Saturday, April 25, 2015

विटामिन D, जरूरी है, नहीं करें अनदेखी ..(Vitamin D is necessary, do not overlook. ..)

Image result for vitamin d for sun
आज की जीवनशैली में विटामिन D की कमी आम बात हो गई है, लेकिन यह ऐसी समस्या नहीं है, जिसे हल्के में लिया जाए। विटामिन डी की कमी से शरीर की कई चीजें बुरी तरह प्रभावित होती हैं और सेहत पर उसका नुकसान दिखने लगता है। आइए जानें कि क्या है यह समस्या और इससे कैसे बचा जा सकता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि विटामिन डी के लक्षण एकदम उभर कर सामने नहीं आते, इसी वजह से लोगों को समय पर विटामिन डी की कमी से होने वाले रोगों का पता ही नहीं चल पाता। इसलिए विटामिन डी की नियमित जांच और विटामिन डी युक्त भोजन लेना महत्वपूर्ण है।

विटामिन डी का नाम आते ही सूरज की रोशनी याद आती है। हम अकसर आश्वस्त रहते हैं कि विटामिन डी तो शरीर को मिल ही रहा है, लेकिन पिछले साल हुए एक अध्ययन के अनुसार 70 फीसदी से अधिक भारतीयों में विटामिन डी की कमी पाई गई। इस अध्ययन में यह भी खुलासा हुआ है कि विटामिन डी की कमी शहरी और ग्रामीण इलाकों के सभी सामाजिक वर्गों में पाई गई। इस तरह के आंकड़ों के बारे में बात करते हुए नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के एडिशनल प्रोफेसर डॉं संजय के. राय कहते हैं, ‘गौर करने वाली बात यह है कि ज्यादातर भारतीयों को न सिर्फ विटामिन डी की कमी के बारे में अपर्याप्त जानकारी है, बल्कि वे यह भी नहीं जानते कि विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं के सामान्य तरीके से काम करने में इसकी भूमिका क्या है। लोगों को ये समझाना जरूरी है कि शुरुआत में विटामिन डी की कमी के कोई लक्षण नजर नहीं आते, इसलिए इस समस्या की गंभीरता का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है।’

क्या है विटामिन D :
विटामिन डी प्रो हार्मोन का समूह है, जो सूरज की रोशनी, खानपान और विभिन्न सप्लिमेंट्स से मिलता है। ये विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से शरीर को सक्रिय रखता है। शरीर में विटामिन डी की मात्रा को कैल्सीट्राइयोल से मापा जा सकता है, जो शरीर में सक्रिय रूप में मौजूद होती है। विटामिन डी शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को ठीक तरह से संचालित करने में मदद करता है और यह कैल्शियम को शरीर में संतुलित करने और हड्डियों की सेहत के लिए महत्वपूर्ण है। ये इम्यूनिटी, ऑटो इम्यूनिटी का बढम्ना, मायोपेथी, डायबिटीज मैलीटिस और कोलन, स्तन व प्रोस्टेट कैंसर जैसे कई गंभीर विकारों से बचाव करता है।

कमी होने के कारण :
हमें विटामिन डी की जितनी जरूरत होती है, उसकी कम से कम 75 प्रतिशत पूर्ति सूरज की सीधी रोशनी से होती है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, सूरज की रोशनी में कम जाने, सनस्क्रीन लगाने और अस्वस्थ खान-पान की वजह से भारतीयों में विटामिन डी की कमी होती जा रही है। अस्वस्थ खान-पान और जंक फूड खाने के चलते होने वाला मोटापा भी विटामिन डी की कमी होने का प्रमुख कारण हो सकता है, क्योंकि रक्त में मौजूद फैट कोशिकाएं विटामिन डी को अवशोषित कर लेती हैं और शरीर को बाकी जरूरी काम के लिए विटामिन डी नहीं मिल पाता। जीवनशैली में बदलाव, लोगों का डेस्क जॉब करना और धूप में निकलते समय खुद को स्कार्फ या कपड़े इत्यादि से ढक कर निकलना भी इसकी कमी का प्रमुख कारण है।

कैसे करें रोकथाम :
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने रोजाना 400 आईयू विटामिन डी लेने की सलाह दी है। हमें रोजाना खून के संचार, मांसपेशियों की गतिविधियों, दिल संबंधी काम और संक्रमणों व बीमारियों से बचने के लिए प्रतिरोधक क्षमता दुरुस्त रखने के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है। विटामिन डी से युक्त भारतीय डाइट सिर्फ रोजाना की जरूरत का 10 प्रतिशत ही पूरा कर पाती है।

होमोस्यास्टिन: बेहतरीन बायोमार्कर :
रक्त में होमोस्यास्टिन के स्तर को मापने से शरीर की हड्डियों की सेहत के बारे में जानकारी मिल जाती है। उस समय हड्डियों की क्षति रोकने की दिशा में कोलेजन नेटवर्क को मजबूत और स्थिर रखने के लिए ये जरूरी है।

विटामिन डी और डायबिटीज का संबंध :
हमारे देश में डायबिटीज होने के कई कारक हैं, जिनमें आनुवंशिक और पर्यावरण कारणों के अलावा मोटापा भी शामिल है। यह अस्वस्थ जीवनशैली, लगातार शहरीकरण और अस्वस्थ खान-पान से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। कई कारण ऐसे भी होते हैं, जिनके बारे में लोग कम जानते हैं। इनकी वजह से डायबिटीज के मामलों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। कई वैज्ञानिक आधार मिलने के बावजूद कई बार हेल्थकेयर से जुड़े प्रोफेशनल्स डायबिटीज के कारणों को जानने या लंबी अवधि के लिए इन्हें मैनेज करने के दौरान विटामिन डी के रिस्क फैक्टर को नजरअंदाज कर देते हैं। विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि सूरज की रोशनी से त्वचा में विटामिन डी बनता है, जो डायबिटीज जैसी बीमारियों को रोकने में कारगर है। विटामिन डी की कमी इंसुलिन की क्रियाशीलता को भी प्रभावित करती है, जिससे  डायबिटीज  की आशंका हो सकती है।

दिल की सेहत से संबंध :
विशेषज्ञों के अनुसार कई रोगियों को अचानक दिल का दौरा पड़ता है। हाल के अध्ययनों से सामने आया है कि विटामिन डी की कमी से दिल संबंधी बीमारियां होने का भी खतरा है। जो लोग ज्यादा रिस्क पर हैं, उन्हें नियमित रूप से विटामिन डी का टेस्ट कराना चाहिए, ताकि समय रहते बीमारी का पता चल सके।

बच्चों के लिए अधिक खतरनाक :
गर्भावस्था में महिलाओं को प्रचुर मात्रा में विटामिन डी लेना चाहिए। इसकी कमी से शिशुओं को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है और इससे उनकी पसलियां कमजोर हो सकती हैं। विटामिन डी की गंभीर कमी बच्चों के सिर की खोपड़ी या पैरों की हड्डियों पर भी असर डालती है।

किडनी पर असर :
विटामिन डी की कमी किडनी पर भी प्रभाव डालती है, इसलिए जरूरी है कि अभिभावक बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें और विटामिन डी युक्त भोजन व इससे जुड़े सप्लिमेंट उनके खानपान में शामिल करें।

रिस्क फैक्टर :
उम्र
नस्ल
मोटापा
किडनी संबंधी बीमारी 
लिवर की बीमारी
क्रोहिन बीमारी, कायस्टिक फिबरोसिस और सिलियक बीमारी
एड्स / एचआईवी से जुड़ी दवाइयां लेने पर भी विटामिन डी की कमी हो सकती है।

विटामिन डी के स्त्रोत :
सूरज की रोशनी
दूध या दूध से बने उत्पाद
अंडे
सी-फूड यानी विभिन्न प्रकार की मछलियां
विटामिन डी के सप्लीमेंट
फोर्टीफाइड विटामिन डी उत्पाद

इन्हें भी आजमाएं :
विटामिन डी के लिए कम से कम 30 मिनट धूप में बैठें।
सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक धूप का मजा लेना चाहिए।
जिनकी त्वचा गोरी है, उन्हें हफ्ते में 2-3 बार और जिनकी डार्क है, उन्हें हफ्ते में 3-6 बार सूर्य की रोशनी में बैठना चाहिए। 
शाकाहारी महिलाओं के लिए फोर्टीफाइड फूड या फिर सप्लीमेंट जरूरी है। समय-समय पर विटामिन डी की जांच कराएं। 
गर्मियों में दोपहर से पहले यूवी बी किरणें ज्यादा होती हैं, उस समय धूप का आनंद लिया जा सकता है।
महिलाओं को मोटापा कम करने पर जोर देना चाहिए, क्योंकि रक्त में मौजूद विटामिन डी को फैट कोशिकाएं अवशोषित कर लेती हैं, जिससे विटामिन डी की कमी पूरी होना असंभव हो जाता है।
जय गुरुजी. 

In English:

(In today's lifestyle, vitamin D deficiency is common, but it's not such a problem, which is to be taken lightly. Vitamin D deficiency has severely affected the health of the body, many things can be seen on his loss. Here is what the problem is and how it can be avoided.

Experts believe that vitamin D symptoms do not emerge immediately, why people with vitamin D deficiency at the time of the disease, one never knows. Therefore regular checking of vitamin D and vitamin D-rich diet is important.

The name of vitamin D as soon as sunlight miss. We remain confident that often get vitamin D is to the body, but over 70 per cent last year, according to a study found vitamin D deficiency. The study also revealed that vitamin D deficiency was found in all social classes in urban and rural areas. Speaking about such figures in New Delhi All India Medical Institute of Medical Sciences (AIIMS) Additional Professor of the Centre for Community Medicine Dr. Sanjay. Roy says, the catch is that most Indians are not only insufficient information about vitamin D deficiency, but they also do not know the different physical processes what its role is in the normal way to do things. It is important to explain to people that in the beginning we do not see any signs of vitamin D deficiency, so the problem is difficult to quantify the severity of. "

What is vitamin D?
Pro-hormone vitamin D group, which sunlight, catering and various Supplements meets. They enable the body through various chemical processes maintains. Kailsitroiyol amount of vitamin D in the body can be measured, which is present in active form in the body. Vitamin D has many important organs of the body to operate properly and helps to balance the calcium in the body and is important for bone health. This immunity, auto-immunity of the Bdmna, Mayopethi, Malitis diabetes and colon, breast and prostate cancer prevention is that many serious disorders.

Due to lack:
We need more of vitamin D, 75 percent met the minimum is from direct sunlight. According to various studies, to reduce sunlight, wearing sunscreen and unhealthy food because of a lack of vitamin D is becoming. Unhealthy eating and eat junk food because obesity due to vitamin D deficiency may account because the fat cells in the blood absorbs vitamin D and vitamin D for the body, not the work required received. Lifestyle changes, people have desk jobs and sensed in the sun to get yourself covered with scarves or fabric, etc. is also the major cause of the decrease.

How to prevent:
Indian Council of Medical Research to take a daily vitamin D 400 IU per serving is advised. We daily blood circulation, muscle activity, heart infections and diseases related to work and to avoid immunity for energy, vitamin D is needed. Indian diet containing vitamin D. Only 10 percent of the daily requirement is to be able to accomplish.

Homosyastin: Best biomarkers :
By measuring the level of blood Homosyastin find information about the health of your bones are. At that time towards preventing bone loss, strengthen the collagen network and it is necessary for stabilizing.

Vitamin D and diabetes are concerned:
Having diabetes in our country are many factors, including genetic and environmental factors, including obesity, in addition to. This unhealthy lifestyle, unhealthy diet and the constant urbanization is directly connected. There are many reasons for which people know little. Because of them, even in cases of diabetes is rising. Despite many scientific basis often learn why healthcare professionals involved with diabetes or to manage them for the long term risk factor for vitamin D during bypass. Various studies have shown that vitamin D is made in the skin from sunlight, which is effective in preventing diseases like diabetes. Vitamin D deficiency also affects the functioning of insulin, which can lead to diabetes risk.

Heart health with regards to:
According to experts, many patients have a sudden heart attack. Recent studies have emerged that vitamin D deficiency is a risk of getting heart disease. People who are at high risk, they should conduct regular tests of vitamin D, so that in time that shows disease.

More dangerous for children:
Pregnant women should take vitamin D abundant. Its deficiency can lead to shortness of breath and babies may be vulnerable to their ribs. Severe vitamin D deficiency on children's head skull or bones of the legs influences.

Kidney affected:
Vitamin D deficiency also affects the kidneys, so it is important that parents encourage children to play outside and vitamin D supplement their diet contains foods and allied.

Risk Factor:
Ages
Breed
Fatness
Kidney disease
Liver disease
Krohin illness, disease Kaystik Fibrosis and Siliyk
AIDS / HIV-related medicines may be taking vitamin D deficiency.

Sources of vitamin D:
Sunlight
Milk or milk products
Eggs
Seafood or fish variety
Vitamin D supplements
Vitamin D fortified products

Also try:
Vitamin D Sit in the sun for at least 30 minutes.
From 10 am to noon, three hours to enjoy the sunshine.
Whose skin is fair, 2-3 times a week and whose dark, they must sit in the sun once a week 3-6.
Fortified foods or supplements are essential for vegetarian women. Vitamin D Scan periodically.
UV-B rays are higher in the summer before noon, then you can enjoy the sun.
Women should insist on reducing obesity, the fat cells in the blood to absorb vitamin D, vitamin D deficiency, which is completely impossible.)
Jai Guruji. 


No comments: