उन दिनों ईश्वरचंद्र विद्यासागर एक संस्कृत कॉलेज के आचार्य थे। एक बार उन्हें किसी काम से प्रेसीडेंसी कॉलेज के अंग्रेज आचार्य कैर से मिलने जाना पड़ा। कैर भारतीयों से घृणा करते थे। जिस समय ईश्वरचंद्र उनके पास पहुंचे, वह मेज पर जूते रख पैर फैलाकर बैठे हुए थे। ईश्वरचंद्र को देखकर भी न तो वह उनके सम्मान में खड़े हुए और न ही उनके अभिवादन का जवाब दिया। ईश्वरचंद्र ने उस समय तो कुछ नहीं कहा। लेकिन तय कर लिया कि कैर को उसकी गलती का अहसास अवश्य कराएंगे। संयोगवश कुछ ही समय बाद कैर को ईश्वरचंद्र से एक काम पड़ गया। वह उनके पास पहुंचे। कैर को अपने पास आते देख, उन्होंने चप्पलें पहनीं और मेज पर पैर फैलाकर बैठ गए। कैर एकदम सामने आ खड़े हुए, फिर भी उन्होंने बैठने के लिए नहीं कहा। यह देखकर कैर गुस्से से तिलमिला गए और उन्होंने इस दुर्व्यवहार की शिकायत लिखित में शिक्षा परिषद के सचिव डॉ. मुआट से कर दी। मुआट ईश्वरचंद्र विद्यासागर को भली-भांति जानते थे। फिर भी उन्होंने इस सिलसिले में उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया और कैर की शिकायत का जिक्र किया। कैर वहीं सामने गर्व से सीना तान कर खड़े थे। डॉ. मुआट की बात सुनकर ईश्वरचंद्र बोले, ‘हम भारतीय लोग तो अंग्रेजों से ही शिष्टाचार सीखते हैं। जब मैं कैर से मिलने गया तो ये जूते पहनकर आराम से मेज पर पैर फैलाकर बैठे थे और इन्होंने इसी अंदाज में मेरा स्वागत किया था। मुझे लगा कि शायद यूरोपीय शिष्टाचार ऐसा ही होता है।’ यह सुनकर कैर बहुत शर्मिंदा हो गए और उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया।
जय गुरूजी
In English:
(Acharya Vidyasagar Ishwarchandra those days was a Sanskrit college. Once a job they had to meet the Presidency College English Professor Carr. Carr hated Indians. Ishwarchandra the time he arrived, he put the shoe on the table were sitting astride. Seeing Ishwarchandra neither he stood in his honor nor responded to his greeting. Ishwarchandra not say anything at the time. But Carr decided that there will realize his mistake. Incidentally, shortly after the Ishwarchandra Carr got a job. She approached him. Carr come to see her, he sat astride slippers Phnin table. Carr stood opposite, yet he did not sit. Carr saw it, and he angrily Daze Education Council Secretary in writing this report abuse DR. Muat have to. Muat Ishwarchandra Vidyasagar knew very well. However, he called for questioning in connection with the complaint referred to Carr. Stood proudly in front of the chest after pointing Carr. DR. Muat hearing about Ishwarchandra said, "we learn the same courtesy to the British people. So when I went to see Carr, wearing comfortable shoes and he sat at the table straddle welcomed me in this manner. I thought maybe it is the European manners. "It was so sorry to hear Carr and realized his mistake.)
Jai Guruji
No comments:
Post a Comment