एक संत थे। वह प्रातः काल अपने शिष्यों के बीच बैठकर प्रभु से प्रार्थना किया करते थे। वह सबसे पहले पूरी मानव जाति के कल्याण की प्रार्थना करते और इसके बाद हाथ जोड़कर कहते कि, हे प्रभु मेरे परमपिता, आप गलत कार्य करने वाले लोगों को सद्बुद्धि दें। उनको सही रास्ता दिखाएं ताकि वो गलत कामों को छोड़कर दया का भाव जाग्रत करें।
उनकी यह प्रार्थना एक शिष्य रोज सुनता एक दिन उसने पूछा, संत तो अच्छे लोगों के कल्याण के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। गुरुदेव इस प्रार्थना का क्या अर्थ है?
संत मुस्कुराए और बोले, 'वत्स अच्छे काम करने वाले लोग तो स्वतः भगवान की दया और स्नेह के अधिकारी बन जाते हैं।' अच्छे लोग अच्छे कर्म करके औरों को भी अच्छा बनाते रहते हैं।
प्रार्थना तो बुरे लोगों को सद्बुद्धि प्रदान करने के लिए करनी चाहिए, जिससे वे गलत कामों को छोड़कर ईश्वर भक्ति में मन लगाएं और लोगों पर दया करें।
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