Monday, November 10, 2014

जितना हम भविष्य से डरते हैं उतना ही वर्तमान को खोते हैं .....


इन दिनों जाने हमें क्या हो गया है। हमारी आंखों में हमेशा डर झलकता रहता है। न दिन को चैन न रात को शांति। बिलकुल जंगल के उस हिरन की तरह जो सोते-जागते, खड़े-बैठे, घूमते-फिरते हर वक्त इस डर में रहता है कि कभी भी कहीं किसी झाड़ी से कोई शेर, भेड़िया, चीता आकर उसे खत्म कर देगा। ऐसे ही हम सुरक्षा कवचों के घेरे में भी, कभी संपत्ति छिन जाने, सत्ता चले जाने, अस्वस्थ होने, भ्रष्टाचार में पकड़े जाने, बदनामी और हर समय सबसे बड़े डर परलोक में दुर्गति से कुल मिला कर खुद से ही डरे-डरे जीते हैं। 

स्वामी विवेकानंद ने कहा-‘भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। भय रहित चरित्र विपत्तियों में भी रास्ता दिखाता है।’ भय एक तरह की गुलामी है। जैसे गुलाम आजाद होने को तड़पता है, वैसे ही भयग्रस्त इंसान भी मन ही मन तड़पता है। डर में जीने वाले अकेले में बड़े साहसी होने का दावा करते हैं। लेकिन जब मुखर होने का समय आता है तो इधर-उधर देखने लगते हैं, चुप्पी साध जाते हैं। उनके मन में अनेकों शंकाओं से बोझिल प्रश्न उठ रहे होते हैं। अप्रत्याशित भय से वे मौन रह जाते हैं। किंतु उनकी आत्मा उन्हें धिक्कारती रहती है। चुनौतियों से सामना करने का डर चुनोतियों से कहीं अधिक बुरा होता है। जब हम डरते हैं तो जीवंतता से दूर हो जाते हैं और जब हमारे अंदर साहस जागृत होता है तो हमारे लिए आनंद, उन्नति और सभी उपलब्धियों के रास्ते खुल जाते हैं। जितना ही हम भविष्य से डरते हैं उतना ही हम वर्तमान को खोते हैं।

‘थामस फुलर’ का कहना है- ‘हमेशा भयभीत रहने के बजाय एक बार खतरा मोल लेना बेहतर है। सारे खतरे और धोखे समाप्त होने तक जो निकलने के लिए तैयार नहीं है, वह कभी नहीं निकल पाएगा।’ लेकिन मानव के अस्तित्व के लिए भय अनिवार्यता भी है। भय पर नियंत्रण रख कर, डर लगते समय भी जो लोग कुछ करते हैं, दुनिया उन्हें ही साहसी कहती है। वे ही नए कीर्तिमान बनाते हैं। यूं तो जहाज सबसे सुरक्षित बंदरगाह पर रहते हैं। लेकिन वहां रखने के लिए तो जहाज नहीं बनाए जाते।

हम सच कहने से डर जाते हैं कि कोई नाराज न हो जाए। सच कहने का साहस हमारी पहचान है। इच्छा-शक्ति प्रबल है तो बड़ी सरलता से भय से मुक्ति मिल सकती है। डरना ही है तो उन कामों से डरें, जिनसे दूसरों को दुख पहुंचता है, किसी के अधिकारों का हनन होता है। हमारे यही काम हममें भय का सृजन करते हैं। 

Jai Guruji

E-mail : birendrathin@gmail.com

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