Wednesday, April 8, 2015

अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है ...(Non-violence is the greatest religion ..)

एक बार की बात है गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ सभा में बैठे थे। बुद्ध काफी समय से मौन थे। उनका मौन देखकर अनुयायी चिंतित हुए कि कहीं वे बीमार तो नहीं हैं। तभी उनके एक अनुयायी ने पूछा - भगवन आप इस तरह मौन क्यों हैं? क्या हमसे कोई अपराध हुआ है। इतने में एक अन्य ने पूछा, क्या आप आज अस्वस्थ हैं। वह, फिर भी मौन ही रहे। तभी बाहर खड़ा कोई व्यक्ति जोर से बोला, आज मुझे सभा में बैठने की अनुमति प्रदान क्यों नहीं की गई। बुद्ध आंख बंद कर ध्यानमग्न हो गए। वह व्यक्ति फिर चिल्ला उठा, मुझे प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं।
इस पर एक उदार शिष्य बुद्ध के सामने उसका पक्ष रखते हुए बोला, भगवन, उसे सभा में आने की अनुमति प्रदान करें। बुद्ध ने आंखें खोली और बोले, नहीं, वह स्पर्श करने योग्य नहीं है। उसे आज्ञा नहीं दी जा सकती। सभी अनुयायी बड़े आश्चर्य से बुद्ध की तरफ देखने लगे, क्योंकि वे जानते थे कि बुद्ध जात-पात में विश्वास नहीं रखते हैँ। तब बुद्ध ने कहा आज यह क्रोधित होकर आया है। क्रोध से जीवन की एकता भंग होती है। क्रोधी व्यक्ति मानसिक हिंसा करता है।
किसी भी कारण से क्रोध करने वाला व्यक्ति स्पर्श योग्य नहीं होता है। उसे कुछ समय तक एकांत में खड़े रहना चाहिए। पछतावे की आग में जलकर शायद उसे समझ आ जाए कि अहिंसा ही उसका कर्तव्य और परम धर्म है। अनुयायी समझ गए कि कौन स्पर्श के लायक नहीं है, किसे स्पर्श नहीं करना चाहिए। उस व्यक्ति को भी पश्चाताप हुआ और उसने फिर कभी क्रोधित न होने की कसम खाई।

शिक्षा :  
1. गुस्सा करके इंसान आत्म नियंत्रण खो देता है।
2. अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है।
3. कोई भी धर्म हिंसा को प्रोत्साहित नहीं करते. 

जय गुरुजी 

In English:

(Once upon a time the Buddha sat in the House with his disciples. Buddha was silent for a long time. Followed by silence when they get sick, they are not worried that much. When asked by one of his followers - God why you are silent? What happened to us is a crime. So the other asked, What are you sick today. He, however, remained silent. Only one person stands out loud, today I was not allowed to sit in the House. Buddha was meditating with closed eyes. He cried again, I am not allowed to enter.
This is a generous disciple keeping his side in front of the Buddha said, Lord, allow him to come to the House. Buddha opened his eyes and said, no, he does not touch. It can not be commanded. All followers began to look at the big surprise of the Buddha, because they knew that the Buddha, mostly do not believe in caste, creed. The Buddha said today it has furious. Anger has dissolved the unity of life. Grumpy person has mental violence.
Any reason not to touch a person's anger. He must stand in silence for some time. Destroyed in the fire of repentance is to understand it and that nonviolence is the duty and the ultimate religion. Got follower who is not fit to touch, who should not touch. To the person repented and he vowed never again to be angry.

Education:

1. By angry person loses self-control.
2. Non-violence is the greatest religion.
3. No religion do not encourage violence.)

Jai Guruji

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