एक बार एक संत ने अपने अनुयायियों को उपदेश देते हुए कहा- ‘हर किसी को हमारी इस धरती मां की तरह सहनशील व क्षमाशील होना चाहिए। लोग इसके साथ कुछ भी करें, किंतु यह बदले में उन्हें लाभ ही देती है। हमें हर हाल में क्रोध से बचना चाहिए। क्रोध ऐसी आग है, जो सामने वाले व्यक्ति से पहले खुद क्रोध करने वाले को जलाती है।’ यह सुनते ही उपस्थित श्रोताओं में से एक व्यक्ति उठा और जोर-जोर से कहने लगा-‘मैं यह नहीं मानता। यह सब कहना आसान है, किंतु करना मुश्किल। लोग व्यर्थ ही आपकी पाखंडपूर्ण बातें सुनकर आपको मान देते हैं। आपकी ये बातें आज के समय में कोई अर्थ नहीं रखतीं।’ संत चुपचाप बैठे रहे। आखिर में वह व्यक्ति भुनभुनाते हुए बाहर निकल गया। अगले दिन जब उस व्यक्ति का क्रोध शांत हुआ और उसने संत की बातों पर मनन किया तो उसे लगा कि वे सौ फीसदी सही कह रहे थे। उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा और वह संत से क्षमायाचना करने उनके आश्रम में पहुंचा और उनके चरणों में गिरकर बोला- ‘मुझसे बड़ी भूल हो गई। मेरा अपराध क्षमा करें।’ संत ने पूछा-‘तुम कौन हो भाई और मुझसे क्षमा क्यों मांग रहे हो?’ व्यक्ति बोला-‘मै वही हूं, जिसने कल आपको अपमानित किया था। मैं अपने बर्ताव के लिए शर्मिंदा हूं। मुझे माफ कर दें।’ संत ने प्रेमपूर्वक कहा-‘कल जो हुआ, उसे तो मैं कब का भूल चुका और तुम अब भी वहीं अटके हुए हो। तुम्हें अपनी गलती का एहसास हो गया और तुमने पश्चाताप कर लिया, यही बहुत है। अब आज में प्रवेश करो। बुरी बातें व घटनाएं याद करते रहने से वर्तमान और भविष्य दोनों बिगड़ते जाते हैं। बीते हुए कल के कारण आज को मत बिगाड़ो।’ यह सुनकर वह व्यक्ति एक बार फिर संत के समक्ष नतमस्तक हो गया।
जय गुरूजी.
In English:
(A sage once said, while teaching his followers: "Everyone should be forgiving and tolerant of our Mother Earth. People do anything with it, but it is a benefit in return. In any case, we should avoid anger. Anger is a fire which burns up front before the person himself who is angry. "Hearing this, a man in the audience got up and loudly said,'man not believe it. It is easy to say but hard to do. If you value your prudishness hear people unnecessarily. Today, you do not mean any of these things. 'Saint sat. He finally exited grumblingly. The next day, the man's anger, and she meditated on the words of the saint, he felt they were a hundred per cent right. He became repentant and he apologized to the saint came to his ashram and fell at his feet- '"I was a big mistake.. Please forgive me. 'Saint asked, why are you asking for forgiveness'tum who are brother and me?' He said-'ma am the same person who had insulted you yesterday. I am ashamed for my behaviour. Please forgive me. "The holy man said fondly'kl what happened and then when I had forgotten to You still hanging in there. You realized your mistake and you have to repent, this means a lot. Now enter today. By continuing to do bad things and remember things that worsen both present and future. Do not lose today because of yesterday. "And he became man once again capitulate to the saint.)
Jai Guruji.
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