Saturday, May 2, 2015

मन की दृढ़ता ..(Firmness of mind..)

मनुष्य का सबसे प्रभावशाली अंग मन है। मनुष्य की जीवन-लीला मन से ही चलती है। सारे संकल्प-विकल्प, इच्छाएं-कामनाएं मन की ही उपज हैं। बुद्धि इनकी पूर्ति के लिए क्रियाशील रहती है। भौतिक शरीर में मन कोई अंग नहीं है। यह सूक्ष्म शरीर का अंग है। भौतिक शरीर का अंग तो बुद्धि भी नहीं है, पर बुद्धि को क्रिया करने के लिए तंत्र की आवश्यकता पड़ती है और यह तंत्र है हमारा मस्तिष्क। मन को किसी प्रकार के तंत्र की आवश्यकता नहीं होती, वह सदैव तंत्र के बगैर ही क्रियाशील रहता है। जब भौतिक शरीर (स्थूल शरीर) होता है तब भी और जब सूक्ष्म शरीर होता है तब भी। निद्रावस्था में सपनों के लिए उतरदायी मन ही होता है। इसलिए जब मन उद्विग्न होता है, तब हमें बुरे अवसाद वाले स्वप्न दिखाई देते हैं। वहीं जब मन प्रफुल्लित होता है तब हर्षदायक स्वप्न दिखाई देते हैं इसलिए हर्ष-दुख का सारा दारोमदार मन पर है। चूंकि शरीर के सारे अंग मन के अनुसार संचालित होते हैं इसलिए मन का प्रबल होना आवश्यक है। कहावत है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। मन स्वस्थ है तो शरीर स्वस्थ है। मन कैसे स्वस्थ रहे, कैसे प्रबल हो; इसके लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। यह दृश्य-जगत मन को आकर्षित करता रहता है। इस आकर्षण के फलस्वरूप मन में इच्छाओं कामनाओं का सृजन होता है।  यदि हम अवांछनीय दृश्य देखते हैं, तो मन में दूषित कामनाएं जन्म लेंगी। गलत दृश्यों के प्रति आकर्षण न रहे, इसके लिए हमें अच्छे दृश्यों की ओर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना चाहिए। अच्छे व्यक्तियों का संग, अच्छे स्थलों का भ्रमण, सत -साहित्य का पठन और अध्यात्म इसमें सहायक हो सकते हैं। मन स्वस्थ होने के साथ-साथ इसे सशक्त भी होना चाहिए। प्रबल मन के लिए मन का दृढ़ होना आवश्यक है। मन को दृढ़ करने का सबसे उत्तम साधन है ध्यान। यदि हम दिन में दस मिनट भी ध्यान करेंगे, तो मन स्थिर होता चला जाएगा। यह स्थिरता ही प्रबलता है। याद रखें, ध्यान पहले दिन से ही नहीं लगता। यह धीरे-धीरे लगता है। शुरू में एकांत में बैठकर आंखें बंदकर दस  मिनट तक किसी एक अच्छे विचार का चिंतन करें। धीरे-धीरे चिंतन विलुप्त होता जाएगा और मस्तिष्क विचार-शून्य होता चला जाएगा। एकाग्रता बन जाएगी यानी ध्यान लगना शुरू हो जाएगा । जैसे-जैसे ध्यान लगता जाएगा, मन दृढ़ होता चला जाएगा। शरीर में नई ऊर्जा का संचार शुरू हो जाएगा। 
जय गुरुजी. 

In English:

(The most impressive part of the human mind. The human mind operates on life-lila. All resolution-option, desires-desires are a product of the mind. Wisdom is functional for meeting them. There is no organ in the physical body mind. It is part of the subtle body. The physical body is not part of the intelligence, but the intelligence required to operate the system and it is our brain mechanisms. The mind does not require any system, regardless of the operating system that always remains. When the physical body (physical body) that occurs even when the astral body still. Hypnotic mind is responsible for the dreams. So when the mind is agitated, then we dream of bad depression appear. While the mind is hilarious dream then appear fetching all of the joy and pain burden is on the mind. Since all parts of the body are governed by the mind because the mind must be strong. Saying that the mind to heal the Ganges in the kid. If healthy mind is a healthy body. Mind how healthy, how to be strong; For this, we will take care of a few things. The visual world that attracts the mind remains. As a result of this attraction creates desires in mind desires. If we see undesirable view, will be born in mind corrupt desires. Wrong views are not attractive, it should focus more and more towards us good shots. Individuals with good, good sightseeing, Sat -literature reading and spirituality can be helpful in this. Being healthy mind as well as it should be empowered. The firm must have a strong mind to mind. The best way to strengthen the mind focus. If we consider ten minutes during the day, then the mind will tend to stabilize. This stability is the predominance. Remember, do not think from day care. It seems slowly. Initially Bandkr eyes for ten minutes to sit in solitude a good idea to think of. Gradually it will become extinct contemplation and discussion brain will tend to zero. Loss of concentration will become the focus will begin. As the focus would think, the mind will tend to persist. The body will begin to infuse new energy.)
Jai Guruji.




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