Thursday, April 9, 2015

जब न्यूटन ने बताया ईश्वर के अस्तित्व का राज ..(Newton explained the secret of the existence of God. ..)


god and their presence sri ram sharma pravachan

हर इंसान किसी न किसी रूप मे ईश्वर को मानता है। लेकिन बुद्धिवाद ने ईश्वर के अस्तित्व को प्रयोगशाला मे परखना चाहा। किन्तु यहां उसकी सत्ता सिद्ध न हो सकी। इन्द्रिय शक्ति ने भी इस संदर्भ मे कुछ न किया। मस्तिष्क भी प्रमाण न खोज सका और यांत्रिकी भौतिकी ने भी अपनी हार स्वीकार कर ली।

ऐसी दशा में स्वाभाविक ही था की बुद्धिवाद ईश्वर के अस्तित्व को अस्वीकार करता। प्रकृति की क्रम व्यवस्था सुनियोजित है ऐसा तो माना गया पर उसे स्वसंचालित कहकर संतोष कर लिया गया। इसके लिए किसी स्रष्टा का हाथ हो सकता है इस बात से शोधकर्ताओं ने इंकार कर दिया।

नास्तिकवाद की प्रचंड लहर इसी वैज्ञानिक इंकारो से उत्पन्न हुई और आंधी-तूफ़ान की तरह बौद्धिक जगत पर अपना अधिकार जमाती गयी। पिछले दिनों ईश्वर की अस्वीकृति प्रगतिशीलता का चिन्ह बनकर उभरता रहा है।

लेकिन विज्ञान ने कभी भी ईश्वर के अस्तित्व को नाकारा भी नहीं है। उसने केवल इतना ही कहा की अनुसंधान प्रक्रिया की पकड़ में ऐसी सत्ता नहीं आती। अब प्रश्न यह उठता है की चमत्कारों से भरी इस सृष्टि का संचालन सुसंबद्धता पूर्वक अनायास चल रहा है क्या?

अणु से लेकर सौर मंडलों तक का छोटा बड़ा प्रत्येक घटक अपने निर्धारित कर्त्तव्य उत्तरदायित्व को तत्परता पूर्वक पूर्ण कर रहा है। एक के बाद एक प्रमाण इस स्तर के मिल रहे है जिनसे इस ब्रह्माण्ड में एक व्यापक चेतन तत्व का समुद्र भरा हुआ सिद्ध होता है। तो फिर ईश्वर है क्या, इसके लिए प्रसिद्घ वैज्ञानिक न्यूटन के एक संवाद को यहां जानना जरूरी है।

एक बार उनके किसी मित्र ने उनसे पूछा आप वैज्ञानिक होकर भी ईश्वर की उपासना करते है? जबकी कई वैज्ञानिक तो ईश्वर के अस्तित्व को ही संदिग्ध बताते है, इसलिए आप अधिक प्रामाणिक ढंग से ईश्वर क्या है यह बता सकते है?

तब न्यूटन ने गंभीरता पूर्वक उत्तर दिया। हमारा मस्तिस्क ज्ञान की खोज में जहा पहुंचता है वहीं उसे शाश्वत चेतना का ज्ञान होता है। कण-कण में जो ज्ञान की अनुभूति भरी पड़ी है वह परमात्मा का ही स्वरुप है। ज्ञान की ही शक्ति से संसार का नियंत्रण होता है। परमात्मा इसी रूप में सर्वशक्तिमान है। ईश्वर की सत्ता दृश्य जगत का प्राण है उनके बिना इतना व्यवस्थित विश्व संभव नहीं हो सकता था।
जय गुरुजी. 

In English:

(Perceive God in every human being as rough. But rationalism wanted to test the existence of God in the laboratory. But it could not prove his power. In this context has nothing Sense of power also. Could not find any evidence of brain and mechanics physics accepted their defeat.

In case it was only natural that the rationalism reject the existence of God. If this system is planned to be on the order of nature autonomic saying he was satisfied. The hand can be a creator of the researchers refuse.

Wave generated by the scientific deny extreme secularism and intellectual world as tornadoes and hurricanes have rights over the Authority Last week, the rejection of God as a sign of innovation is emerging.

But science is not always denied the existence of God. He said only such authority does not hold the research process. Now the question is full of the miracles of the universe is going to conduct the good affiliation delivery spontaneously?

Ranging from small molecules to large solar divisions, each component is completed precisely determine their readiness duty liability. One proof of this is to get the level of the sea which filled the universe proves a comprehensive animate element. What then is God, the famous scientist to know here is an interaction of Newton.

Scientific and once you have them, a friend asked him to worship God? when many scientists suspect the existence of God says, so you can tell what God is more authentic way?

Then Newton replied seriously. Where it reaches the brain in our pursuit of knowledge is knowledge of the eternal consciousness. In every particle of the divine nature is full of knowledge is experience. Knowledge is the power to control the world. Is the same as God Almighty. God's power is the soul of the visible universe could not have been possible without them so ordered world.)
Jai Guruji.

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