Monday, March 21, 2016

दोष दर्शन ..(Defect philosophy.)


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आज का मानव अपने अवगुणों, दोषों और बुराइयों को न देखकर दूसरों के अवगुणों और दोषों को ज्यादा देखता है। यह मनुष्य के चरित्र की एक विडंबना वाली स्थिति है। इस तरह की सोच ने परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व में द्वेष का वातावरण निर्मित कर रखा है। ऐसे चरित्र के लोग अपना हित नहीं करते, वे दूसरों का अनिष्ट करने में ही रस लेते हैं। इस तरह के लोगों में नकारात्मकता अधिक सक्रिय होती है। इसी चारित्रिक दुर्बलता के कारण हमने अपने दोष देखने बंद कर दिए हैं और पड़ोसियों और परिचितों के छिद्रान्वेषण में जुट गए हैं। परिणाम हमारे सामने है। बुराई का परिणाम कभी अच्छा नहीं हो सकता। यदि हम सुख-शांति और आत्म-विकास के मार्ग पर अग्रसर होना चाहते हैं तो हमें विधाता के बताए अनुसार चलना होगा। हमें परदोष दर्शन पर अंकुश लगाना होगा और अपने दोषों पर सदा दृष्टि जमाए रखनी होगी। हमारे जीवन में आत्मनिरीक्षण और आत्मशोधन का प्रमुख स्थान है। आगमवाणी में वर्णित है कि खुद को देखो। जब तक हमारा चिंतन परदोष पर केंद्रित रहता है तब तक हम अपने जीवन की गहराई में प्रवेश नहीं कर सकते अर्थात अपनी कमियों को नहीं देख सकते। अपने स्वयं के सुधार और बदलाव के लिए स्वदोष दर्शन निहायत जरूरी है। उसके बिना जीवन की समग्रता को नहीं पाया जा सकता। यही वह स्थिति है जिससे हम अपनी विवशताओं और दुर्बलताओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। एक मनीषी ने लिखा, ‘जब मैं अपने दोषों पर दृष्टि डालता हूं तो मेरे नेत्र छोटे हो जाते हैं और जब मैं दूसरों के दोष देखता हूं तो यही नेत्र विशाल हो जाते हैं।’ दोष दर्शन के संबंध में राजनीति और धर्मनीति की दिशा बिल्कुल भिन्न हो जाती है। जो दूसरों के दोषों का दर्शन और विवेचन करने की सामथ्र्य रखता है वह राजनीति में पंडित समझा जाता है, परंतु धर्मनीति के अनुसार विद्वान उसे ही समझा जाता है जो अपनी दुर्बलता का शोधन और विवेचन करने की क्षमता रखता है। इसलिए एक साधक और आत्मान्वेषी से यही अपेक्षा की जाती है कि वह आत्मा की शुद्धि के लिए परदोष दर्शन के मार्ग का परित्याग कर स्वदोष दर्शन के मार्ग का अनुगामी बने। इसी में ही उसका कल्याण है। 
जय गुरूजी. 

In English:

(Today's human vices, defects and evil vices and defects of others moves more watches. This man's character is an ironic situation. Such thinking family, society, nation and the world has created a climate of hatred. When the character of their interest, they harm others to take the juice. Such people are more active in the negativity. The character weakness we have stopped seeing his faults and fault finding neighbours and acquaintances have started. The result is before us. No good can not be the result of evil. Peace and we want to be on the path to self-development, as described, we will walk to the Creator. We must curb The second flaw philosophy and vision defects always have to hit. Atmsodn occupies an important place in our lives and introspection. Agmwani described themselves look. As long as our thinking remains focused on other flaw we can not enter into the details of your life that can not see their own shortcomings. Correction and apology for its own philosophy is fundamental change. The totality of his life and can not be found. This is the situation that we can overcome compulsions and vulnerability. A wise man wrote, "I am my eye looks at your flaws are small and when I see the faults of others that have become giant eye." Defect radically different philosophy with respect to the direction of politics and devoutness Now. Others who defects to discuss philosophy and politics he has the power of the priest is understood, but the devoutness scholar who understood the weakness of the refinement and the ability to interpret. It is expected therefore that of a seeker and Atmanvesi purification of the soul to abandon the path of philosophy other flaw apology made following the path of philosophy. This is only his welfare.)
Jai Guruji.

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