिकता है. जो नहीं मिला उस पर ध्यान केंद्रित हो जाता है और जो मिला उसका प्रायः सदुपयोग ही नहीं किया जाता. 
आज जिसे देखे, वह कुछ न कुछ पाने के लिए दौड़ता दिखाई दे रहा है. भौतिकता के इस बढ़ते प्रभाव को यदि आध्यात्मिकता द्वारा संतुलित नहीं करेंगे तो भौतिकता इंसान और मानव समाज को तोड़ डालेगी। इन दोनों के बीच बैलेंस आवश्यक है. साफ़ दिख रहा है की सब कुछ पास होते हुए भी आज के इंसान को संतोष नहीं, वह भटकता अधिक है. भटकाव ही उसे दौड़ा रहा है. स्थिति यह है की दर्द पैरो में है और इलाज वह सर का करा रहा है. ठीक है की भौतिकता उसे शारीरिक सुख देगी, लेकिन भीतर शांति चाहते है तो सही उपचार आध्यात्मिकता से ही संभव है. भौतिकता बुरी नहीं, लेकिन संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है. हर व्यक्ति सुख चाहता है. सुख भोगो लेकिन याद रखो, वृक्ष जितना आकाश की ओर उठता है, उतना ही उसके जड़ जमीन के अंदर फैलती हैं. तभी वृक्ष मजबूती से टिका होता है. भौतिक विकास जितना आवश्यक है, उतनी ही आध्यात्मिक यात्रा भी अनिवार्य है. नहीं तो विकास ह्रास बन जायेगा. जीवन में अनेक विकृति आ जाएगी. इसलिए विकास विवेक के प्रकाश में किया जाये, यह बहुत जरूरी है. विवेक के लिए अध्यात्म  का मार्ग ही श्रेष्ठ है. कुछ देर की सकारात्मक सोच आपके पुरे दिन की नकारात्मक सोच दूर कर देती है. पॉजिटिव थिंकिंग यानी प्रार्थना। जब कुछ देर की प्रार्थना दिन भर की नकारात्मक सोच को दूर कर सकती है तो सोचिये यही इसके टाइमिंग को बढ़ा दिए जाए तो कितनी सकारात्मकता बढ़ जाएगी और कितनी बढ़िया पॉजिटिव थिंकिंग! सुख और दुःख मन के खेल हैं. मन को अच्छा लगे, वो सुख और जो न लगे वो दुःख. मन में जब पॉजिटिव थिंकिंग बैठेगी तो सुख और आनंद का प्रकाश हमेशा आपके मन के अंदर विराजमान रहेगा. होता यह है परिस्थितियां वही होती है, बस भूमिका बदल जाती है. 
जय गुरूजी.           

In English:

(A man went to the temple to pray for a long time - Lord, let me 100 rupees. Once a man heard his prayer. Ninety-nine bucks bundle tied in a napkin and put it in. He found the bundle, she was happy. She felt - God answered the prayers. Open packet counted. Ninety-nine bucks to keep you gone put him Rs. Rupee began to worry a little, ninety-nine reasons So God had to give a hundred bucks. Count either made a mistake or someone must have taken the money. "At a penny is so immersed in the concerns of the same to utilize that cash had forgotten him. Nowadays it is the mindset of the common people. Which is not to focus on it and found that it is often not utilized.
Today also saw, he ran to get some looks. The growing influence of materialism will not balanced by the spirituality of the physical person and human society will have to break. Balance between the two is necessary. Clear everything is visible near and yet not satisfied of today's man, he wanders over. Disorientation is ran him. The position of the legs is in pain and is being treated for his head. Well it's materialism will carnal pleasures, but want the peace is only possible if the correct treatment of spirituality. Materialism is bad, but is required to maintain balance. Every person wants happiness. But remember the problems involved in having happiness, as the tree rises towards the sky, the more spread its roots into the ground. Then the tree is firmly based. The physical development is necessary, as much spiritual journey is essential. Growth will not be diminishing. Many lives will be impaired. So growth should be in the light of conscience, it is a must. The spiritual path is best for sanity. While negative thinking to positive thinking alienates your entire day. Pray that positive thinking. The prayer of the day while the negative thinking that can be raised when so many think that the timing would increase positivity and positive thinking how wonderful! Pleasure and pain are mind games. Mind feel good, they feel the joy and the sorrow she. Sit and enjoy the pleasures of the mind when thinking positive light always be put inside your mind. This situation is the same, just the role changes.)
Jai Guruji.

No comments: