Tuesday, September 2, 2014

प्रयोग और प्रशिक्षण से मनचाही मंजिलें हासिल की जा सकती हैं ...


एक खरगोश पत्थर के पास गया और बोला-‘महाशय! आप सुंदर-सुंदर दांत बनाते हैं, ऐसा मैंने सुना है। आप मेरे मुंह में भी दो दांत लगा दें तो आपको बड़ी कृपा होगी। मेरी समस्या यह है कि जब भी मेरे सामने लोमड़ी आती है, मैं डर जाता हूं। मुकाबला करना तो दूर की बात है, कभी-कभी तो प्राण भी संकट में फंस जाते हैं। आप तो दो दांत लगा देंगे तो मेरे अंदर शक्ति आ जाएगी। फिर मैं डटकर लोमड़ी का मुकाबला कर लूंगा।’ इतना कहकर खरगोश पत्थर की शिला के सामने मुंह खोलकर लेट गया। पत्थर ने उसके मुंह में दो दांत लगा दिए। खरगोश प्रसन्न होकर सीना ताने जंगल में निकला। उसने फैसला कर लिया था कि आज लोमड़ी से दो-दो हाथ करने ही हैं।

खरगोश जा रहा था। सामने से लोमड़ी आती दिखाई दी। खरगोश हिम्मत जुटाकर कुछ दूर तो चला, पर जब लोमड़ी काफी पास आ गई तो खरगोश के हाथ-पांव ढीले पड़ गए। कंठ सूख गया, उसका दिमाग चकराने लगा और प्राण अधर में लटक गए। वह दबे पांव वहां से भागा। शिला के पास आकर ही उसने राहत की सांस ली। कुछ देर तक अपनी उखड़ती सांसों को नियंत्रित करने में लगा रहा, फिर पत्थर से बोला- ‘महाशय! आपने मेरे मुंह में दो दांत लगाए, उसके लिए आपका धन्यवाद। लेकिन मुझे इन दो से पूरा संतोष नहीं है। आप थोड़ी-सी कृपा और करें, दो तीखे दांत और लगा दें। फिर मैं लोमड़ी के दांत खट्टे करने में समर्थ हो जाऊंगा।’ 

पत्थर बोला-‘दो अतिरिक्त दांत लगा देने के बाद भी तुम जिंदादिल और शेरदिल नहीं बन सकते। वीरता और ताकत सिर्फ नाखून, दांत और अस्त्र-शस्त्र में नहीं बसती। यह उधार नहीं मिलती। वीर बनने के लिए साहस, शक्ति और प्रयोग करने की हिम्मत चाहिए।’

एक औरत की गाय ने एक बछड़े को जन्म दिया। लेकिन कुछ ही देर बार गाय मर गई। महिला ने बछड़े को पाला-पोसा। वह रोज बछड़े को बच्चे की तरह गोद में उठाती थी। एक वर्ष में बछड़ा एक क्विंटल से ज्यादा वजन का हो गया था, फिर भी वह महिला उसे सहज रूप से उठा लेती थी। वास्तव में प्रयोग और प्रशिक्षण से मनचाही मंजिलें हासिल की जा सकती हैं, बशर्ते कदम उस ओर निरंतर गतिमान रहें। महिलाओं ने हर दिशा में विकास कर लिया, परन्तु उन्होंने शक्तिसंपन्न बनने की दिशा में प्रयत्न नहीं किया तो समझना चाहिए कि उन्होंने अपना मस्तक गर्व से ऊंचा उठाए रखने का साधन ही नहीं किया। उन्हें किशोरावस्था से पूर्व ही शक्तिसंपन्न बनने का प्रशिक्षण लेना शुरू कर देना चाहिए। यह उन्हें शारीरिक रूप से तो मजबूत करेगा ही, मानसिक तौर से भी साहसी और जीवट वाला बनाएगा।

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Jai guruji


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