Wednesday, April 20, 2016

साख पर बेवजह सवाल उठाना उसकी हत्या से भी बड़ा पाप है ..(Reason to question his credibility is worse than murder.)


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एक राजा ने अपने पिता की पुण्यतिथि पर ब्राह्मण-भोज का आयोजन किया। जिस समय रसोई में व्यंजन बन रहे थे और साथ के आंगन में धीमी आंच पर केसर वाली खीर पक रही थी, एक चील ऊपर से गुजरी। उसकी चोंच में एक सांप दबा था। सांप के मुंह से विष की बूंदें निकलीं और पतीले में पक रही खीर में जा गिरीं। रसोइये को इसकी भनक तक न लगी। ब्राह्मणों को आदर-सत्कार के साथ भोजन कराया गया। खीर खाने के कुछ ही क्षण के बाद ब्राह्मण एक-एक कर ढेर हो गए। मृत्युलोक में बैठे चित्रगुप्त और यमराज यह सब देख रहे थे। चित्रगुप्त ने यमराज से सवाल किया,‘महाराज, आपके विचार से इन ब्राह्मणों की मृत्यु के लिए कौन दोषी है?’ यमराज असमंजस में पड़ गए। भला किसे दोष दें? 

राजा ने भक्तिभाव से ब्राह्मणों को भोज कराया। रसोइयों ने भोजन बनाने में कोई कमी नहीं रहने दी। चील ने भूख शांत करने के लिए सांप का शिकार किया। छटपटाते सांप के मुंह से विष गिरने पर भला किसका वश था! यमराज ने बात टाल दी। 

इस घटना के एक साल बाद पड़ोसी राज्य के कुछ ब्राह्मण उस राजा के महल के पास से गुजरे। वे भूखे और थके हुए थे। दान-पुण्य को लेकर राजा की ख्याति से वे परिचित थे। उनमें से एक ने कहा,‘चलो, आज हम भी राजमहल के आतिथ्य का सुख भोगते हैं।’ तभी वहां से एक स्त्री गुजरी। उस ब्राह्मण की बात सुन वह तुरंत बोली,‘यह गलती न करें। शायद आपने सुना नहीं, पिछले साल राजा ने भोजन में विष मिलवा कर कई ब्राह्मणों की एक साथ हत्या कर दी थी।’ यह सुनते ही मृत्युलोक में बैठे यमराज के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई। उन्होंने चित्रगुप्त को आदेश दिया, ‘उन ब्राह्मणों की हत्या का दोष इस स्त्री के लेखे-जोखे में लिख दो।’ चित्रगुप्त हक्के-बक्के रह गए। उनकी शंका को शांत करते हुए यमराज बोले,‘ उस दिन जो कुछ घटा, वह बस एक दुर्घटना थी, जिसमें किसी का दोष न था। लेकिन बिना सच जाने, जिस प्रकार इस स्त्री ने फैसला सुनाते हुए राजा पर दोष मढ़ा, इस कारण इस प्रकरण में वही सबसे बड़ी पापिन है। उसे इसकी सजा मिलनी चाहिए।’ 

जीवन में कई बार हम सच को जाने-समझे बिना, सुनी-सुनाई बातों पर लोगों को दोषी ठहरा देते हैं! क्या ऐसा करना उचित है? सच जैसा दिखता है, वैसा ही नहीं होता। उसके कई पहलू होते हैं जो अक्सर हमें दिखाई नहीं देते। हम प्राय: एक पहलू को पकड़ लेते हैं। कोई भी धारणा कभी अंतिम नहीं हो सकती। जीवन का सच्चा सुख नॉन-जजमेंटल बने रहने में ही है, वरना पता नहीं कब हम किसी बेकसूर को गुनहगार बना दें! किसी की साख पर बेवजह सवाल उठाना उसकी हत्या करने से भी बड़ा पाप है!
जय गुरूजी. 
In English:

(A king on the death anniversary of his father hosted a Brahmin. The time in the kitchen and the dishes were made with saffron yoghurt cooked on low flame in the courtyard was passed up an eagle. A snake in its beak was suppressed. Drops of venom from the snake's mouth went and fell in the milk pot is brewing. Chef was not invisible. Brahmins were fed with honor. After a few moments of eating pudding Brahmin were overthrown one by one. Chitra sitting in the dead and were looking for him for all this. Chitra Yama asked him, "Sir, in your view, who is to blame for the death of these Brahmins? 'Yama were confused. Who blame the good?

Raja Bhoj was reverentially Brahmins. Let no shortage of chefs cooking. The hunger to be the victim of a snake eagle. Wriggling snake venom from the mouth of God whose power was falling! Yama had been ignored.

A year after the incident, some Brahmins neighboring state that passed near the king's palace. They were hungry and tired. Charity he was familiar with the reputation of the king. One of them said, 'Come on, we are also delighted with the hospitality of the palace. "Then the woman went from there. Listening to the Brahmin, he immediately said, 'Do not make this mistake. Maybe you have not heard, last king to introduce poison into food killed many Brahmins together. "Hearing this, sitting in the dead Yama ran smile. He ordered Chitra, those Brahmins accuse of killing the woman write in accountability. "Chitra left bewildered. Yama soothingly to her suspicions, "happened that day, it was just an accident in which someone was not to blame. But without knowing the truth, the way this woman implicated King verdict, because in this case he is the biggest sinner. He should be punished for this. "

Many times in life we ​​go, without understanding the truth, hear-hear the things people tend to blame! What is the proper thing to do? Really looks like, so it would not. There are many aspects that we do not see often. We often take hold of a factor. Any belief can never be final. Non-Judgement remain true happiness of life is the same, or else do not know when we make guilty innocent! No reason to question the credibility is worse than murder!
Jai Guruji.

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