Thursday, March 10, 2016

दुर्जन एक, सज्जन अनेक .(A villain, gentleman numerous. .)


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‘भीख मांगना अच्छा नहीं, पर यदि नेक कार्य के लिए भीख मांगनी पड़े तो मैं वह भी करूंगा’ यह कहकर मालवीय जी ने विश्व विद्यालय के लिए दान मांगने का अभियान चलाया। 

एक बंगाली सज्जन ने पांच हजार रुपया नकद दान दिया तो उनकी धर्मपत्नी ने बहुमूल्य कंगन दे दिया। पति ने फिर दोगुना दाम देकर कंगन खरीद लिया। उनकी यह दान देने की शुद्ध भावना ही थी कि पत्नी कंगन दान में देती और पति उसे पुनः दोगुने दाम देकर वापस ले लेता। ऐसा करते हुए ही पत्नी ने वह कंगन फिर दान दे में दिया। यह क्रम इतनी देर तक चलता रहा कि रात हो गई और चारों तरफ अंधेरा हो गया। ऐसे में लैंप की रोशनी में ही आई धनराशि गिनी जाने लगी। दूसरी ओर धन संग्रह एवं नीलामी का काम भी चल रहा था। तभी कोई बदमाश व्यक्ति पहुंचा और बत्ती बुझाकर रुपयों से भरी तीनों थैलियां छीनकर ले भागा। सब लोग इस घटना को लेकर दुखी बैठे थे कि उनमें से एक सज्जन ने मालवीय जी से कहा, ‘पंडित जी, इस पवित्र और नेक कार्य में भी जब लोग धूर्तता से बाज नहीं आते तो आप ही क्यों व्यर्थ परेशानियों का बोझ अपने सिर पर लेते हैं? कोई बड़ा काम किया जाए, यह देश इस योग्य है ही नहीं।’ यह बात सुनकर मालवीय जी थोड़ा मुस्कराए और फिर कहने लगे, ‘देखो भाई, बदमाश तो एक ही था। सौ भलों के बीच एक बुरे से घबराना क्यों? दुर्जनों से हार मान जाऊं, यह मेरे लिए संभव नहीं। इस तरह यदि सत्प्रवृत्तियां रुक जाएं तो संसार नरक बन जाएगा। हम वह स्थिति नहीं लाना चाहते, इसलिए प्रयत्न जारी रखेंगे।’ मालवीय जी के आत्मविश्वास से भरे शब्द सुनकर सब में नवीन शक्ति का संचार हो गया और सभी दोगुने जोश के साथ नेक कार्य में पुनः जुट गए।
जय गुरूजी. 

In english:

("Begging is not good, but if I had to beg for the good work he will also" Malaviyaji saying the university to ask for campaign donations.

One Bengali gentleman has donated five thousand rupees in cash and gave his wife a valuable bracelet. Then double bracelet husband bought with a price. His pure spirit of philanthropy, charity bracelets ensure that the wife and husband were again taken back by double the price. In doing so, the wife he donated again in the bracelet. This sequence continued for so long that the night was dark and all around. The funds come in the light of the lamps began to Guinea. The money involved in the collection and the auction was going on. Then came a rogue individual and three bags full of light snatched Rs Bujakr ran away. Everyone is upset about the incident that he had a gentleman sitting Malaviyaji "The Priest, in this holy and noble cause people problems vain deceit would not have stopped even if the burden of taking over your head now! A big job to be done, this country is not worthy. "Hearing this Malaviyaji smiled a little and said," Look brother, was a villain. Why a bad jitter between hundred evil? The wicked shall give, it is not possible for me. This way the world will become hell Satprvrittian stops. We do not want to bring that situation, so efforts will continue. "Malaviyaji innovative power, a confident voice and all communication

And all the good work to be re-engaged with double vigor.)
Jai Guruji.

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